अहिल्याबाई होल्कर जंयती: रानी जिसने बनाई थी महिला सेना, वर्तमान काशी विश्वनाथ मंदिर का कराया निर्माण
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: May 31, 2018 07:19 AM2018-05-31T07:19:58+5:302018-05-31T07:19:58+5:30
अहिल्याबाई होल्कर 21 साल की उम्र में विधवा हो गईं। उस समय के रजवाड़ों की प्रथा के अनुरूप अहिल्याबाई पति के संग सती होने के लिए तत्पर हुईं। लेकिन उनके ससुर मल्हार राव ने उन्हें रोक दिया।
भारत के महान शासकों में अहिल्याबाई होल्कर का स्थान अप्रतिम है। अहिल्याबाई ने करीब 30 साल तक मालवा रियासत का संचालन किया। उनके शासनकाल में राज्य का चहुँमुखी विकास हुआ। उनकी संरक्षण में मालवा में समृद्धि और शांति रही। अहिल्याबाई का जन्म 31 मई 1725 को अहमदनगर में हुआ था। मालवा के राजा मल्हार राव ने अपने एक यात्रा के दौरान अहिल्याबाई को एक मंदिर में भजन गाते हुए सुना था। वो उनसे काफी प्रभावित हुए और उनके पिता से अपने बेटे खाण्डेराव होल्कर के लिए अहिल्या का हाथ माँग लिया।
अहिल्याबाई महज आठ साल की थी जब उनकी 1733 में खाण्डेराव से उनका विवाह हुआ। अहिल्याबाई का वैवाहिक जीवन दुखद रहा। 1754 में उनके पति खाण्डेराव का सूरजमल जाट से लड़ते हुए निधन हो गया। 21 साल की उम्र में अहिल्याबाई विधवा हो गईं। उस समय के रजवाड़ों की प्रथा के अनुरूप अहिल्याबाई पति के संग सती होने के लिए तत्पर हुईं। लेकिन उनके ससुर मल्हार राव ने उन्हें रोक दिया।
मल्हार राव का भी 1766 में निधन हो गया। अब मालवा राज्य का पूरा जिम्मा अहिल्याबाई पर आ गया। मल्हार राव के निधन के बाद अहिल्याबाई के इकलौते बेटे माले राव होल्कर को राजगद्दी पर बैठाया गया। अहिल्याबाई माले राव के अभिभावक के रूप में राजकाज का संचालन करती रहीं। लेकिन दुर्भाग्य ने अहिल्याबाई का पीछा नहीं छोड़ा। अप्रैल 1767 में माले राव का भी निधन हो गया।
पति, ससुर और फिर बेटे की मृत्यु के बाद अहिल्याबाई अकेली पड़ गयीं लेकिन उन्होंने हौसला नहीं छोड़ा। उन्हें राज्य की जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारी का पूरा अहसास था। बेटे की मृत्यु के बाद उन्होंने मालवा का राजपाट संभाला। उन्होंने तुकाजीराव होल्कर को अपना सेनापति नियुक्त किया। अहिल्याबाई ने अपनी सेना में स्त्रियों का विशेष दस्ता तैयार किया। ऐसा करने वाली संभवतः दुनिया की पहली महिला शासक रही होंगी।
अहिल्याबाई का 13 अगस्त 1795 को करीब 70 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनके बाद उनकी गद्दी उनके सेनापति तुकाजी राव होल्कर (प्रथम) ने संभाली।
अहिल्याबाई ने पूरे देश में कई दर्जन मंदिरों और धर्मशालाओं का निर्माण और जिर्णोद्धार कराया। विश्व प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ का मौजूदा स्वरूप अहिल्याबाई का बनवाया हुआ है। उन्होंने 1780 में काशी विश्वनाथ मंदिर का पुननिर्माण कराया था।
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