सीओपी26 से पहले शिक्षाविदों ने पर्यावरण शिक्षा के पाठ्यक्रम में सुधार की वकालत की

By भाषा | Updated: October 31, 2021 16:40 IST2021-10-31T16:40:32+5:302021-10-31T16:40:32+5:30

Ahead of COP26, academics advocate for reform of environmental education curriculum | सीओपी26 से पहले शिक्षाविदों ने पर्यावरण शिक्षा के पाठ्यक्रम में सुधार की वकालत की

सीओपी26 से पहले शिक्षाविदों ने पर्यावरण शिक्षा के पाठ्यक्रम में सुधार की वकालत की

(गुंजन शर्मा)

नयी दिल्ली, 31 अक्टूबर दुनिया के विभिन्न देश जहां एक ओर जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर स्कॉटलैंड के ग्लासगो शहर में आयोजित होने जा रहे संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन में हिस्सा लेने की तैयारी में जुटे हुए हैं, वहीं भारत में शिक्षाविद और स्कूलों के प्रधानाचार्य देश भर के स्कूलों में दी जाने वाली पर्यावरण शिक्षा में सुधार की मांग कर रहे हैं।

ब्रिटेन 26वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन ‘कांफ्रेंस आफ पार्टीज’ (सीओपी-26) की मेजबानी कर रहा है। रविवार से शुरू हो रहे इस सम्मेलन में 190 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों के हिस्सा लेने की उम्मीद जताई जा रही है। यह सम्मेलन 12 नवंबर तक चलेगा।

स्कूलों के प्रधानाचार्यों का कहना है कि स्कूलों में पर्यावरण के मुद्दों पर दी जाने वाली मौजूदा शिक्षा "पृथ्वी दिवस" ​​या "पर्यावरण दिवस" ​​जैसे विशेष दिनों के अवसर पर नारे लिखने और पोस्टर बनाने जैसी गतिविधियों तक ही सीमित हो गयी है। शिक्षाविदों ने पर्यावरण संबंधी चुनौतियों से निपटने को लेकर भविष्य के लिए छात्रों को तैयार करने के वास्ते शिक्षा में अधिक व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया है

मौजूदा समय में केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के छात्रों को पर्यावरण पर एक अनिवार्य विषय का अध्ययन करना पड़ता है। हालांकि, प्रधानाध्यापकों का मानना है कि जहां तक पर्यावरण शिक्षा का संबंध है हमें कागजी प्रारूप से आगे जाने की जरूरत है।

दिल्ली पब्लिक स्कूल की गाजियाबाद शाखा की प्रधानाचार्य पल्लवी उपाध्याय ने पीटीआई-भाषा से कहा, "समय की मांग है कि छात्रों को जलवायु परिवर्तन से संबंधित खतरों के बारे में जागरूक किया जाए। पर्यावरण शिक्षा पृथ्वी दिवस या पर्यावरण दिवस जैसे विशेष दिनों में आयोजित की जाने वाली हल्की-फुल्की कार्यशालाओं से कहीं अधिक होनी चाहिए।"

पल्लवी उपाध्याय ने कहा, "स्कूल में मौजूदा समय में पढ़ने वाले छात्र ही भविष्य में निर्णय लेंगे। इसलिए उन्हें अपनी दैनिक आदतों और प्रतिबद्धताओं पर नजर रखने के लिए जिम्मेदार नागरिक बनाने की आवश्यकता है। प्लास्टिक को 'ना' कहना और खरीदारी के लिए कागज या जूट का थैला ले जाना हमारे पर्यावरण को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।

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Web Title: Ahead of COP26, academics advocate for reform of environmental education curriculum

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