पटना:बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस अब संगठन को मजबूत करने की दिशा में निर्णायक कदम उठाने जा रही है। नई दिल्ली में चुनावी समीक्षा बैठक के बाद पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी (बीपीसीसी) के पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है। पार्टी हाईकमान ने प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम और प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावरु को नई प्रदेश कमेटी के गठन की जिम्मेदारी सौंपी है।
कांग्रेस की प्रदेश कमेटी लगभग 14 वर्षों से पूरी तरह से नहीं बनी है। आखिरी बार अशोक चौधरी के कार्यकाल (2013–2017) में संगठन का विस्तार किया गया था। उसके बाद प्रदेश संगठन एक तरह से ठप पड़ा रहा। कांग्रेस आलाकमान ने राज्य में पार्टी को नया जीवन देने के लिए प्रदेश स्तर, जिला स्तर, प्रखंड स्तर और पंचायत स्तर तक नई कमेटियां गठित करने को कहा है।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, 2026 में मकर संक्रांति के बाद नई प्रदेश कमेटी की सूची जारी कर दी जाएगी। इससे पहले योग्य नेताओं की सूची तैयार करने के लिए प्रदेश नेतृत्व को कहा गया है। हालिया विधानसभा चुनाव की समीक्षा बैठक में कई कांग्रेस प्रत्याशियों ने संगठन के कमजोर होने, जिलों में तालमेल की कमी और कार्यकर्ताओं के सहयोग न मिलने की शिकायतें की थीं।
इन्हीं शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए राष्ट्रीय नेतृत्व ने संगठन को जमीनी स्तर पर पुनर्गठित करने का फैसला किया है। 2013 में अशोक चौधरी को बिहार कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था। उनके कार्यकाल में प्रदेश कमेटी का विस्तार हुआ था, लेकिन पिछले करीब एक दशक से संगठन स्थिर पड़ा हुआ है।
अब हार के बाद कांग्रेस इसे अपनी सबसे बड़ी कमजोरी मानते हुए नए सिरे से संगठन खड़ा करने की योजना पर तेजी से काम कर रही है। नई प्रदेश कमेटी के गठन से बिहार कांग्रेस में लंबे समय बाद बड़े बदलाव की उम्मीद जताई जा रही है।