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शिवसेना से गठबंधन टूटने के बाद बीजेपी पर बढ़ा सहयोगी दलों की ओर से कैबिनेट में विस्तार का दबाव, बिहार-पंजाब में उठ रही मांग

By संतोष ठाकुर | Updated: November 12, 2019 07:58 IST

बिहार में उसके सहयोगी जेडीयू ने एक बार फिर से केंद्र में एक केंद्रीय मंत्री, एक स्वतंत्र प्रभार और दो राज्य मंत्री की मांग की है. जबकि पंजाब से भाजपा की सहयोगी अकाली दल ने भी एक अन्य कैबिनेट पद की इच्छा जाहिर की है.

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ठळक मुद्देपंजाब में भाजपा के सहयोगी दल अकाली दल ने भी अपने लिए कम से कम एक अन्य मंत्री की मांग की है. यहां पर अगले एक से दो दिन में कैबिनेट का गठन होना है.

शिवसेना के साथ तीस साल के गठबंधन टूटने के बाद भाजपा पर कैबिनेट के विस्तार का दबाव बढ़ रहा है. उसके सहयोगी हालांकि खुले तौर पर इच्छा जाहिर नहीं कर रहे हैं लेकिन उन्होंने दबी जुबान में भाजपा आलाकमान तक अपनी मांग पहुंचा दी है.

खासकर बिहार में उसके सहयोगी जेडीयू ने एक बार फिर से केंद्र में एक केंद्रीय मंत्री, एक स्वतंत्र प्रभार और दो राज्य मंत्री की मांग की है. जबकि पंजाब से भाजपा की सहयोगी अकाली दल ने भी एक अन्य कैबिनेट पद की इच्छा जाहिर की है. जदयू के एक वरिष्ठ सांसद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह हमेशा से इस पक्ष में रहे हैं कि जेडीयू या जदयू उसके साथ कैबिनेट में शामिल हो. लेकिन यह सभी जानते हैं कि बिहार के लिए रेलवे कितना महत्वपूर्ण है.

खासकर नई परिस्थिति में जब लगातार ट्रेन के किराये बढ़ रहे हैं, निजी रेलगाड़ी व्यवस्था की ओर रेल बढ़ रहा है तो ऐसे में बिहार के लिए महत्वपूर्ण हो जाता है कि रेलवे उसके पास रहे. इसकी वजह यह है कि बिहार के लिहाज से रेलवे में कोई भी बड़ा कदम सामने नहीं आया है. इसके विपरीत राज्य के निवासियों के सामने आवागमन की समस्या बढ़ रही है. हमें उम्मीद है कि जब भी कैबिनेट में जेडीयू शामिल होगी तो भाजपा उसे रेल का प्रभार देने पर विचार करेगी.

हरियाणा में भी भाजपा पर दबाव बढ़ा

इधर, पंजाब में भाजपा के सहयोगी दल अकाली दल ने भी अपने लिए कम से कम एक अन्य मंत्री की मांग की है. जबकि शिवसेना के एनडीए गठबंधन से चले जाने के बाद हरियाणा में भी भाजपा पर दबाव बढ़ गया है. यहां पर अगले एक से दो दिन में कैबिनेट का गठन होना है. यहां पर भाजपा ने जननायक जनता पार्टी से गठबंधन करके सरकार बनाई है. ऐसे में उस पर दबाव रहेगा कि वह उसे भी कुछ महत्वपूर्ण मंत्रालय दे.

इसके साथ ही भाजपा पर उप्र में उसकी सहयोगी रही अपना दल को सरकार से बाहर रखने को लेकर भी सवाल होते रहे हैं. कैबिनेट के लिए सभी दल नाम तय करते हैं : शिवसेना के साथ गठबंधन टूटने से भाजपा पर सहयोगी दलों की ओर से बढ़े दबाव पर भाजपा के एक महासचिव ने कहा कि भाजपा का कोई भी सहयोगी दबाव की राजनीति नहीं करता है.

यह यूपीए से अलग गठबंधन है. जहां पर सर्वसम्मति से केंद्रीय कैबिनेट के लिए सभी दल नाम तय करते हैं. यह सही है कि केंद्र सरकार में कुछ मंत्रियों के पास कार्य दबाव है. उनके इस कार्यबोझ को कम करने के लिए जब भी योजना बनती है तो सभी सहयोगी दलों से चर्चा कर निर्णय किया जाएगा.

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