पूर्वोत्तर में आफस्पा के चलते मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है, यह आम राय बनाना गलत: एनएचआरसी प्रमुख

By भाषा | Updated: December 17, 2021 20:11 IST2021-12-17T20:11:58+5:302021-12-17T20:11:58+5:30

AFSPA in Northeast leads to human rights violation, it is wrong to form a general opinion: NHRC chief | पूर्वोत्तर में आफस्पा के चलते मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है, यह आम राय बनाना गलत: एनएचआरसी प्रमुख

पूर्वोत्तर में आफस्पा के चलते मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है, यह आम राय बनाना गलत: एनएचआरसी प्रमुख

गुवाहाटी, 17 दिसंबर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने शुक्रवार को कहा कि यह आम राय बनाना गलत होगा कि कुछ पूर्वोत्तर राज्यों में आफस्पा लागू करने के कारण मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है।

न्यायमूर्ति मिश्रा ने यह भी कहा कि एनएचआरसी सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (आफस्पा) की वैधता या संवैधानिकता की पड़ताल नहीं कर सकता या एक चर्चा नहीं करा सकता।

न्यायमूर्ति मिश्रा ने यहां दो दिवसीय शिविर के समापन के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह आम राय नहीं बनायी जा सकती कि आफस्पा लगाने के कारण मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है। अधिनियम लागू करने या वापस लेने की आवश्यकता की समीक्षा सरकार करेगी।’’

उन्होंने हालांकि, इस बात पर जोर दिया कि आयोग हिरासत में मौते या न्यायेतर हत्याओं को ‘‘बहुत गंभीरता से’’ लेता है और सभी मामलों की जानकारी दी जानी चाहिए या वह स्वत: संज्ञान ले सकता है। उन्होंने कहा कि मानवाधिकार आयोग मामलों के गुणदोष पर विचार करता है और पीड़ितों के परिवार के सदस्यों के लिए मुआवजे की घोषणा करता है, जिसका राज्य सरकारों द्वारा अनुपालन किया जाता है।

नगालैंड के ओटिंग गांव में उग्रवाद रोधी अभियान की ओर इशारा करते हुए, जिसमें 14 व्यक्ति मारे गए थे, न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया है और संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी किया है क्योंकि राज्य में इसकी कोई इकाई नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने केंद्रीय गृह मंत्रालय और घटना की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) से रिपोर्ट मांगी है। हालांकि, इस स्तर पर मामले के गुणदोष पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।’’

नगालैंड में हाल में हुई घटना के बाद पूर्वोत्तर राज्यों से इस अधिनियम को वापस लेने की जोरदार मांग की गई है।

पूर्वोत्तर में, असम, नगालैंड, मणिपुर (इंफाल नगर परिषद क्षेत्र छोड़कर) और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में आफस्पा लागू है। कानून सुरक्षा बलों को कहीं भी कार्रवाई करने और बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार देता है।

नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो और मेघालय के उनके समकक्ष कोनराड संगमा के साथ ही विपक्षी दलों, नागरिक समाज समूहों और क्षेत्र के अधिकार कार्यकर्ताओं ने आफस्पा को निरस्त करने की मांग की है।

इस साल मई से असम में हुई पुलिस मुठभेड़ों के बारे में पूछे जाने पर, एनएचआरसी अध्यक्ष ने कहा कि ‘‘सभ्य समाज में फर्जी मुठभेड़ों के लिए कोई जगह नहीं है। यह बर्बर है और इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती। कानून को अपना काम करना चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसके साथ ही, हम यह नहीं कह सकते कि सभी मुठभेड़ फर्जी हैं। कुछ फर्जी हो सकती हैं, लेकिन हम प्रत्येक शिकायत को लेते हैं और प्रत्येक मामले के गुणदोष की जांच करते हैं। ऐसे मामलों में एनएचआरसी तीन पहलुओं पर गौर करता है - पीड़ित या उसके परिवार के लिए मुआवजा, आपराधिक मामले दर्ज होना और आरोपी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू करना।’’

इस साल मई में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के सत्ता संभालने के बाद से पुलिस कार्रवाई में कुल 32 लोग मारे गए हैं और कम से कम 55 घायल हुए हैं।

सरकारी भूमि पर ‘‘अवैध रूप से बसे लोगों’’ की हाल की बेदखली के बारे में एक सवाल पर, न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि मामला गुवाहाटी उच्च न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है।

उन्होंने कहा, ‘‘मामला अदालत में विचाराधीन है और हम कानूनी प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। हालांकि, हम विस्थापित लोगों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं और हमने राज्य सरकार को उनका पुनर्वास सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।

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Web Title: AFSPA in Northeast leads to human rights violation, it is wrong to form a general opinion: NHRC chief

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