नई दिल्ली: अडानी ग्रुप को लेकर संसद में गुरुवार जबर्दस्त हंगामे के बाद कांग्रेस ने तंज कसते हुए कहा है कि अब एलआईसी का स्लोगन बदलने का समय आ गया है। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि एलआईसी का स्लोगन अब 'जिंदगी के साथ भी..जिंदगी के बाद भी' से बदलकर 'जिंदगी के साथ थी अब अडानीजी के साथ हैं' कर देना चाहिए।
खेड़ा ने कहा, 'एलआईसी की अब यही स्थिति है। और प्रधान सलाहकार इस मुद्दे पर चुप हैं और आप उनसे एक शब्द भी नहीं सुनेंगे।' खेड़ा ने सवाल उठाया कि किसके निर्देश पर एलआई ने अडानी के बिजनेस में अपना निवेश बढ़ाया।
अडानी ग्रुप के चीनी लिंक पर कांग्रेस ने उठाए सवाल
कांग्रेस ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट में उल्लेख किए गए अडानी समूह के कथित चीनी लिंक चुंग लिंग का भी जिक्र किया और कहा कि यह इस पूरे मुद्दे का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है।
कांग्रेस ने चीनी कारोबारी चांग चुंग-लिंग का जिक्र करते हुए कहा, 'यह नाम अगस्ता वेस्टलैंड मामले में आया था। मनमोहन सिंह की सरकार ने इसमें एक जेपीसी का आदेश दिया था। वे हमारा नाम घसीटना चाहते थे लेकिन इसमें शामिल व्यक्ति उनके दोस्त का साथी है। चांग चुंग-लिंग और गौतम भाई भागीदार हैं। सिंगापुर में उनका एक साथ कार्यालय है जहां वे काम करते हैं। अब यह क्या रिश्ता है?'
'भंवरे ने खिलाया फूल...फूल को ले गया हिंडनबर्ग'
पवन खेड़ा ने पीएम नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए कहा, 'हमारे बचपन में एक गाना था 'भंवरे ने खिलया फूल'... फूल को ले गया हिंडेनबर्ग। नरेंद्र मोदी का 20 साल का प्रयास, जब वह मुख्यमंत्री थे, उसका पर्दाफाश हो गया। अगर यह मोदीजी और अडानीजी के बीच की बात होती तो हम सब चुप रहते।'
पवन खेड़ा ने कहा, 'अडानी परिवार के सदस्यों के पास मॉरीशस, यूएई और कैरेबियाई द्वीपों में उनके टैक्स हैवन हैं। यह एक सांठगांठ है जिसके बारे में हमने हिंडनबर्ग रिपोर्ट में पढ़ा।'
अडानी ग्रुप मामले पर संसद में हंगामा
इससे पहले संसद में गुरुवार को कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों के सदस्यों ने अडानी समूह से जुड़े मामले सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की मांग करते हुए नारेबाजी एवं हंगामा किया जिससे दोनों सदन एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिए गये।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कई विपक्षी दलों के नेताओं की मौजूदगी में विजय चौक पर पत्रकारों से बातचीत में अडानी प्रकरण में आम लोगों तथा एलआईसी एवं एसबीआई के हितों को ध्यान में रखते हुए इस मुद्दे की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने या उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश से जांच कराये जाने की मांग की।