आरे मामला: नए लगाए गए पौधों का सुप्रीम कोर्ट ने मांगा रिपोर्ट, कहा-मेट्रो प्रोजेक्ट पर कोई रोक नहीं, पेड़ नहीं कटने चाहिए
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 21, 2019 03:57 PM2019-10-21T15:57:26+5:302019-10-21T15:57:26+5:30
पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने की मांग करते हुए कानून के छात्र रिषभ रंजन ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को एक पत्र लिखा था। कोर्ट ने इस पत्र पर स्वत: संज्ञान लिया और विशेष पीठ का गठन किया था। उसी पीठ ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया।
मुंबई के आरे कॉलोनी में पेड़ों की कटाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को लगाए गए पौधों की पनपने या जीवित रहने की स्थिति पर रिपोर्ट तलब की रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने कहा कि वह मुंबई के आरे क्षेत्र में मेट्रो शेड परियोजना रोक नहीं रहा है। मामले में 15 नवंबर को अगली सुनवाई होगी।
इससे पहले सात अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई की आरे कॉलोनी में मेट्रो ट्रेन के डिब्बों का शेड बनाने के लिए और पेड़ काटे जाने पर रोक लगाई थी। महाराष्ट्र सरकार ने स्वीकार किया था कि जितने पेड़ काटने की आवश्यकता थी, पहले ही उनकी कटाई की जा चुकी है।
बता दें कि पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने की मांग करते हुए कानून के छात्र रिषभ रंजन ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को एक पत्र लिखा था। कोर्ट ने इस पत्र पर स्वत: संज्ञान लिया और विशेष पीठ का गठन किया था। उसी पीठ ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। बंबई उच्च न्यायालय ने चार अक्टूबर को आरे कॉलोनी को वन घोषित करने से इनकार कर दिया और मेट्रो शेड स्थापित करने के लिए हरित क्षेत्र में 2,600 से अधिक पेड़ों की कटाई की अनुमति देने के मुंबई नगर निगम के फैसले को खारिज करने से इनकार कर दिया।
हरित कार्यकताओं और स्थानीय निवासियों ने पेड़ों की कटाई का विरोध किया है। फैसले को चुनौती देने वाली गैर सरकारी संगठनों और कार्यकर्ताओं की चार याचिकाओं को उच्च न्यायालय द्वारा खारिज करने के कुछ घंटों बाद मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने पेड़ों की कटाई शुरू कर दी थी। इसको लेकर व्यापक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। पेड़ों की कटाई के दौरान कथित रूप से बाधा डालने और पुलिसकर्मियों पर हमला करने के आरोप में 29 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया था।