नई दिल्ली: दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने यह दावा किया है कि उपराज्यपाल अनिल बैजल ने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल की मंजूरी के बावजूद दिल्ली के सरकारी स्कूलों में कश्मीरी प्रवासी शिक्षकों की सेवाओं को नियमित करने का लगातार विरोध किया था। साथ ही सत्तारूढ़ पार्टी ने यह भी दावा किया है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में भारतीय जनता पार्टी के नेता ने मामले की पैरवी की थी।
दरअसल, एक टीवी न्यूज को दिए इंटरव्यू में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि उनकी सरकार ने माइग्रेंट कश्मीरी शिक्षकों को नियमित किया। इस पर कश्मीरी शिक्षकों के एक संगठन के दिलीप भान ने केजरीवाल के इस दावे को झूठा बताते हुए कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले से लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक, तारीख के साथ बताया था कि दिल्ली सरकार ने उनको नियमित करने में रुकावट डाली थी।
अब आम आदमी पार्टी प्रवक्ता आतिशी ने भान के इन आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि दिल्ली के एलजी अनिल बैजल ने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल की मंजूरी के बावजूद दिल्ली के सरकारी स्कूलों में कश्मीरी प्रवासी शिक्षकों की सेवाओं को नियमित करने का लगातार विरोध किया था।
उन्होंने कहा, दिल्ली सरकार ने उन्हें पक्का करने का फैसला किया है। ये बात जब दिल्ली हाईकोर्ट में सरकार की ओर से कही गई तब अनिल बैजल ने एक नोट लिखा कि ये सर्विस का मैटर है। दिल्ली सरकार को इसमें हस्तक्षेप का कोई अधिकार नहीं है। सभी राज्यपाल एलजी दफ्तर लेगा।
साथ ही आप प्रवक्ता ने कहा, दिल्ली हाईकोर्ट की डबल बेंच ने शिक्षकों को नियमित करने का फैसला सुनाया तो उपराज्यपाल की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में SLP दाखिल की गई। पिंकी आनंद ने कोर्ट में पैरवी की जो भारतीय जनता पार्टी के आती हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले आठ साल में बीजेपी सरकार ने कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के काम और शिक्षकों को नियमित करने के काम में अड़चन डाली है।
दरअसल, कश्मीरी पंडितों के साथ हुए अत्याचार पर बनी फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' को लेकर अरविंद केजरीवाल ने एक चैनल में कहा था कि बीजेपी ने कश्मीरी पंडितों के लिए क्या किया है? उन्होंने कहा, हमारी सरकार ने माइग्रेंट कश्मीरी शिक्षकों को नियमित किया है।