नई दिल्लीः राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को कहा कि भारत ने दुनिया को लोकतंत्र की वास्तविक क्षमता का पता लगाने में मदद की है। उन्होंने कहा कि देश में आज संवेदनशीलता एवं करुणा के जीवन-मूल्यों को प्रमुखता दी जा रही है और इन जीवन-मूल्यों का मुख्य उद्देश्य वंचित, जरूरतमंद तथा समाज के हाशिये पर रहने वाले लोगों के कल्याण के वास्ते कार्य करना है।
मुर्मू ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में कहा कि प्रमुख आर्थिक सुधारों के साथ अभिनव कल्याणकारी पहल की जा रही है और दुनिया ने ‘‘हाल के वर्षों में नए भारत को विकसित होते देखा है, विशेषकर कोविड-19 महामारी के प्रकोप के बाद।’’
लोकतंत्र की जड़ें बढ़ीं, बल्कि समृद्ध भी हुईं
राष्ट्रपति ने कहा कि जब भारत को स्वतंत्रता मिली, तो दुनिया के कई नेता और विशेषज्ञ थे, जिन्हें उस समय गरीबी और निरक्षरता के कारण भारत में सरकार के लोकतांत्रिक स्वरूप की सफलता के बारे में संशय था। उन्होंने कहा, ‘‘हम भारतीयों ने संदेह जताने वाले लोगों को गलत साबित किया। इस मिट्टी में न केवल लोकतंत्र की जड़ें बढ़ीं, बल्कि समृद्ध भी हुईं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास जो कुछ भी है वह हमारी मातृभूमि का दिया हुआ है। इसलिए हमें अपने देश की सुरक्षा, प्रगति और समृद्धि के लिए अपना सब कुछ अर्पण कर देने का संकल्प लेना चाहिए।’’ अपने 17 मिनट के संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि विश्व में चल रही आर्थिक कठिनाई के विपरीत, भारत की अर्थव्यवस्था को तेजी से आगे बढ़ाने का श्रेय सरकार तथा नीति-निर्माताओं को जाता है।
कोविड रोधी टीके की दो सौ करोड़ खुराक का आंकड़ा पार कर लिया
उन्होंने कहा कि देश का विकास अधिक समावेशी होता जा रहा है और क्षेत्रीय असमानताएं भी कम हो रही हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इस कोविड महामारी का सामना हमने जिस तरह किया है उसकी सर्वत्र सराहना की गई है। हमने देश में ही निर्मित टीके के साथ मानव इतिहास का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू किया। पिछले महीने हमने कोविड रोधी टीके की दो सौ करोड़ खुराक का आंकड़ा पार कर लिया है।’’
राष्ट्रपति ने कहा कि इस महामारी का सामना करने में भारत की उपलब्धियां विश्व के अनेक विकसित देशों से अधिक रही हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इस प्रशंसनीय उपलब्धि के लिए हम अपने वैज्ञानिकों, चिकित्सकों, नर्सों, पैरामेडिक्स और टीकाकरण से जुड़े कर्मचारियों के आभारी हैं। इस आपदा में कोरोना योद्धाओं द्वारा किया गया योगदान विशेष रूप से प्रशंसनीय है।’’
भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही प्रमुख अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक
मुर्मू ने कहा कि कोरोना महामारी ने पूरे विश्व में मानव-जीवन और अर्थव्यवस्थाओं पर कठोर प्रहार किया है। उन्होंने कहा, ‘‘जब दुनिया इस गंभीर संकट के आर्थिक परिणामों से जूझ रही थी, तब भारत ने स्वयं को संभाला और अब पुनः तीव्र गति से आगे बढ़ने लगा है। इस समय भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही प्रमुख अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक है।
भारत के ‘स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र का विश्व में ऊंचा स्थान है।’’ राष्ट्रपति ने कहा कि ‘‘हमारे अस्तित्व की सार्थकता एक महान भारत के निर्माण में ही दिखाई देगी।’’ कन्नड़ भाषा के माध्यम से भारतीय साहित्य को समृद्ध करने वाले महान राष्ट्रवादी कवि ‘कुवेम्पु’ ने कहा है: ‘‘मैं नहीं रहूंगा, न रहोगे तुम, परन्तु हमारी अस्थियों पर उदित होगी, उदित होगी नये भारत की महागाथा।’’
भारत ने सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार को अपनाया
उन्होंने कहा, ‘‘उस महान कवि का यह स्पष्ट आह्वान है कि मातृभूमि तथा देशवासियों के उत्थान के लिए सर्वस्व बलिदान करना हमारा आदर्श होना चाहिए। इन आदर्शों को अपनाने के लिए मैं अपने देश के युवाओं से विशेष अनुरोध करती हूं। वे युवा ही 2047 के भारत का निर्माण करेंगे।’’ राष्ट्रपति ने कहा कि अधिकांश लोकतांत्रिक देशों में वोट देने का अधिकार प्राप्त करने के लिए महिलाओं को लंबे समय तक संघर्ष करना पड़ा था, लेकिन गणतंत्र की शुरुआत से ही भारत ने सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार को अपनाया।
उन्होंने कहा कि इस प्रकार आधुनिक भारत के निर्माताओं ने प्रत्येक वयस्क नागरिक को राष्ट्र-निर्माण की सामूहिक प्रक्रिया में भाग लेने का अवसर प्रदान किया। उन्होंने कहा कि भारत को यह श्रेय जाता है कि उसने विश्व समुदाय को लोकतंत्र की वास्तविक क्षमता से परिचित कराया।
अर्थव्यवस्था को तेजी से आगे बढ़ाने का श्रेय सरकार तथा नीति-निर्माताओं को जाता है
उन्होंने कहा कि ‘स्टार्ट-अप’ की सफलता, विशेष रूप से यूनिकॉर्न की बढ़ती संख्या औद्योगिक प्रगति का एक जबरदस्त उदाहरण है और इसका श्रेय नरेन्द्र मोदी सरकार को जाता है और विश्व में चल रही आर्थिक कठिनाई के विपरीत, भारत की अर्थव्यवस्था को तेजी से आगे बढ़ाने का श्रेय सरकार तथा नीति-निर्माताओं को जाता है।
मुर्मू ने कहा, ‘‘पिछले कुछ वर्षों के दौरान भौतिक और डिजिटल अवसंरचना के विकास में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। प्रगति के प्रति हमारे देश में दिखाई दे रहे उत्साह का श्रेय कड़ी मेहनत करने वाले हमारे किसान और मजदूर भाई-बहनों को भी जाता है। साथ ही व्यवसाय की सूझबूझ से समृद्धि का सृजन करने वाले हमारे उद्यमियों को भी जाता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सबसे अधिक खुशी की बात यह है कि देश का आर्थिक विकास और अधिक समावेशी होता जा रहा है तथा क्षेत्रीय विषमताएं भी कम हो रही हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन यह तो केवल शुरुआत ही है। दूरगामी परिणामों वाले सुधारों और नीतियों द्वारा इन परिवर्तनों की आधार-भूमि पहले से ही तैयार की जा रही थी।
आर्थिक सुधारों के साथ-साथ जन-कल्याण के नए कदम
‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ का उद्देश्य भावी पीढ़ी को औद्योगिक क्रांति के अगले चरण के लिए तैयार करना तथा उन्हें हमारी विरासत के साथ फिर से जोड़ना भी है।’’ मुर्मू ने कहा कि आर्थिक प्रगति से देशवासियों का जीवन और भी सुगम होता जा रहा है और आर्थिक सुधारों के साथ-साथ जन-कल्याण के नए कदम भी उठाए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ की सहायता से गरीब के पास स्वयं का घर होना अब एक सपना नहीं रह गया है बल्कि सच्चाई का रूप ले चुका है। उन्होंने कहा कि इसी तरह ‘जल जीवन मिशन’ के अंतर्गत ‘हर घर जल’ योजना पर कार्य चल रहा है। राष्ट्रपति ने कहा कि इन उपायों का और इसी तरह के अन्य प्रयासों का उद्देश्य सभी को, विशेषकर गरीबों को, बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना है।
हमारा राष्ट्र नई ऊंचाइयों को छू सके
उन्होंने कहा, ‘‘इन जीवन-मूल्यों का मुख्य उद्देश्य हमारे वंचित, जरूरतमंद तथा समाज के हाशिये पर रहने वाले लोगों के कल्याण हेतु कार्य करना है। हमारे राष्ट्रीय मूल्यों को, नागरिकों के मूल कर्तव्यों के रूप में, भारत के संविधान में समाहित किया गया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ देश के प्रत्येक नागरिक से मेरी अपील है कि वे अपने मूल कर्तव्यों के बारे में जानें, उनका पालन करें, जिससे हमारा राष्ट्र नई ऊंचाइयों को छू सके।’’
राष्ट्रपति ने कहा कि आज देश में स्वास्थ्य, शिक्षा और अर्थव्यवस्था तथा इनके साथ जुड़े अन्य क्षेत्रों में जो अच्छे बदलाव दिखाई दे रहे हैं उनके मूल में सुशासन पर विशेष बल दिए जाने की प्रमुख भूमिका है। उन्होंने कहा कि भारत के नए आत्मविश्वास का स्रोत देश के युवा, किसान और सबसे बढ़कर देश की महिलाएं हैं।
निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की संख्या चौदह लाख से कहीं अधिक
उन्होंने कहा, ‘‘अब देश में स्त्री-पुरुष के आधार पर असमानता कम हो रही है। महिलाएं अनेक रूढ़ियों और बाधाओं को पार करते हुए आगे बढ़ रही हैं। सामाजिक और राजनीतिक प्रक्रियाओं में उनकी बढ़ती भागीदारी निर्णायक साबित होगी। आज हमारी पंचायती राज संस्थाओं में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की संख्या चौदह लाख से कहीं अधिक है।’’
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हमारे देश की बहुत सी उम्मीदें हमारी बेटियों पर टिकी हुई हैं। समुचित अवसर मिलने पर वे शानदार सफलता हासिल कर सकती हैं। अनेक बेटियों ने हाल में सम्पन्न हुए राष्ट्रमंडल खेलों में देश का गौरव बढ़ाया है। हमारे खिलाड़ी अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भी देश को गौरवान्वित कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे बहुत से विजेता समाज के वंचित वर्गों में से आते हैं। फाइटर पायलट बनने से लेकर अंतरिक्ष वैज्ञानिक तक, हमारी बेटियां बड़ी ऊंचाईयां छू रही हैं।" उन्होंने कहा, ‘‘जब हम स्वाधीनता दिवस मनाते हैं तो वास्तव में हम अपनी ‘भारतीयता’ का उत्सव मनाते हैं। हमारा भारत अनेक विविधताओं से भरा देश है। परंतु इस विविधता के साथ ही हम सभी में कुछ न कुछ ऐसा है जो एक समान है।
वनस्पतियों और जीवों को संरक्षित करने के लिए दृढ़ रहना चाहिए
यही समानता हम सभी देशवासियों को एक सूत्र में पिरोती है तथा ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।’’ उन्होंने पर्यावरण के बारे में भी बात की और कहा कि जब दुनिया नई चुनौतियों का सामना कर रही है, भारत को अपनी वनस्पतियों और जीवों को संरक्षित करने के लिए दृढ़ रहना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘ हम भारतवासी अपनी पारंपरिक जीवन-शैली से पूरी दुनिया को सही राह दिखा सकते हैं। योग एवं आयुर्वेद विश्व-समुदाय को भारत का अमूल्य उपहार है जिसकी लोकप्रियता पूरी दुनिया में निरंतर बढ़ रही है।’’ राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले 75 सप्ताह से देश में स्वाधीनता संग्राम के महान आदर्शों का स्मरण किया जा रहा है।
आज देश के कोने-कोने में हमारा तिरंगा शान से लहरा रहा
उन्होंने कहा, ‘‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ मार्च 2021 में दांडी यात्रा की स्मृति को फिर से जीवंत रूप देकर शुरू किया गया। यह महोत्सव भारत की जनता को समर्पित है।’’ उन्होंने कहा कि यह भव्य महोत्सव अब ‘हर घर तिरंगा अभियान’ के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘आज देश के कोने-कोने में हमारा तिरंगा शान से लहरा रहा है।
स्वाधीनता आंदोलन के आदर्शों के प्रति इतने व्यापक स्तर पर लोगों में जागरूकता को देखकर हमारे स्वाधीनता सेनानी अवश्य प्रफुल्लित हुए होते।’’ मुर्मू ने कहा कि पिछले वर्ष से हर 15 नवंबर को ‘जन-जातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाने का सरकार का निर्णय स्वागत-योग्य है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे जन-जातीय महानायक केवल स्थानीय या क्षेत्रीय प्रतीक नहीं हैं बल्कि वे पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।’’
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हमारा संकल्प है कि वर्ष 2047 तक हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों को पूरी तरह साकार कर लेंगे। इसी काल-खंड में हम बाबा साहब भीमराव आंबेडकर के नेतृत्व में संविधान का निर्माण करने वाली विभूतियों के दृष्टिकोण को साकार कर चुके होंगे। एक आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में हम पहले से ही तत्पर हैं। वह एक ऐसा भारत होगा जो अपनी संभावनाओं को साकार कर चुका होगा।’’
मुर्मू ने कहा कि14 अगस्त के दिन को विभाजन-विभीषिका स्मृति-दिवस के रूप में मनाया जा रहा है और इस स्मृति दिवस को मनाने का उद्देश्य सामाजिक सद्भाव, मानव सशक्तिकरण और एकता को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा, ‘‘15 अगस्त 1947 के दिन हमने औपनिवेशिक शासन की बेड़ियों को काट दिया था। उस दिन हमने अपनी नियति को नया स्वरूप देने का निर्णय लिया था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘उस दिन की वर्षगांठ मनाते हुए हम लोग सभी स्वाधीनता सेनानियों को सादर नमन करते हैं। उन्होंने अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया ताकि हम सब एक स्वाधीन भारत में सांस ले सकें।’’ उन्होंने कहा कि भारत की आजादी हमारे साथ-साथ विश्व में हर लोकतंत्र समर्थक के लिए उत्सव का विषय है।