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600 वैज्ञानिकों ने 'गाय का गोबर रेडिएशन घटाता है' वाले बयान पर कामधेनु आयोग से मांगा सबूत, जानें क्या है पूरा मामला

By अनुराग आनंद | Updated: October 19, 2020 15:39 IST

राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के चेयरमैन वल्लभभाई कथीरिया ने हाल ही में एक गोबर से बनी चिप लॉन्च की थी।

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ठळक मुद्देराष्ट्रीय कामधेनु आयोग के चेयरमैन वल्लभभाई कथीरिया द्वारा गोबर के चिप लांच करने के बाद ही इस मामले में विवाद बढ़ गया।वैज्ञानिकों ने वल्लभभाई कथीरिया को पत्र लिखकर उनसे अपने दावे को सही सिद्ध करने वाले साक्ष्य पेश करने को कहा है।गाय का गोबर सभी को बचाएगा, ये एंटी-रेडिएशन है, इसे वैज्ञानिक तरीके से साबित किया गया है: कामधेनु आयोग अध्यक्ष

नई दिल्ली:  बीते दिनों राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के चेयरमैन वल्लभ भाई कथीरिया ने कहा था कि गाय का गोबर रेडिएशन घटाता है। अब इस मामले में 600 से अधिक वैज्ञानिकों व शिक्षकों ने पत्र लिखकर कामधेनु आयोग के मुखिया से पूछा कि इस बात का सबूत दें कि क्या सच में गोबर रेडिएशन को कम करता है?

डेक्कन हेराल्ड रिपोर्ट की मानें तो वैज्ञानिकों ने अपने द्वारा लिखे पत्र में आयोग से पूछा है कि यह शोध कब और कहां किया गया है। यही नहीं आयोग ने शोध करने वाले वैज्ञानिक व रिसर्चर का नाम भी पूछा है। पत्र में आयोग से इस सवाल का भी जवाब मांगा गया है कि रिसर्च से जुड़े शोध को कहां प्रकाशित किए गए हैं, इस बात की भी जानकारी दी जाए।

जानें क्या है पूरा मामला?

बता दें कि पिछले दिनों राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के चेयरमैन वल्लभभाई कथीरिया एक गोबर से बनी चिप लॉन्च की थी, जिसको लेकर उन्होंने दावा किया था कि इस चिप के उपयोग से मोबाइल से निकलने वाली रेडिएशन को काफी हद तक कम किया जा सकता है। अब इस दावे के संबंध में करीब 600 वैज्ञानिकों और विज्ञान के शिक्षकों ने राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के अध्यक्ष वल्लभभाई कथीरिया को पत्र लिखकर उनसे अपने दावे को सही सिद्ध करने वाले साक्ष्य पेश करने को कहा है।

50 से 100 रुपये में गाय के गोबर से बना चीप मिलेगा

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार कथिरिया ने कहा, '500 से अधिक गौशालाएं इस तरह के एंटी-रेडिएशन चिप का निर्माण कर रही हैं। ये 50 से 100 रुपये में उपलब्ध हैं। एक व्यक्ति ऐसे चिप को अमेरिका में निर्यात कर रहा है, जहां इसे लगभग 10 डॉलर में में बेचा जाता है।'

यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार ने गोबर के चिप्स के विकास के लिए फंड उपलब्ध कराया है, काथिरिया ने कहा, 'हमारी कोशिश गाय के गोबर की विकिरण-रोधी गुणों को लोकप्रिय बनाना है...यह मोबाइल फोन के विकिरण से बचाता है।' 

यह पूछे जाने पर कि क्या चिप किसी सरकारी प्रयोगशाला द्वारा प्रमाणित हैं, कथीरिया ने कहा, 'ये प्रमाणित नहीं हैं लेकिन इनका परीक्षण हुआ है। इसका किसी भी प्रयोगशाला में परीक्षण किया जा सकता है, कॉलेज में भी।'

मोदी सरकार के मंत्री गिरिराज सिंह पहले भी गोबर पर शोध की बात कह चुके हैं-

बता दें कि गोबर पर यह विवाद पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले भी नरेंद्र मोदी सरकार में केंद्रीय पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह ने वैज्ञानिकों से आग्रह किया था कि वह अधिक से अधिक गोबर पर रिसर्च करें। अपने इस बयान को लेकर ट्विटर पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ट्रोल भी हो गए थे। 

केंद्रीय पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह ने वैज्ञानिकों को यह सुझाव देते हुए कहा था कि अगर गोबर पर अधिर शोध कर उससे और काम लिया जाए तो किसानों को दूध उत्पादन बंद करने के बाद भी अपनी गायों को रखने के लिए आर्थिक रूप से सक्षम बनाया जा सकता है। गिरिराज सिंह के इस बयान के बाद ट्विटर यूजर्स ने कहा था कि देश में रिसर्च के लिए और भी कई चीजें हैं लेकिन इन्हें गाय के गोबर पर शोध करवाना है।

टॅग्स :इंडियानरेंद्र मोदीगिरिराज सिंहगाय
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