पैसे की तंगी से हारकर छोड़ी थी पढ़ाई, 55 की उम्र में विधायकी जीतने के बाद लिया था स्कूल में एडमिशन
By भाषा | Published: July 22, 2018 01:31 PM2018-07-22T13:31:13+5:302018-07-22T13:38:30+5:30
पांचों बेटियों दिखाई शिक्षा की राह, पचपन की उम्र में बीजेपी के विधायक अब ग्रेजुएशन के लिए एडमिशन लेने वाले हैं।
जयपुर, 22 जुलाई (कुंज बिहारी माथुर): वह दूसरों को पढ़ने के फायदे बताया करते थे, लेकिन खुद के कम पढ़े होने का एहसास मन को सदा कचोटता था। अपनी बेटियों को पढ़ता देखकर तसल्ली कर लेते थे, लेकिन फिर उन्हीं बेटियों की प्रेरणा से भारतीय जनता पार्टी के एक विधायक ने बचपन में छूटी अपनी पढ़ाई की डोर को पचपन साल की उम्र में फिर से थाम लिया।
राजस्थान के उदयपुर ग्रामीण से भाजपा विधायक फूल सिंह मीणा ने क्षेत्र की बालिकाओं को शिक्षित करने की मुहिम चलाई और फिर अपनी पांच शिक्षित बेटियों के कहने पर खुद भी दसवीं और बारहवीं की पढ़ाई पूरी की। अब वह स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं। 59 वर्षीय मीणा ने 'भाषा' को बताया कि सेना में कार्यरत पिता की मौत के बाद परिवार की जिम्मेदारी के बोझ के चलते उन्होंने मजबूरी में पढ़ाई छोड़ कर खेती-बाड़ी की और परिवार का पालन पोषण किया।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2013 में राजनीति में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ मुहिम के तहत आदिवासी क्षेत्र की बालिकाओं को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया और एससी वर्ग की बालिकाओं को प्रोत्साहित करने के लिये माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक परीक्षा में 80 प्रतिशत से अधिक अंक लाने पर विधायक कोष से उदयपुर से जयपुर की हवाई यात्रा करवाने की घोषणा की।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 में दो छात्राओं के 80 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने पर उन्हें निशुल्क हवाई यात्रा कराई गई, जबकि 2017 में छह छात्राओं को निशुल्क हवाई यात्रा के साथ साथ मुख्यमंत्री सहित मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों से मुलाकात और विधानसभा भवन का भ्रमण करवाया गया।
मीणा का कहना है कि इस योजना के शुरुआती परिणाम बहुत उत्साहवर्द्धक हैं और अब इलाके में लड़कियों की शिक्षा के स्तर में सुधार आने लगा है। अब उन्होंने इस योजना का दायरा एससी वर्ग की बालिकाओं से बढा कर सामान्य वर्ग कर दिया है और घोषणा की है कि इस वर्ष उनके विधानसभा क्षेत्र से किसी भी वर्ग की बालिका यदि 80 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करेगी तो उसे निशुल्क हवाई यात्रा करवाई जायेगी।
उन्होंने बताया कि दूसरों को शिक्षा की ओर प्रेरित करते समय उन्हें खुद का शिक्षित न होना बहुत कचोटता था। बचपन में वह सिर्फ सातवीं कक्षा तक पढ़ाई कर पाए थे। उनकी इस दुविधा के बीच उनकी बेटियों ने उन्हें फिर से पढ़ाई करने के लिए प्रेरित किया और वह इस भूले बिसरे रास्ते पर फिर से निकल पड़े।
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वह बताते हैं कि बेटियों ने वर्ष 2013 में ओपन स्कूल से 10वीं कक्षा के लिये फार्म भरवा दिया, लेकिन विधायक बनने के बाद व्यस्तता के कारण वह 2014 में परीक्षा नहीं दे पाए, बेटियों ने 2015 में फिर से फार्म भर दिया और उन्होंने 10वीं की परीक्षा पास कर ली। 2016-2017 में वह 12 वीं पास कर गए और अब वह स्नातक स्तर की शिक्षा के पहले वर्ष की परीक्षा दे चुके हैं।
बच्चों की तरह उत्साह से भरे मीणा बताते हैं कि अब वह पूरे उत्साह से अपने विधानसभा क्षेत्र में शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिये प्रयास कर रहे हैं और बालिकाओं को शिक्षा के लिये प्रोत्साहित करने के दौरान यह बताना नहीं भूलते कि इस उम्र में वह शिक्षा हासिल करने के अपने सपने को साकार कर रहे हैं।
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हाल ही में समाजशास्त्र, राजनीतिक विज्ञान और हिन्दी साहित्य विषयों के साथ बीए प्रथम वर्ष कला की परीक्षा देने वाले मीणा का मानना है कि अगर जनप्रतिनिधि शिक्षित होगा तभी वह पूरी ईमानदारी से अन्य लोगों को शिक्षित होने के लिये प्रेरित कर सकेगा।