लाइव न्यूज़ :

32 सप्ताह की गर्भवती महिला को भ्रूण में गंभीर विसंगति, बंबई उच्च न्यायालय ने कहा-महिला को यह तय करने का अधिकार है कि वह गर्भावस्था को जारी रखना चाहती है या नहीं...

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: January 23, 2023 14:45 IST

न्यायमूर्ति गौतम पटेल और न्यायमूर्ति एस जी दिगे की खंडपीठ ने 20 जनवरी के अपने आदेश में चिकित्सकीय बोर्ड की इस राय को मानने से इनकार कर दिया कि भले ही भ्रूण में गंभीर विसंगतियां हैं, लेकिन गर्भपात नहीं कराया जाना चाहिए, क्योंकि इस मामले में गर्भावस्था का अंतिम चरण है।

Open in App
ठळक मुद्देआदेश की प्रति सोमवार को उपलब्ध कराई गई। सोनोग्राफी के बाद पता चला था कि भ्रूण में गंभीर विसंगतियां हैं।भ्रूण में गंभीर विसंगतियों के मद्देनजर गर्भधारण की अवधि मायने नहीं रखती।

मुंबईः बंबई उच्च न्यायालय ने 32 सप्ताह की गर्भवती एक महिला को भ्रूण में गंभीर विसंगतियों का पता लगने के बाद गर्भपात की अनुमति देते हुए कहा है कि महिला को यह तय करने का अधिकार है कि वह गर्भावस्था को जारी रखना चाहती है या नहीं।

 

 

न्यायमूर्ति गौतम पटेल और न्यायमूर्ति एस जी दिगे की खंडपीठ ने 20 जनवरी के अपने आदेश में चिकित्सकीय बोर्ड की इस राय को मानने से इनकार कर दिया कि भले ही भ्रूण में गंभीर विसंगतियां हैं, लेकिन गर्भपात नहीं कराया जाना चाहिए, क्योंकि इस मामले में गर्भावस्था का अंतिम चरण है।

आदेश की प्रति सोमवार को उपलब्ध कराई गई। सोनोग्राफी के बाद पता चला था कि भ्रूण में गंभीर विसंगतियां हैं और शिशु शारीरिक एवं मानसिक अक्षमताओं के साथ पैदा होगा, जिसके बाद महिला ने अपना गर्भपात कराने के लिए उच्च न्यायालय से अनुमति मांगी थी। अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘‘भ्रूण में गंभीर विसंगतियों के मद्देनजर गर्भधारण की अवधि मायने नहीं रखती।

याचिकाकर्ता ने सोच-समझकर फैसला किया है। यह आसान निर्णय नहीं है, लेकिन यह फैसला उसका (याचिकाकर्ता का), केवल उसका है। यह चयन करने का अधिकार केवल याचिकाकर्ता को है। यह चिकित्सकीय बोर्ड का अधिकार नहीं है।’’

अदालत ने कहा कि केवल देर हो जाने के आधार पर गर्भपात की अनुमति देने से इनकार करना न केवल होने वाले शिशु के लिए कष्टकारी होगा, बल्कि उस भावी मां के लिए भी कष्टदायक होगा, और इसकी वजह से कारण मातृत्व का हर सकारात्मक पहलू छिन जाएगा। अदालत ने कहा, ‘‘कानून को बिना सोचे समझे लागू करने के लिए ‘‘ महिला के अधिकारों से कभी समझौता नहीं किया जाना चाहिए।

पीठ ने कहा कि चिकित्सकीय बोर्ड ने दंपति की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति पर गौर नहीं किया। उसने कहा, ‘‘बोर्ड वास्तव में केवल एक चीज करता है: क्योंकि देर हो गई, इसलिए अनुमति नहीं दी जा सकती। यह पूरी तरह गलत है, जैसा कि हमने पाया है।’’ पीठ ने यह भी कहा कि भ्रूण में विसंगतियों और उनके स्तर का पता भी बाद में चला। 

टॅग्स :बॉम्बे हाई कोर्टकोर्टमुंबई
Open in App

संबंधित खबरें

भारतMaharashtra Civic Poll 2025 UPDATE: पूरे राज्य में मतगणना स्थगित, 21 दिसंबर को नए नतीजे की तारीख तय, सीएम फडणवीस ‘त्रुटिपूर्ण’ प्रक्रिया पर जताई नाराजगी

भारतIndiGo Flight: कुवैत से हैदराबाद जा रहे विमान को मुंबई किया गया डायवर्ट, 'ह्यूमन बम' की धमकी के बाद एक्शन

कारोबारLPG Prices December 1: राहत की खबर, रसोई गैस की कीमतों में बड़ा बदलाव, मुंबई, कोलकाता, दिल्ली, पटना और चेन्नई में घटे दाम, चेक करें

बॉलीवुड चुस्कीMalaika Arora: सफलता की राह पर कई उतार-चढ़ाव, लेखिका के रूप में शुरुआत करने को तैयार मलाइका अरोड़ा

भारतबीड सरपंच हत्याकांड: सरपंच संतोष देशमुख के परिवार से मिले उपमुख्यमंत्री अजित पवार, विरोध तेज करेंगे मराठा नेता मनोज जरांगे

भारत अधिक खबरें

भारतMahaparinirvan Diwas 2025: आज भी मिलिंद कॉलेज में संरक्षित है आंबेडकर की विरासत, जानें

भारतडॉ. आंबेडकर की पुण्यतिथि आज, पीएम मोदी समेत नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

भारतIndiGo Crisis: लगातार फ्लाइट्स कैंसिल कर रहा इंडिगो, फिर कैसे बुक हो रहे टिकट, जानें

भारतIndigo Crisis: इंडिगो की उड़ानें रद्द होने के बीच रेलवे का बड़ा फैसला, यात्रियों के लिए 37 ट्रेनों में 116 कोच जोड़े गए

भारतPutin Visit India: भारत का दौरा पूरा कर रूस लौटे पुतिन, जानें दो दिवसीय दौरे में क्या कुछ रहा खास