आंध्र प्रदेश में कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच तनातनी का गवाह बना 2020

By भाषा | Updated: January 4, 2021 12:07 IST2021-01-04T12:07:43+5:302021-01-04T12:07:43+5:30

2020 witness of conflict between executive and judiciary in Andhra Pradesh | आंध्र प्रदेश में कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच तनातनी का गवाह बना 2020

आंध्र प्रदेश में कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच तनातनी का गवाह बना 2020

(सूर्य देशराजू)

अमरावती, चार जनवरी देश और दुनिया की तरह साल 2020 में आंध्र प्रदेश भी कोरोना वायरस वैश्विक महामारी से जूझता रहा और संविधान के विभिन्न अंगों के बीच तनातनी एवं विशाखापत्तनम में गैस लीक होने जैसी अप्रिय घटनाओं के कारण राज्य सुर्खियों में बना रहा।

साल 2020 को अदालत में राज्य सरकार की शर्मिंदगी और इसके कारण कार्यपालिका एवं न्यायपालिका के बीच पैदा हुई तनातनी के लिए याद किया जाएगा। मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी ने प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे को उच्चतम न्यायालय के एक न्यायाधीश, आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जितेंद्र कुमार माहेश्वरी और अदालत के कई अन्य न्यायाधीशों के खिलाफ पत्र लिखने का अभूतपूर्व कदम उठाया।

अदालतों ने सरकारी इमारतों को वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के रंगों में रंगने, स्कूली शिक्षा में अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई, सतर्कता आयोग के कार्यालयों को करनूल में स्थानांतरित करने, राज्य निर्वाचन आयुक्त को अचानक हटाए जाने के फैसले जैसे रेड्डी के नेतृत्व वाले प्रशासन के कई फैसलों को रद्द कर दिया, जिसके कारण मुख्यमंत्री को शर्मिंदगी झेलनी पड़ी।

साल के अंत में उच्च न्यायालय की एक पीठ ने एक मामले की सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम द्वारा मुख्य न्यायाधीश जितेंद्र कुमार माहेश्वरी को स्थानांतरित किए जाने का उल्लेख करते हुए कहा था कि इससे आंध्र प्रदेश सरकार को अनुचित लाभ मिल सकता है।

पीठ ने कहा था कि न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखने के ‘‘अभूतपूर्व कदम’’ से मुख्यमंत्री को राहत मिले या नहीं मिले, लेकिन ‘‘सच्चाई यह है कि उन्हें मौजूद समय में अनुचित लाभ हासिल करने में सफलता मिल गई’’।

रेड्डी ने 2019 के अंत में सुझाव दिया था कि राज्य की तीन अलग राजधानियां हों और जनवरी 2020 में इस योजना को लागू करने के लिए कानून में तब्दीली करने की कोशिश की, लेकिन विधान परिषद ने इस विधेयक को पारित नहीं किया और विधानसभा में बहुमत के बावजूद यह विधेयक कानून नहीं बन पाया।

इसके बाद वाईएसआरसी ने विधान परिषद को समाप्त करने के लिए विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया।

अमरावती को राज्य की राजधानी बनाने के लिए 33,000 एकड़ से अधिक की भूमि देने वाले करीब 30,000 किसानों एवं उनके परिवारों ने राज्य की तीन राजधानियां बनाने के सरकार के फैसले के विरोध में प्रदर्शन किए।

इसके बाद इस संबंध में अदालत में मुकदमा दर्ज किया गया, जिसने सरकार के कदम पर रोक लगा दी।

राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव विवाद का एक और विषय बन गए तथा मुख्यमंत्री और राज्य निर्वाचन आयुक्त के बीच प्रत्यक्ष तनातनी की स्थिति पैदा हो गई। राज्य निर्वाचन आयुक्त ने कोरोना वायरस संक्रमण और लॉकडाउन के मद्देनजर चुनावी प्रक्रिया को स्थगित कर दिया था, जिसके कारण यह स्थिति पैदा हुई।

सरकार ने राज्य निर्वाचन आयुक्त एन रमेश कुमार को एक अध्यादेश के जरिए बर्खास्त कर दिया था, लेकिन अदालतों ने इस अध्यादेश को खारिज कर दिया और कुमार को पद पर बहाल करने का आदेश दिया।

इस बीच, आंध्र प्रदेश देश में कोरोना वायरस से सर्वाधिक प्रभावित राज्यों में शामिल रहा। राज्य में संक्रमण के 8.72 लाख मामले सामने आए और 7,111 लोगों की मौत हो गई, लेकिन राज्य सरकार ने जांच प्रयोगशालाओं, अस्पताल में बिस्तरों एवं अन्य उपकरणों की संख्या बढ़ाकर स्वास्थ्य सेवा संबंधी बुनियादी ढांचे में सुधार किया, जिससे इस आपदा से निपटने में मदद मिली।

विशाखापत्तनम की एलजी पॉलिमर्स इकाई में मई में गैस रिसाव के कारण 12 लोगों की मौत हो गई और 500 से अधिक लोगों की मौत हो गईं। इसके बाद अगस्त में हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड में हुए एक अन्य बड़े हादसे में 11 लोगों की मौत हो गई।

इसके अलावा, अत्यधिक गंभीर चक्रवात निवार और गोदावरी एवं कृष्णा नदियों में आईं कम से कम तीन बाढ़ों समेत प्राकृतिक आपदाओं ने किसानों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दीं।

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Web Title: 2020 witness of conflict between executive and judiciary in Andhra Pradesh

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