लखनऊ: उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में करीब 1.86 लाख शिक्षक ऐसे हैं जिन्होंने शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास नहीं की है. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि कक्षा आठ तक पढ़ाने वाले सभी शिक्षकों को टीईटी पास होना अनिवार्य है. अब वह शिक्षक परेशान हैं जो नौकरी तो कर रहे हैं लेकिन उन्होंने टीईटी पास नहीं किया है.
इन शिक्षकों की समस्या यह भी है कि दो साल के भीतर उन्हें टीईटी करना है, लेकिन उत्तर प्रदेश में तो तीन साल से टीईटी की परीक्षा ही नहीं हुई है और जल्दी ही यह परीक्षा होने की उम्मीद भी इन शिक्षकों को होती हुई दिखाई नहीं देती. ऐसे में इन 1.86 शिक्षकों को अपने नौकरी जाने का डर सता रहा है.
शिक्षकों को भय :
शिक्षकों के डर ही वजह भी है. सबसे बड़ी वजह सुप्रीम कोर्ट के फैसले के चलते उनकी नौकरी पर आया संकट है. जिन 1.86 शिक्षकों की नौकरी पर संकट आया है, उन्होने अभी तक टीईटी नहीं किया है. यह वह शिक्षक हैं वर्ष 2011 से पहले शिक्षक बने थे. तब टीईटी अनिवार्य नही थी. परंतु अब कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए बीएड/बीटीसी के साथ टीईटी करना अनिवार्य है.
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत ही टीईटी अनिवार्य किया था. यह अधिनियम वर्ष 2011 में लागू हुआ, उससे पहले जो शिक्षक बच्चों को पढ़ा रहे थे उनके लिए टीईटी अनिवार्य नहीं था. ऐसे तमाम शिक्षकों का प्रमोशन हुआ और वह जूनियर हाई स्कूलो में कक्षा छह से कक्षा आठ के बच्चों को पढ़ाने लगे. ऐसे शिक्षकों के लिए भी टीईटी करना अनिवार्य है.
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद की गाइडलाइन के अनुसार सभी शिक्षकों को टीईटी करना जरूरी है. इस मामले में शिक्षक सुप्रीम कोर्ट गए तो सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षकों के तर्क सुनने के बाद एक सितंबर को कहा सभी शिक्षकों को टीईटी करना जरूरी है. सुप्रीमकोर्ट ने सिर्फ उन शिक्षकों को ही छूट दी जिनका रिटायरमेंट होने में पाँच साल ही बचा है. बाकी शिक्षकों को दो वर्ष में टीईटी करना होगा.
अब टीईटी ना करने वाले शिक्षकों डर है कि गर दो साल में उन्होने टीईटी नहीं किया तो उनकी नौकरी खतरे में पड़ेगी. वही दूसरी तरफ राज्य में तीन सालों में टीईटी की परीक्षा ही आयोजित नहीं हुई है, ऐसे में जब राज्य में टीईटी परीक्षा हो ही नहीं रही है तो शिक्षक टीईटी परीक्षा पास कैसे करें? यह शिक्षकों की समझ में ही नहीं आ रहा.
उच्च शिक्षा मंत्री का वादा :
शिक्षकों के इस भय हो दूर करने के लिए अब उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय सक्रिय हुए हैं. उन्होने परेशान शिक्षकों को यह आश्वासन दिया है कि वह शिक्षा चयन सेवा आयोग से यह आग्रह करेंगे कि जल्द से जल्द टीईटी का आयोजन किया जाए.
योगेंद्र उपाध्याय का कहना है कि पहले टीईटी करवाने का जिम्मा परीक्षा नियामक प्राधिकरण का होता था. अब प्रदेश सरकार ने शिक्षा चयन आयोग का गठन किया हुआ है. इसी आयोग को टीईटी परीक्षा करवानी है. वर्ष 2023 में गठित इस आयोग ने अभी तक के भी परीक्षा नहीं कारवाई है.
बीते माह इस आयोग की अध्यक्ष ने इस्तीफा दे दिया, इस कारण अभी यह आयोग कार्यवाहक अध्यक्ष के सहारे चल रहा है. इस वजह से आयोग अभी यह परीक्षा आयोजित नहीं कर सकता. आयोग का नया अध्यक्ष ही यह परीक्षा कराएंगा. इस नाते इस परीक्षा में देर होगी लेकिन इसे जल्दी कराने का प्रयास सरकार करेगी.