वर्ल्ड हेल्थ डे: जानें डिप्रेशन से बचने के 5 उपाय, भारत में लगभग 6 करोड़ लोग हैं इससे पीड़ित
By गुलनीत कौर | Published: April 6, 2018 11:21 AM2018-04-06T11:21:50+5:302018-04-06T11:21:50+5:30
दुनिया भर में 322 मिलियन लोग डिप्रेशन से पीड़ित हैं, इनमें आधे लोग दक्षिण पूर्वी एशिया के हिस्सों से ही आते हैं। यहां भी भारत और चीन दो ऐसे देश हैं जहां डिप्रेशन से पीड़ित रोगियों की जनसंख्या सबसे अधिक है।
कैंसर, टीबी और एड्स, इन्हें हम जानलेवा बीमारियों में गिनते हैं। इसके पहचान होते ही हम हरकत में आ जाते हैं और हर संभव इलाज की कोशिश में लग जाते हैं। लेकिन इनके अलावा भी कुछ ऐसी बीमारियां हैं जो हमें देखने में इतनी बड़ी नहीं लगती हैं लेकिन धीरे-धीरे ये भी व्यक्ति को मौत की ओर ही लेकर जाती हैं। वर्ल्ड हेल्थ डे यानी विश्व स्वास्थ्य दिवस 2018 के मौके पर हम आपको डिप्रेशन से जुड़े कुछ इम्पोर्टेन्ट फैक्ट्स बता रहे हैं। आइए जानते हैं किस तरह डिप्रेशन मॉडर्न लाइफस्टाइल की एक खतरनाक बीमारी बनती जा रही है। पिछले साल वर्ल्ड हेल्थ डे की थीम डिप्रेशन थी और इस बार वर्ष 2018 में इसकी थीम 'यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज' है।
डिप्रेशन क्या है?
डिप्रेशन या अवसाद, यह एक प्रकार का मानसिक स्वास्थ्य विकार है। इसकी जड़ें तनाव और अत्यधिक सोचना हो सकती हैं। जीवन में चल रही कठिनायों के कारण तनाव ग्रस्त होना, चिंता में रहना, बेहद उदास होना, किसी भी व्यक्ति या चीज से लगाव ना रखना, सबसे दूर रहना, ये सभी कारण धीरे-धीरे व्यक्ति में डिप्रेशन को पैदा करते हैं।
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डिप्रेशन के लक्षण
- दो सप्ताह से अधिक उदासी
- स्वभाव में चिड़-चिड़ापन आना
- अकेलापन अच्छा लगना
- असफलता भरे विचार पसंद आना
- स्वयं को कोसना
- स्वास्थ्य में गिरावट
- सिर, पेट, पैर, जोड़ों में दर्द रहना
- वजन में गिरावट
- किसी भी चीज में अरुचि
- मासिक धर्म में अनियमितता
- सांस लेने में दिक्कत
- नींद में विघ्न आना या नींद ही ना आना
- मुंह का सूखना
- कब्ज रहना
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट
विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में डिप्रेशन तेजी से बढ़ रहा है। यह एक गभीर मुद्दा बन चुका है और इस रोग को अन्य बड़े रोगों की तरह ही गंभीरता से लिया जाना चाहिए। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य द्वारा 2015-16 में किए गए एक सर्वे के अनुसार देश में 15 करोड़ से भी अधिक लोग मानसिक रोगों से जूझ रहे हैं। और इसमें केवल डिप्रेशन के आंकड़े ही आसमान की छू रहे हैं।
चौकाने वाले आंकड़े
WHO की इस रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में 322 मिलियन लोग डिप्रेशन से पीड़ित हैं और इसमें से आधे लोग दक्षिण पूर्वी एशिया के हिस्सों से ही आते हैं। और यहां भी भारत और चीन दो ऐसे देश हैं जहां डिप्रेशन से पीड़ित रोगियों की जनसंख्या सबसे अधिक है और धीरे-धीरे बढ़ती चली जा रही है। यही कारण है कि मानसिक रोगों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और पूर्ण चिकित्सिक देखभाल दी जानी चाहिए।
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डिप्रेशन के कारण
-किसी लक्ष्य में असफलता मिलना
- बड़ा आर्थिक या अन्य नुकसान
- किसी प्रियजन की मृत्यु
- बहुत करीबी से बिछड़ जाने का दुःख
- लंबे समय से चला आ रहा शारीरिक रोग
- कमजोर व्यक्तित्व
- मानसिक धक्का लगना
- लाइफ में अचानक आया बदलाव
- आनुवांशिक कारण
डिप्रेशन का इलाज
डिप्रेशन से बचने या इसके इलाज का सबसे सही तरीका है काउंसलिंग। मानसिक रोग के विशेषज्ञ पीड़ित व्यक्ति से बात करते हैं, उसकी लाइफ की उतार-चढ़ाव को समझते हैं, किन कारणों से वह उदास है उसे जानने की कोशिश करते हैं। इसके बाद मरीज को आने वाले कुछ महीनों तक दवाएं दी जाती हैं जो उनके मेंटल स्वास्थ्य को नियंत्रित करती हैं। लेकिन चिकित्सिक इलाज के साथ मरीज को पारिवारिक सहयोग मिलना भी जरूरी होता है। अपने अपनों का सहयोग पाकर वह डिप्रेशन से जल्दी बाहर आ सकता है।
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डिप्रेशन से बचने का आसान तरीका
अमेरिकन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, रोजाना सिर्फ आधा घंटा फिजिकल एक्टिविटी करने से आपको डिप्रेशन से बचने मदद मिल सकती है। इससे आपको मोटापे, हाई बीपी, हाई कोलेस्ट्रॉल, जोड़ों में दर्द, पाचन विकार और मानसिक रोग जैसे अवसाद आदि से बचने में मदद मिल सकती है। एक शोध अध्ययन में पाया गया है कि एक हफ्ते में करीब 2 घंटे व्यायाम करने से अवसाद को रोका जा सकता है। अवसाद का तुरंत इलाज है जरूरी क्योंकि कई मामलों में स्थिति बिगड़ने पर इसका इलाज मुश्किल हो सकता है।
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