कीड़ों के जीनों में परिवर्तन करके नींद के रहस्य का लगाया गया पता, जानें अध्ययन में क्या खुलासा हुआ
By आजाद खान | Updated: June 12, 2023 12:21 IST2023-06-12T12:08:32+5:302023-06-12T12:21:44+5:30
इस अध्ययन को करने के लिए वैज्ञानिकों ने CRISPR नामक एक तकनीक का प्रयोग किया है। इस तकनीक में कीड़ों के 400 से भी ज्यादा जीनों को परिवर्तन किया गया है।

फोटो सोर्स: WikiMedia Commons (https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Edible_Worms.jpg)
Health News: नींद सेहत और खुशी के लिए बहुत ही जरूरी है लेकिन इसका दिमाग पर क्या प्रभाव पड़ता है, इसके लिए एक शोध किया गया है। इस शोध के लिए वैज्ञानिकों ने कीड़ों का इस्तेमाल किया है। वैज्ञानिकों ने कीड़ों का इस्तेमाल करके जीन और रसायनों का नींद पर प्रभाव पड़ने का अध्ययन किया है। आपको बता दें कि कीड़े साधारण जानवर होते हैं, जो मनुष्यों के कुछ जीनों से मिलते-जुलते होते हैं। यही कारण है कि अध्ययन के लिए इन्हें इस्तेमाल किया गया है।
वैज्ञानिकों का यह कहना है कि वे इनके जीनों में बदलाव करके वे यह देखना चाह रहे थे कि ये कीड़े नींद पर कैसा प्रभाव डालते है।
अध्ययन में क्या खुलासा हुआ
इस अध्ययन को सुकुबा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है। इसमें वैज्ञानिकों ने CRISPR नामक एक तकनीक का प्रयोग किया है। इस तकनीक में कीड़ों के 400 से भी ज्यादा जीनों को परिवर्तन किया गया है। इस परिवतर्न में इनमें से कुछ जीन मस्तिष्क में प्रेषक नामक रसायनों को बनाने में मदद करते हैं। बता दें कि प्रेषक मस्तिष्क के कोशिकाओं को आपस में बात करने में मदद करते हैं, और कीड़ों की नींद पर प्रभाव ज़ाहिर करते हैं। कुछ प्रेषक से कीड़ों को ज़्यादा तो कुछ से कम कम नींद आती है।
कुछ दवाओं का भी हुआ है प्रयोग
बता दें कि वैज्ञानिकों ने कम कम सोने और सुलाने में प्रेषकों की मात्रा में परिवर्तन करने वाली कुछ दवाइयों का भी परीक्षण किया है। ऐसे में उन्हें यह पता चला है कि कुछ दवाइयां कीड़ों को ज्यादा या कम सुला सकती हैं, जो प्रेषक पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, aldicarb नामक एक दवा प्रेषक acetylcholine की मात्रा बढ़ाकर कीड़ों को ज़्यादा सुलाती है। यही नहीं fluorouracil नामक एक और दवा प्रेषक serotonin की मात्रा को कम करके कीड़ों को कम सुलाती है।