मधुमेह यानी डायबिटीज (Diabetes) एक ऐसी बीमारी है, जिसमें रक्त में शर्करा ब्लड शुगर (Blood Sugar) बहुत अधिक होता है। टाइप 2 डायबिटीज, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि किसी व्यक्ति का शरीर या तो पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है, या उत्पादित इंसुलिन कोशिकाओं द्वारा खारिज कर दिया जाता है। इंसुलिन ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने और कोशिकाओं को ऊर्जा में बदलने के लिए आवश्यक है। यदि इंसुलिन ऐसा नहीं कर पाता है, तो शरीर में शुगर लेवल बढ़ सकता है, जिससे हृदय, आंख, नसों, गुर्दे और पैरों में गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं।
तेजी से कम करता है ब्लड शुगर लेवलटाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों को इसे कंट्रोल करने के लिए मीठी चीजों, सैचुरेटेड फैट और कैलोरी वाली चीजों को कम खाने या नहीं खाने की सलाह दी जाती है। कुछ लोग डायबिटीज के मरीजों को मीठे फलों के सेवन से बचने की भी सलाह देते हैं। लेकिन एक्सपर्ट मानते हैं कि फलों में नैचुरल शुगर होता है यानी वो प्राकृतिक रूप से मीठे होते हैं। इसलिए डायबिटीज के मरीजों को फलों का सेवन करना चाहिए। इसका कारण यह है कि फलों में शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक विटामिन और मिनरल्स होते हैं।
जानिये क्या कहती हैं एक्सपर्टइंटरनेशनल न्यूट्रिशनिश्ट शिखा ए शर्मा के अनुसार, अध्ययन से पता चलता है कि बेरी जैसे फलों को ब्लड में शुगर कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं। यही वजह है कि ऐसे लोगों को इन फलों का खूब सेवन करना चाहिए। इसके अलावा बेरी इंसुलिन सेंस्टिविटी को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। यह ब्लड शुगर को कंट्रोल करते समय अपना काम ठीक से करने में मदद करता है।
फाइबर का भी है बेहतर स्रोतअध्ययन से पता चलता है कि शुगर फ्रुक्टोज होने के बावजूद बेरी जैसे फल इंसुलिन संवेदनशीलता को बेहतर बनाने में मदद करते हैं और साथ ही रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करते हैं। इसके अलावा, बेरी में फाइबर में होते हैं, जो शरीर में भोजन को ठीक से पचाने में मदद करता है। नैचुरल शुगर होने के बावजूद, बेरी में कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है, जिसका अर्थ है कि वे मधुमेह वाले लोगों के लिए उपयुक्त हैं।