लाइव न्यूज़ :

केरल में वापस आया 'निपाह वायरस', जानें 48 घंटे में मौत बनने वाले इस वायरस के लक्षण, कारण, बचने के उपाय

By उस्मान | Updated: June 3, 2019 17:49 IST

जानलेवा निपाह वायरस' ने एक बार फिर केरल में दस्तक दे दी है। रिपोर्ट्स के अनुसार, एर्नाकुलम जिले के एक अस्पताल में भर्ती एक मरीज में निपाह वायरस मिलने की बात सामने आई है। इसके बाद से राज्य के लोगों में दहशत का माहौल बना हुआ है। बता दें कि पिछले साल इस खतरनाक वायरस ने 17 लोगों को मौत के मुंह में धकेल दिया था।

Open in App

जानलेवा निपाह वायरस' ने एक बार फिर केरल में दस्तक दे दी है। रिपोर्ट्स के अनुसार, एर्नाकुलम जिले के एक अस्पताल में भर्ती एक मरीज में निपाह वायरस मिलने की बात सामने आई है। इसके बाद से राज्य के लोगों में दहशत का माहौल बना हुआ है। बता दें कि पिछले साल इस खतरनाक वायरस ने 17 लोगों को मौत के मुंह में धकेल दिया था। 

केरल के स्वास्थ्य मंत्री के के शिलाजा ने कहा, 'यह खतरनाक वायरस राज्य के सबसे खराब स्वास्थ्य संकटों में एक है। एक व्यक्ति को एर्नाकुलम के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। लेकिन उसमें इस बीमारी की पुष्टि अभी नहीं हुई है और सरकार पुणे स्थित वायरोलॉजी संस्थान से इसकी पुष्टि का इंतजार कर रही है।

इधर एर्नाकुलम के जिला कलेक्टर मोहम्मद वाई सफिरुल्ला ने निपाह वायरस को लेकर सोशल मीडिया की खबरों को आधारहीन बताकर इसे खारिज करते हुए सभी से लोगों में दहशत नहीं फैलाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि निपाह वायरस के लक्षण वाले रोगियों की सामान्य चिकित्सा जांच की गई। चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। यदि इस तरह की जांच के आधार पर इस बीमारी की पुष्टि होती है, तो आधिकारिक तौर पर जनता को सूचित किया जाएगा और इसके प्रसार को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक सावधानी बरती जाएगी।

निपाह वायरस क्या है (What is Nipah Virus)

फिजिशियन एंड इंटरवेशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर केके अग्रवाल के अनुसार, निपाह वायरस से होने वाला इन्फेक्शन जानवरों से इंसानों में फैलता है। यह वायरस जानवरों और इंसानों में गंभीर किस्म की बीमारी पैदा करता है। इस वायरस का प्रारंभिक स्रोत फल चूसने वाले चमगादड़ हैं। इस जानलेवा वायरस का कोई इलाज नहीं है। यह मनुष्यों और जानवरों दोनों के लिए जानलेवा बन सकता है। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार निपा वायरस का उपहार टेरोपस जीनस नामक एक खास नसल के चमगादड़ से मिला है।

निपाह वायरस के लक्षण, कारण और बचने के उपाय (Causes, Symptoms, Risk factors of Nipah Virus)

1) निपाह वायरस के लक्षणों में सांस लेने में परेशानी, दिमागी सूजन, बुखार, सिरदर्द, अनिद्रा, मतली, कमजोरी, विचलन और भ्रम कि स्थिति आदि शामिल हैं। एक मरीज 48 घंटे के भीतर कोमा में जा सकता है। 

2) वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के अनुसार, इस खतरनाक वायरस के लिए अभी तक कोई वैक्सीन नहीं है। इससे संक्रमित व्यक्ति के लिए केवल 'इंसेंटिव सपोर्टिव केयर (आईएससी) ही इलाज है। 

3) यह वायरस सुअरों और अन्य घरेलू जानवरों को भी संक्रमित कर सकता है। इस वायरस का प्रारंभिक स्रोत फल चूसने वाले चमगादड़ हैं।

4) डबल्यूएचओ के अनुसार, एनआईवी को पहली बार 1998 में मलेशिया में पहचाना गया था। साल 2004 में खजूर का सेवन करने के बाद कई लोग संक्रमित हो गए थे। इसका कारण यह था कि उन्होंने चमगादड़ द्वारा चूसे हुए खजूर का सेवन किया था। 

5) यह वायरस संक्रमित चमगादड़, सूअर, या इस वायरस से पीड़ित के साथ सीधे संबंध में आने से फैलता है। डॉक्टर सलाह देते हैं कि जमीन पर पड़े हुए फलों का सेवन नहीं करना चाहिए। ध्यान रहे कि यह हवा के जरिए फैलने वाला वायरस नहीं है। 

6) इससे बचने के लिए आपको सूअरों, चमगादड़ और इससे पीड़ित व्यक्ति के पास जाने से बचना चाहिए। 

7) डॉक्टरों को इससे बचने के लिए संक्रमित व्यक्ति के इलाज के दौरान मास्क और ग्लव्स पहनने चाहिए। 

8) आपको जमीन पर पड़े हुए फलों को खाने से बचना चाहिए। संभव है वो फल चमगादड़ ने खाएं हों, उनका सेवन करने से आप इस वायरस की चपेट में आ सकते हैं।

9) अगर आप सूअर पालते हैं, तो आपको उनके पास जाने से बचना चाहिए और अन्य लोगों को भी उनके पास जाने से रोकना चाहिए।

निपाह वायरस का इलाज (Treatment of Nipah Virus) 

डॉक्टर के अनुसार, इस वायरस का अभी तक कोई स्थायी उपचार नहीं खोजा गया है। हालांकि कुछ एलॉपथी दवाईयां है लेकिन उनसे इसका कारगर इलाज संभव नहीं है। यह एक संक्रामक बीमारी है जो एक से दूसरे तक फैलती है। ऐसे में सलाह दी जाती है कि प्रभावित इंसान, जानवर या चमगादड़ के संपर्क में ना आएं। साथ ही गिरे हुए फलों को खाने की भी सलाह नहीं दी जाती है।

कुछ दिनों पहले खबर आई थी कि वैज्ञानिकों ने खतरनाक निपाह वायरस (Nipah virus) के लिए दवा की खोज कर ली है। इस एंटीवायरल ड्रग का नाम रेमेडिसविर (Remdesivir) है। हालांकि अभी इसका इस्तेमाल बंदरों में किया गया है और इसके साकारात्मक प्रभाव सामने आए हैं। निपाह वायरस का वर्तमान में सिर्फ एक ही इलाज मोनोक्लोनल एंटीबॉडी उपलब्ध है जो अभी भी प्रायोगिक है। पिछले साल भारत में निपाह वायरस के प्रकोप के दौरान इसका परीक्षण किया गया था।

टॅग्स :निपाह वायरसकेरलहेल्थ टिप्समेडिकल ट्रीटमेंट
Open in App

संबंधित खबरें

क्रिकेटकमाल संजू सैमसन, 15 गेंद, 5 छक्के और 43 रन की धांसू पारी, 10.3 ओवर में हासिल किए 121 रन, 56 गेंद शेष रहते जीत

क्राइम अलर्टकांग्रेस के निलंबित विधायक राहुल ममकूट्टथिल ने की हैवानियत, गर्भावस्था के समय कई बार रेप, रिश्ता सार्वजनिक किया तो वीडियो करेंगे वायरल, कार में गर्भपात की गोलियां दीं

क्राइम अलर्टKerala: पलक्कड़ विधायक राहुल ममकूटाथिल के खिलाफ यौन उत्पीड़न का केस दर्ज, महिला का जबरन अबॉर्शन कराने का आरोप

क्राइम अलर्ट7 माह पहले प्रेम विवाह, थिनर डालकर आग लगाई, 20 वर्षीय गर्भवती पत्नी को जलाकर मारा, पति शेरोन और सास रजनी पर केस

भारतक्या शशि थरूर केरल में बदलाव ला सकते हैं?, नए साल में भाजपा को मिलेगा नया अध्यक्ष!

स्वास्थ्य अधिक खबरें

स्वास्थ्य1,738 पुरुषों की जांच, क्या दवा हिंसा और घरेलू हिंसा को कम कर सकती?, देखिए रिपोर्ट में बेहद दिलचस्प खुलासा

स्वास्थ्यUP: 972 सीएचसी और 3735 पीएचसी में वेंटिलेटर बेड नहीं, मरीजों को हो रही दिक्कत

स्वास्थ्यपराली नहीं दिल्ली में जहरीली हवा के लिए जिम्मेदार कोई और?, दिल्ली-एनसीआर सर्दियों की हवा दमघोंटू, रिसर्च में खुलासा

स्वास्थ्यखांसी-जुकामः कफ सीरप की बिक्री पर लगाम कसने की कोशिश

स्वास्थ्यपुरुषों की शराबखोरी से टूटते घर, समाज के सबसे कमजोर पर सबसे ज्यादा मार