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नागपुर विधानसभा सत्रः 176 खुदरा और 39 थोक विक्रेताओं के लाइसेंस रद्द, मंत्री नरहरि जिरवाल ने कहा-खराब गुणवत्ता वाली दवाओं की बिक्री को लेकर एक्शन

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 10, 2025 16:13 IST

खराब गुणवत्ता वाले खांसी के सिरप बेचने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किए गए और लाइसेंस रद्द किए गए।

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ठळक मुद्देविशेष अभियान के तहत खांसी के सिरप और अन्य दवाओं के नमूने परीक्षण के लिए भेजे गए थे।176 खुदरा विक्रेताओं और 39 थोक विक्रेताओं के लाइसेंस रद्द किए गए। 136 खुदरा विक्रेताओं और 93 थोक विक्रेताओं का निरीक्षण किया गया।

नागपुरः खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) मंत्री नरहरि जिरवाल ने बुधवार को राज्य विधानसभा में बताया कि पिछले एक साल में महाराष्ट्र भर में खराब गुणवत्ता वाली दवाओं की बिक्री के कारण 176 खुदरा विक्रेताओं और 39 थोक विक्रेताओं के लाइसेंस रद्द किए गए हैं। जिरवाल ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक अमित सतम और अन्य विधायकों द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि एफडीए द्वारा शुरू किए गए एक विशेष अभियान के तहत खांसी के सिरप और अन्य दवाओं के नमूने परीक्षण के लिए भेजे गए थे।

उन्होंने बताया, “176 खुदरा विक्रेताओं और 39 थोक विक्रेताओं के लाइसेंस रद्द किए गए। इसके अलावा, 136 खुदरा विक्रेताओं और 93 थोक विक्रेताओं का निरीक्षण किया गया। खराब गुणवत्ता वाले खांसी के सिरप बेचने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किए गए और लाइसेंस रद्द किए गए।”

जिरवाल ने बताया कि अक्टूबर 2024 में एफडीए के अभियान के दौरान दवा दुकानों और कंपनियों में नकली कफ सिरप पाए गए थे। उन्होंने बताया कि चिकित्सकों, क्लीनिकों और फार्मासिस्टों को प्रोप्रानोलोल युक्त दवाएं न तो लिखने और न ही बेचने के निर्देश दिए गए थे। मंत्री ने बताया कि मुंबई, ठाणे, पुणे, औरंगाबाद और नागपुर संभागों में 10 स्थानों पर 36 नमूनों की जांच की गई, जिनमें से 34 खराब गुणवत्ता वाले पाए गए। उन्होंने बताया कि इनमें उच्च रक्तचाप, मधुमेह, तपेदिक, हृदय रोग और रक्त शोधन की दवाएं शामिल थीं।

राज्य में बच्चों के कफ सिरप के एक विशेष ब्रांड के छह नमूने भी खराब गुणवत्ता के पाए गए। उन्होंने बताया कि कई जिलों में औषधि निरीक्षकों के 176 पद खाली होने के कारण दवाओं के परीक्षण और नियंत्रण कार्य प्रभावित हुआ है। महाराष्ट्र में मुंबई, नागपुर और पुणे में तीन परीक्षण प्रयोगशालाएं हैं। जिरवाल ने बताया कि औषधि निरीक्षकों के 109 पद महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग के माध्यम से भरे जाएंगे।

शराब की दुकानें संचालित करने के लिए पंजीकृत आवासीय समितियों की अनुमति जरूरी: अजित पवार

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने बुधवार को कहा कि भारत में निर्मित विदेशी शराब (आईएमएफएल) और देसी शराब बेचने वाली दुकानों को अपने परिसरों में व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से संचालन शुरू करने से पहले पंजीकृत आवासीय समितियों से अनिवार्य सहमति प्राप्त करनी होगी। आबकारी विभाग के प्रमुख पवार ने निर्देश दिया कि इस नयी नीति को पूरे राज्य में लागू किया जाये।

पवार ने पुणे जिले के चिंचवड विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले भाजपा विधायक शंकर जगताप द्वारा उठाए गए एक प्रश्न का उत्तर देते हुए राज्य विधानमंडल के निचले सदन में बताया, ‘‘अब दोनों श्रेणियों की शराब की दुकानों के लिए पंजीकृत आवासीय समितियों से अनुमति लेना अनिवार्य होगा। इस नीति को पूरे महाराष्ट्र में समान रूप से लागू किया जाना चाहिए।’’

जगताप ने पुणे के चिंचवड-कालेवाड़ी क्षेत्र में संचालित शराब की दुकानों के लाइसेंस रद्द करने की मांग की। चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि सह्याद्री सोसाइटी में स्थित शराब की दुकान ‘विक्रांत वाइन’ ने नियमों का उल्लंघन करते हुए अपना संचालन शुरू कर दिया था। जगताप ने कहा कि अनुमति दिए जाने के समय भवन निर्माण का काम अधूरा था और लाइसेंस अधूरे दस्तावेजों के आधार पर जारी किया गया था।

उन्होंने इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। पवार ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए शराब की दुकानों के लिए संबंधित आवासीय समिति की सहमति की अनिवार्य आवश्यकता को दोहराया और सदन को उन दो दुकानों के संबंध में की गई कार्रवाई के बारे में जानकारी दी जिनके खिलाफ शिकायतें प्राप्त हुई थीं।

इस साल मार्च में आयोजित राज्य विधानमंडल के बजट सत्र के दौरान, पवार ने घोषणा की थी कि यदि शराब की दुकानें आवासीय समितियों के परिसर में स्थानांतरित होना चाहती हैं तो उनके लिए आवासीय समितियों से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त करना अनिवार्य होगा। कई आवासीय समितियों में व्यावसायिक प्रतिष्ठान हैं, जिनमें से कुछ में शराब की दुकानें भी हैं।

मरीज की मौत के बाद परिजनों ने पुणे के अस्पताल में तोड़फोड़ की

पुणे शहर में बुधवार को उपचार के दौरान एक मरीज की मौत के बाद उसके परिजनों ने अस्पताल पर पत्थरबाजी कर उसकी कांच की दीवार को क्षतिग्रस्त कर दिया। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि यह घटना शहर के हडपसर इलाके में हुई। अधिकारी ने प्रारंभिक जानकारी का हवाला देते हुए कहा कि अस्पताल में भर्ती एक मरीज की इलाज के दौरान मौत के बाद उसके परिजनों ने लापरवाही का आरोप लगाते हुए तोड़फोड़ की। हडपसर थाने के अधिकारी ने बताया, "गुस्साई भीड़ ने पथराव कर सह्याद्री अस्पताल के कांच के मुख्य प्रवेश द्वार को क्षतिग्रस्त कर दिया।"

उन्होंने आगे बताया कि पुलिसकर्मी तुरंत अस्पताल पहुंचे और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने में शामिल लोगों को हिरासत में लिया जा रहा है। मरीज के बेटे ने मीडिया को बताया कि अल्सर से संबंधित बीमारी के इलाज के लिए अस्पताल में उनका ऑपरेशन हुआ था।

उन्होंने कहा, "मेरे पिता की सेहत में सुधार हो रहा था, लेकिन अस्पताल के कर्मचारियों ने उन्हें व्हीलचेयर पर बिठा दिया, जिससे उनके टांके टूट गए। उनकी हालत बिगड़ती चली गई और मंगलवार रात उनकी मृत्यु हो गई।" इस मामले में अस्पताल की प्रतिक्रिया का इंतजार है।

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