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कोलकाता में 10 साल की बच्ची में 'चीनी निमोनिया' का पता चला, जानिए इस दुर्लभ बीमारी के बारे में

By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: January 3, 2024 15:01 IST

अस्पताल में जब बच्ची की चिकित्सा जांच की गई तब डॉक्टरों ने बीमारी का कारण माइकोप्लाज्मा निमोनिया (Mycoplasma pneumoniae ) पाया। इसे 'चीनी निमोनिया' कहा जाता है क्योंकि पिछले साल नवंबर में चीन में माइकोप्लाज्मा निमोनिया के कारण होने वाली सांस की बीमारी का बड़े पैमाने पर प्रकोप देखा गया था।

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ठळक मुद्देकोलकाता में 10 साल की बच्ची में 'चीनी निमोनिया' का पता चलाअब तक किसी गहन सहायता की आवश्यकता नहीं पड़ी25 दिसंबर को पार्क सर्कस अस्पताल में भर्ती कराया गया था

कोलकाता: कोलकाता के इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ में एक 10 वर्षीय लड़की में एक दुर्लभ प्रकार का निमोनिया माइकोप्लाज्मा निमोनिया पाया गया है। इसे  'चीनी निमोनिया' भी कहते हैं। दक्षिण कोलकाता के बांसड्रोनी के निवासी बच्चे को हल्की सांस लेने में तकलीफ, बुखार और खांसी की शिकायत के साथ 25 दिसंबर को पार्क सर्कस अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 

अस्पताल में जब बच्ची की चिकित्सा जांच की गई तब डॉक्टरों ने बीमारी का कारण माइकोप्लाज्मा निमोनिया पाया। इसे 'चीनी निमोनिया' कहा जाता है क्योंकि पिछले साल नवंबर में चीन में माइकोप्लाज्मा निमोनिया के कारण होने वाली सांस की बीमारी का बड़े पैमाने पर प्रकोप देखा गया था।  

एम्स-दिल्ली के डॉक्टरों को कुछ हफ्ते पहले कम से कम सात मरीजों में यह संक्रमण देखने को मिला जिनमें ज्यादातर बच्चे थे। कोलकाता के अस्पताल में बच्चे पर इलाज का अच्छा असर हो रहा है।

चीन के अलावा इस निमोनिया के कारण अमेरिका सहित अन्य देशों में श्वसन संक्रमण में वृद्धि हुई है और कुछ मौतें भी हुई हैं।  खराब फेफड़ों वाले बुजुर्ग भी इसके प्रति संवेदनशील होते हैं। 

आईसीएच-कोलकाता में बाल चिकित्सा प्रमुख प्रोफेसर जयदेब रे ने 10 वर्षीय लड़की में 'चीनी निमोनिया' के बारे में बताया कि दवाओं से लड़की की हालत ठीक हो रही है और उसे अब तक किसी गहन सहायता की आवश्यकता नहीं पड़ी है। उन्होंने बताया कि माइकोप्लाज्मा निमोनिया बैक्टीरिया हैं जो मुख्य रूप से श्वसन स्तर को नुकसान पहुंचाते हैं। लेकिन यह हृदय, गुर्दे और आंखों जैसे अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकते हैं। यह  गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है।   अच्छी बात यह है कि यह संक्रमण एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति अच्छी प्रतिक्रिया देता है और इससे फिलहाल घबराने की जरूरत नहीं है। 

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