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जंक फूड के सेवन से अवसाद बढ़ने का खतरा

By भाषा | Updated: December 22, 2018 13:42 IST

ब्रिटेन की मैनचेस्टर मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी के अनुंधानकर्ताओं ने पाया है कि जलन पैदा करने वाले आहार जिनमें कोलेस्ट्रोल, वसा और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा ज्यादा होती है, उनके सेवन से अवसाद का खतरा 40 प्रतिशत तक बढ़ सकता है।

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फास्ट फूड, केक और परिष्कृत मांस के सेवन से अवसाद का खतरा तेजी से बढ़ सकता है। एक अध्ययन में यह बात सामने आई है।

ब्रिटेन की मैनचेस्टर मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी के अनुंधानकर्ताओं ने पाया है कि जलन पैदा करने वाले आहार जिनमें कोलेस्ट्रोल, वसा और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा ज्यादा होती है, उनके सेवन से अवसाद का खतरा 40 प्रतिशत तक बढ़ सकता है।

एक टीम ने अवसाद और जलन पैदा करने वाले आहारों के बीच संबंध पर आधारित 11 अध्ययनों के आंकड़ों का विश्लेषण किया है। यह विश्लेषण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और मध्य पूर्व में फैले 16 से 72 आयुवर्ग के अलग अलग नस्ल के एक लाख लोगों पर किया गया है।

सभी अध्ययनों के दौरान प्रतिभागियों में अवसाद और अवसाद के लक्षण पाए गए हैं। सभी अध्ययनों में जलन पैदा करने वाला आहार लेने वालों में अवसाद और इसके लक्षण का खतरा करीब डेढ़ गुणा ज्यादा पाया गया।

पत्रिका क्लीनीकल न्यूट्रीशन में छपे अध्ययन के नतीजों में साफ है कि सभी आयु वर्ग और लिंग के लोगों के बीच अवसाद का खतरा है।

मैनचेस्टर मेट्रोपोलिटन यूनिवर्सिटी के स्टीव ब्रेडबर्न ने कहा, "इस अध्ययन से अवसाद और अन्य रोगों जैसे अल्जाइमर के उपचार में मदद मिल सकती है।"

उन्होंने कहा, "उपचार की जगह अपने आहार में बदलाव करके इस खतरे से बचा जा सकता है।"

डिप्रेशन के कारण

1. मानसिक आघात: किसी लक्ष्य में असफलता मिलना, किसी बड़े नुकसान, किसी प्रियजन की मृत्यु या किसी बहुत करीबी से बिछड़ जाने का दुःख जब दिमाग पर हावी होने लगता है तो यह व्यक्ति को डिप्रेशन की ओर ले जाता है।

2. शारीरिक रोग: लंबे समय से यदि रोग पीछा ना छोड़े तो ऐसा मरीज जीवन से अपनी चाहता को छोड़ देता है और डिप्रेशन में चला जाता है।

3. कमजोर व्यक्तित्व: कुछ लोग भावनात्मक रूप से काफी कमजोर होते हैं। इन लोगों के जीवन में जैसे ही कोई बदलाव आता है ये लोग मानसिक रूप से उसे स्वीकार नहीं कर पाते हैं।

4. आनुवांशिक: विभिन्न शोध के अनुसार डिप्रेशन आनुवांशिक भी हो सकता है। यदि माता-पिता डिप्रेशन सी पीड़ित हैं तो यह परेशानी उनके बच्चे में भी आ सकती है।

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