IIT कानपुर-बॉम्बे ने मिलकर बनाई अनोखी टेक्नोलॉजी, मिनटों में यह एयर प्यूरीफायर कोरोना वायरस को कर देगा नष्ट, यह भी है खासियत
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 28, 2022 04:32 PM2022-07-28T16:32:41+5:302022-07-28T16:36:34+5:30
आपको बता दें कि एआईआरटीएच के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रवि कौशिक के हवाले से एक बयाने आया है। बयान में कहा गया है कि एंटी माइक्रोबियल एयर प्यूरीफायर पहले से ही उपयोग किया जा रहा है लेकिन इसकी सीमाएं हैं। ऐसे में यह नई प्रौद्योगिकी वायुजनित रोगजनकों (पैथोजेन) एवं वायरस में ऐसा कुछ नहीं है।
नई दिल्ली: आईआईटी बम्बई और आईआईटी कानपुर ने मिलकर ‘सूक्ष्मजीवी रोधी वायु शुद्धिकरण प्रौद्योगिकी’ (एंटी माइक्रोबियल एयर प्यूरीफिकेशन टेक्नोलॉजी) का विकास किया है जो वायु प्रदूषण फैलाने वाले तत्वों एवं कोविड वायरस के खिलाफ प्रभावी साबित होगी।
इस प्रौद्योगिकी के दो फायदे है
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर के एक बयान के अनुसार, यह प्रौद्योगिकी न केवल वायु को शुद्ध करने में सहायक है बल्कि कीटाणुओं को भी नष्ट करती है और इसके जरिये सम्पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित होती हैं।
इसमें दावा किया गया है कि इस प्रौद्योगिकी का परीक्षण सीएसआईआर-आईएमटेक ने किया है और यह सार्स कोव-2 वायरस का प्रसार रोकने में सक्षम साबित हुई है। संस्थान का कहना है कि दुनिया अभी भी कोरोना वायरस के प्रकोप से पूरी तरह से मुक्त नहीं हुई है और इसके नए स्वरूप समय समय पर सामने आ रहे हैं।
यह नई प्रौद्योगिकी साबित हो रही है काफी प्रभावी
कई शीर्षस्थ संस्थाओं के शोध में यह बात सामने आई है कि कोविड-19 के साथ वायु प्रदूषण का युग्म काफी गंभीर होता है। बयान के अनुसार, आईआईटी कानपुर के स्टार्टअप इंकुबेशन एंड इनोवेशन सेंटर के तहत स्टार्टअफ एआईआरटीएच द्वारा विकसित यह नई प्रौद्योगिकी प्रभावी साबित हो रही है।
एंटी माइक्रोबियल एयर प्यूरीफायर के कुछ सीमाएं है, लेकिय इसमें नहीं है
आईआईटी बम्बई और आईआईटी कानपुर ने मिलकर ‘सूक्ष्मजीवी रोधी वायु शुद्धिकरण प्रौद्योगिकी’ (एंटी माइक्रोबियल एयर प्यूरीफिकेशन टेक्नोलॉजी) का विकास किया है। एआईआरटीएच के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रवि कौशिक के हवाले बयान में कहा गया कि एंटी माइक्रोबियल एयर प्यूरीफायर पहले से ही उपयोग किया जा रहा है लेकिन इसकी सीमाएं हैं।
लेकिन नई प्रौद्योगिकी वायुजनित रोगजनकों (पैथोजेन) एवं वायरस को प्रभावी ढंग से निष्क्रिय बनाते हैं। संस्थान के अनुसार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने इसके प्रोटोटाइप की जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।