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सूर्य का प्रकाश आपके बच्चे की आंख के लिए है वरदान, जानें कैसे?

By मेघना वर्मा | Updated: December 29, 2017 10:52 IST

आजकल हर बच्चे में पास की नजर कमजोर होने की समस्या सामने आ रही है, इसको दूर करने के लिए ये तरीका अपना सकते हैं।

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आपके बच्चे अगर स्मार्ट फोन पर घंटों समय बिताते हैं, तो उनकी आंखों की रोशनी कमजोर पड़ने की संभावना ज्यादा रहती है। मगर चिंता छोड़िए और उन्हें खेलने के लिए बाहर भेजिए। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर बच्चे हर रोज कम से कम दो घंटे बाहर सूरज की रोशनी में खेलते हैं, तो उनकी आंखें कमजोर होने से बच सकती हैं। 

निकट दृष्टि दोष (मायोपिया)

इस रोग में पास की नजर कमजोर होती है। इसमें पास की चीजें धुंधली दिखाई देती हैं। रोशनी आंख द्वारा अपवर्तन के बाद रेटिना के पहले ही प्रतिबिंब बना देता है (न कि रेटिना पर)। इस कारण दूर की वस्तुओं का प्रतिबिंब स्पष्ट नहीं बनता (आउट ऑफ फोकस) और चींजें धुंधली दिखती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इस परिस्थिति का कारण है आंखों में प्राकृतिक रोशनी की कमी का होना। 

सूर्य के प्रकाश में ना आना है प्रमुख वजह

लंदन में मूरफील्ड्स आई हॉस्पिटल में ओप्थाल्मोलॉजिस्ट की सलाहकार एनेग्रेट डाल्मान-नूर ने कहा, "आंख के कमजोर होने का मुख्य कारण सीधे तौर पर सूर्य के प्रकाश में ना आना है। जो बच्चे अधिक पढ़ते हैं, अधिक रूप से कम्प्यूटर, स्मार्टफोन और टैबलेट का इस्तेमाल करते हैं और जिन्हें बाहर खेलने-कूदने का कम अवसर मिलता है, उनमें यह कमी साफ नजर आती है।"

अभिभावकों के लिए बच्चों को इन उपकरणों के इस्तेमाल से रोकना बड़ा काम है। इसमें विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों को जितना हो सके, उतने अधिक समय के लिए बाहर खेलने के लिए लेकर जाएं। 'बीबीसी हेल्थ' की रिपोर्ट के अनुसार, लंदन के किंग्स कॉलेज के प्रोफेसर क्रिस हेमंड ने कहा, "हमें पता है कि आज के समय में बच्चों के बीच निकट दृष्टि दोष की समस्या आम बात हो गई है।"

दिन में दो घंटे बच्चों को खेलने दें बाहर

हेमंड ने कहा, "पास की नजर कमजोर ना हो उसके लिए बच्चों को बाहर सूरज की रोशनी में अधिक से अधिक समय बिताना चाहिए। दिन में दो घंटे बाहर बिताने से बच्चों में इस बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है।" इसके साथ ही बच्चों को ओमेगा-3 की डाइट देना जरूरी है। उन्हें विटामिन-ए, सी और ई की भी जरूरत होगी, जो उनकी आंखों के लिए लाभदायक है। इसके अलावा बच्चों की नियमित रूप से आंखों की जांच भी मददगार साबित हो सकती है।  

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