आपके आसपास कई ऐसे कई पेड़-पौधे हैं जो औषधीय गुणों से भरपूर हैं। आमतौर पर जंगली से दिखने वाले यह पेड़-पौधे सेहत का खजाना होते हैं। बस आपको इनका इस्तेमाल करने का तरीका आना चाहिए। ऐसा ही एक पौधा है 'अकवन', जिसे आक, मदार, आंकड़ा इत्यादि नामों से जाना जाता है।
जंगली और जहरीला समझा जाने वाला यह पौधा आपको कहीं भी देखने को मिल सकता है। बताया जाता है कि आक का रस कफ को दूर करता है और यह कान दर्द, बवासीर, खांसी, कब्ज, पेट के रोग, त्वचा रोगों के लिए फायदेमंद है। आयुर्वेद में इस पौधे का इस्तेमाल कई रोगों के उपचार के लिए किया जाता है।
जुकाम और बुखार के लिए जुकाम या नाक बंद होने पर अकवन के दो चम्मच दूध में दो चम्मच चावल भिगो दें। जब सूख जाए तो पीसकर कपड़े से छान लें। इसे सूंघने पर बंद नाक खुल सकती है। इसे सूंघने से छींक अधिक आए तो इसमें देसी घी मिला सकते हैं।
एड़ियों के दर्द के लिएएक मुट्ठी अकवन के फूल दो गिलास पानी में रात को उबालें और इसकी भाप से एड़ियों को सेंकें। इसके बाद गरम-गरम फूलों को एडियो पर बांधें। एक हफ्ते तक ऐसा करने से एड़ियों का दर्द दूर हो जाता है। इतना ही नहीं इस प्रयोग से शरीर के किसी भी अंग में दर्द हो रहा हो तो उस हिस्से को सेक करने से लाभ होता है।
पथरी के लिएऐसा माना जाता है कि अकवन के 2-3 फूल पीसकर एक गिलास दूध में घोलकर सुबह रोजाना 40 दिन तक पीने से पथरी नष्ट हो जाती है। लेकिन आपको ऐसा करने से पहले किसी एक्सपर्ट्स से सलाह लेनी चाहिए।
बवासीर के लिएखराब खानपान और बिगड़ती जीवाशैली की वजह से कब्ज और बवासीर जैसी बीमारी आम हो गई है। सूर्योदय से पहले आप अकवन के तीन बूंद दूध बताशे में डालकर खाने से बवासीर में काफी लाभ होता है।
सर और पेट दर्द के लिएयदि दर्द सूर्योदय के साथ बढ़ता घटता हो तो सुबह सूरज उगने से पहले एक बतासे पर दो बूंद अकवन के दूध को टपका कर खाएं काफी लाभ होगा। अकवन के जड़ की छाल, नौसादर, गेरू, काली मिर्च सभी बराब मात्रा में एक-एक चम्मच लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें आधा चम्मच कपूर पीसकर मिला लें। अब गर्म पानी के साथ आधा चम्मच चूर्ण लेने से पेट दर्द में लाभ होता है।
बिच्छू का विष हटाने के लिएयदि किसी को बिच्छू काट ले तो विष उतारने के लिए आक की जड़ को पानी में पीसकर लेप लगाया जाता है। इससे बिच्छू का विष उतर जाता है।
कान की गांठ और दांत दर्द के लिएदांत में किसी प्रकार के दर्द में अकवन के दूध में हल्का सा सेंधा नमक मिलाकर दर्द वाले हिस्से पर लगा देने से लाभ मिलता है। कान और कनपटी में गांठ निकलने एवं सूजन होने पर अकवन के पत्ते पर चिकनाई लगा कर हल्का गर्म करके बांधते हैं। कान में दर्द हो तो आक के दूध पत्ते पर घी लगाकर आग पर सेक कर उसका रस निकाल कर ठंडा कर कान में एक-एक बूंद डालने से लाभ होता है।