डायबिटीज एक खतरनाक बीमारी है जिसका कोई स्थायी इलाज नहीं है। आजकल केवल बुजुर्ग ही नहीं बच्चे और युवा भी इसका तेजी से शिकार हो रहे हैं। समय के साथ डायबिटीज से आपको दिल, रक्त धमनियों, आंखों और किडनी संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। महिलाओं और पुरुषों में डायबिटीज के अलग-अलग संकेत और लक्षण होते हैं। हम आपको बच्चों में डायबिटीज के लक्षण, संकेत, खतरे और बचाव की जानकारी दे रहे हैं।
सभी पेरेंट्स इस बात को अच्छी तरह जानते हैं कि शिशु और छोटे बच्चे बहुत सोते और पीते हैं। लेकिन अगर आपका बच्चा अचानक सामान्य से बहुत ज्यादा प्यास महसूस करने लगे, तो यह टाइप 1 डायबिटीज का लक्षण हो सकता है। किसी बच्चे को शिशु अवस्था, उससे थोड़ा बड़ा होने या एक किशोर के रूप में टाइप 1 डायबिटीज हो सकता है। ज्यादातर यह 5 साल की उम्र के बाद दिखाई देता है। लेकिन कुछ लोगों को यह 30 की उम्र तक भी इसके संकेत नहीं दिखते हैं।
टाइप 1 डायबिटीज क्या है?
यह टाइप 2 डायबिटीज के समान नहीं है, जो अक्सर मोटापे से जुड़ा होता है और वयस्कों में देखा जाता है (लेकिन यह बच्चों में भी हो सकता है, आमतौर पर 10 साल की उम्र के बाद)।
यदि आपके बच्चे को टाइप 1 डायबिटीज है, तो इसका मतलब है कि उसका अग्न्याशय बहुत कम इंसुलिन बनाता है। यह स्थिति एक ऑटोइम्यून विकार है, यह तब होता है जब शरीर की रक्षा प्रणाली हमला करती है और इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को नष्ट कर देती है।
बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज के लक्षण
अचानक अजीब व्यवहार करना, सांस में मीठी या वाइन की तरह खुशबू आना, अत्यधिक सुस्ती, ऊर्जा की कमी, ज्यादा प्यास लगना, सांस लेते हुए घुरघुराना, हांपना, ज्यादा भूख, देखने में परेशानी, अचानक वजन कम होना, ज्यादा पेशाब आना, सांस लेने मे तकलीफ आदि इसके लक्षणों में शामिल हैं।
टाइप 1 डायबिटीज से अचानक ब्लड शुगर में अत्यधिक बदलाव हो सकता है, जो खतरनाक है। यदि आप अपने बच्चे में इस तरह के किसी भी लक्षण को नोटिस करते हैं, तो उसे जल्द से जल्द डॉक्टर के पास ले जाएं।
अगर आपके बच्चे के पहले से ही डायबिटीज का इलाज चल रहा है, तो इन लक्षणों के दिखने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें। धुंधला दिखना, ठंड लगना, रूखी त्वचा, उलझन, चक्कर आना, थकान, अत्यधिक या अचानक भूख बढ़ना, सरदर्द, पीला, नम त्वचा, पल्स का बढ़ना, हल्की सांस लेना, पसीना आना और दुर्बलता आना।
बच्चों को डायबिटीज से बचाने के उपाय
पेरेंट्स अपने बच्चे को डायबिटीज से बचाने के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं। इसके लिए आपको बच्चे में हेल्दी हैबिट्स पैदा करनी होंगी। इसके लिए आप बच्चे को अपने साथ वॉक पर ले जाएं, आउटडोर खेल में हिस्सा लें, रोजाना कम से कम एक घंटा फिजिकल एक्टिविटी करें, उसे मीठी चीजें कम खिलाएं, ताजे फल और सब्जियों खाने को दें, इलेक्ट्रिक गैजेट से दूर रखें।