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टीबी मरीजों के हित में मोदी सरकार ने लिया कड़ा फैसला, इलाज ना करने पर डॉक्टरों को होगी जेल

By ऐश्वर्य अवस्थी | Updated: March 21, 2018 09:15 IST

आंकड़ों के अनुसार साल 2016 में टीबी के रोग से 432,000 भारतीयों की मौत हुई थी, यानि प्रतिदिन 1183 से ज्यादा लोग टीबी से मरे थे।

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नई दिल्ली( 21 मार्च): दुनिया में तपेदिक के एक करोड़ से ज्यादा मामले सामने आए हैं, उनमें 27 लाख से ज्यादा भारत में दर्ज किए गए।  भारत से 2025 तक टीबी खत्म करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के साथ ‘टीबी मुक्त भारत अभियान’ की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा लक्ष्य विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की समय सीमा वर्ष 2030 से पांच साल पहले टीबी के खात्मे का है।

किंतु इस कठिन मुकाम को हासिल करने के लिए सरकार को एक्टिव केस, निगरानी, शोध, नि:शुल्क दवाएं और निजी स्वास्थ्य क्षेत्र पर खास तौर पर जोर देना होगा। लेकिन अब ऐसा पहली बार होगा कि टीबी मामलों के मामलों को सूचित न करने के लिए डॉक्टर, अस्पताल के अधिकारी, रसायनज्ञों और ड्रगिस्टों को जेल की सजा मिल सकती है।

 हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक सूचना जारी की है जिसके मुताबिक  अगर डॉक्टर या स्थानीय अधिकारियों ने टीबी की बिमारी से मरीज को सूचित नहीं करवाया या मरीजों का इलाज नहीं किया गया तो उसे धारा 290 के तहत 6 माह से दो साल तक की सजा और जुर्माना भुगतना हो सकता है। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक चिकित्सा संस्थानों, अस्पताल, क्लीनिक, डिस्पेंसरी, आदि सभी पर तापेदित की दवा भी मरीज को दी जाएंगी साथ ही इस तरह के किसी भी मरीज के साथ भेदभाव का व्यवहार ना करने का भी सरकार का अश्वासन है। वहीं, मरीजों के हित को देखते हुए 2012 में भारत में तपेदिक को एक सूचनात्मक रोग बनाया गया था, लेकिन उस  समय इसमें दंड या कार्रवाई का कोई प्रावधान नहीं था। मंत्रालय ने प्रयोगशालाओं और चिकित्सा चिकित्सकों, क्लीनिकों, अस्पतालों, नर्सिंग होम आदि के लिए इसको लेकर अलग रिपोर्टिंग प्रारूप जारी किए हैं।

2020 तक भारत का टीबी मुक्त लक्ष्य

आंकड़ों के अनुसार साल 2016 में टीबी के रोग से 432,000 भारतीयों की मौत हुई थी, यानि प्रतिदिन 1183 से ज्यादा लोग टीबी से मरे थे। यहीं वजह है कि सरकार के कफ अभियान का उद्देश्य साल 2025 तक भारत से टीबी को खत्म करने का है। वहीं, 2030 में होने वाले टीबी उन्मूलन में सहायता मिल सकें और धूम्रपान करने वालों में कमी आ सके।

यह अभियान धूम्रपान छोड़ने वालों को प्रोत्साहन देगा साथ ही सही समय पर टीबी की पहचान और इलाज कराने में उनके लिए मददगार भी साबित होगा। वाइटल स्ट्रेटजी के प्रेजिडेंट और चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर जोस ल्युस केस्ट्रो का कहना है कि भारत में अधिकतर टीबी से होने वाली मौत 30 से 69 साल की उम्र के लोगों की होती है। गौरतलब है कि 2017 में विश्व तंबाकू दिवस पर ‘कफ’ अभियान को लांच किया गया था।

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