Coronavirus: वैज्ञानिकों का दावा, भारत में यूरोप सहित इन 4 जगहों से आया है कोरोना वायरस
By भाषा | Published: June 10, 2020 09:30 AM2020-06-10T09:30:15+5:302020-06-10T09:30:15+5:30
वैज्ञानिक यह भी पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या भारत और अन्य देशों में कोरोना का रूप अलग-अलग है क्या
भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) ने एक अध्ययन के बाद कहा है कि हो सकता है कि भारत में नया कोरोना वायरस यूरोप, ओसीनिया और पश्चिम एशिया क्षेत्रों से आया हो। आईआईएससी ने यह बात 294 भारतीय विषाणु जीनोम का अध्ययन करने के बाद कही।
अध्ययन करने वाली टीम में कुमार सोमसुंदरम, अंकित लॉवर्डे और मैनाक मंडल शामिल थे। अध्ययन का उद्देश्य विश्व के अन्य देशों की तुलना में भारत में पाए जाने वाले सार्स-कोव-2 विषाणुओं के बीच आनुवंशिक विविधता का पता लगाना था।
देश में यूरोप से आया कोरोना वायरस
टीम ने कहा कि भारत में नए कोरोना वायरस का संभावित मूल मुख्यत: यूरोप, पश्चिम एशिया, ओसीनिया और दक्षिण एशिया क्षेत्रों से प्रतीत होता है जिसका प्रसार ऐसे देशों से अधिक होता है जहां की लोग अधिक यात्रा करते हैं।
इसने यह भी उल्लेख किया कि विश्व में नए कोरोना वायरस की चपेट में 50 लाख से अधिक लोग आए हैं, वहीं भारत में इसने हाल ही में एक लाख का आंकड़ा पार किया है।
देश में कोरोना की धीमी रफ्तार के ये हैं बड़े कारण
टीम के अनुसार, भारत में संक्रमण की निम्न दर का कारण लंबे समय तक लागू रहा लॉकडाउन, प्रभावी भौतिक दूरी, कोविड-19 के रोगियों की सटीक पहचान और उन्हें पृथक-वास में रखकर उचित उपचार जैसे कारक हो सकते हैं।
इसने कहा, ‘‘विभिन्न क्षेत्रों अथवा देशों से विषाणु जीनोम अनुक्रम की तुलना से हमें विषाणुओं में आनुवंशिक विविधता का पता लगाने में मदद मिलती है। इससे विषाणु की प्रचंडता, बीमारी का स्तर और मूल तथा देशों के बीच सार्स-कोव-2 के प्रसार के बारे में जानने में सहायता मिलेगी।’’
देश में संक्रमितों की संख्या 2.6 लाख के पार
देश में कोरोना वायरस संक्रमण के एक दिन में रेकॉर्ड 9,987 मामले सामने आने के बाद मंगलवार सुबह तक कुल संक्रमितों की संख्या 2.6 लाख के पार चली गई। नए रोजाना मामले 10,000 के करीब पहुंच रहे हैं। मामले ऐसे समय बढ़ रहे हैं जब देश 75 दिन के लॉकडाउन से बाहर निकला है और देश के कई हिस्सों में कड़ी शर्तों के साथ मॉल, धार्मिक स्थल और कार्यालय खुल रहे हैं। जून की शुरुआत के बाद से ही देश में कोविड-19 की वजह से रोजाना 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो रही है और मृतकों की यह संख्या 7,466 तक पहुंच गई है।
जॉन हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के आंकड़ों के अनुसार अमेरिका, ब्राजील, रूस और ब्रिटेन के बाद कोविड-19 से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला भारत पांचवां देश बन गया है। हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, असम, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ और त्रिपुरा में तेजी से मामले बढ़े हैं। पिछले 24 घंटे में 266 लोगों की मौत हुई है और संक्रमण के 9,987 नए मामले सामने आए हैं। देश में लगातार छठे दिन 9,000 से ज्यादा मामले सामने आए हैं और संक्रमितों की संख्या 2,66,598 हो गई है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि देश में फिलहाल 1,29,917 मरीजों का उपचार चल रहा है और 1,29,214 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं जबकि एक व्यक्ति देश से बाहर जा चुका है। कुल संक्रमितों में विदेशी नागरिक भी शामिल हैं। मंत्रालय ने बताया, ‘‘अब तक 48.47 फीसदी लोग स्वस्थ हो चुके हैं।’’ भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कहा कि मंगलवार सुबह नौ बजे तक 49,16,116 नमूनों की जांच हो चुकी है। पिछले 24 घंटे में 1,41,682 नमूनों की जांच हुई।
मंगलवार सुबह तक हुई 266 मौतों में से सबसे ज्यादा 109 लोगों की जान महाराष्ट्र में गई है। इसके बाद दिल्ली में 62, गुजरात में 31, तमिलनाडु में 17, हरियाणा में 11, पश्चिम बंगाल में नौ, उत्तर प्रदेश में आठ, राजस्थान में छह, जम्मू-कश्मीर में चार, कर्नाटक में तीन, मध्य प्रदेश और पंजाब में दो-दो और बिहार तथा केरल में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है। देश में अब तक कुल 7,466 मौतों में से महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 3,169 लोगों की मौत हुई। इसके बाद गुजरात में 1,280, दिल्ली में 874, मध्य प्रदेश में 414, पश्चिम बंगाल में 405, तमिलनाडु में 286, उत्तर प्रदेश में 283, राजस्थान में 246 और तेलंगाना में 137 लोगों की मौतें हुईं।
आंध्र प्रदेश में कोविड-19 से 75, कर्नाटक में 64 और पंजाब में 53 लोगों की मौत हुई। जम्मू-कश्मीर में 45, हरियाणा में 39, बिहार में 31, केरल में 16, उत्तराखंड में 13, ओडिशा में नौ, झारखंड में सात लोगों की मौत हुई। मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ में कोविड-19 से पांच-पांच और असम तथा छत्तीसगढ़ में चार-चार लोगों की मौत हुई है। वहीं मेघालय और लद्दाख में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई। मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार मृतकों में से 70 फीसदी से ज्यादा लोग पहले से ही अन्य बीमारियों के शिकार थे।