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Good News! कोरोना वायरस को आइसोलेट करने में भारत को मिली कामयाबी, अब जल्द बन सकेगी कोविड-19 की वैक्सीन

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: March 15, 2020 08:43 IST

कोरोना वायरस को आइसोलेट करना बड़ी कामयाबी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के वैज्ञानिक आर. आर. गंगाखेड़कर बताते हैं कि कोरोना वायरस आसानी से आइसोलेशन में नहीं आता है.

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ठळक मुद्देकोरोना वायरस एक ओर जहां तेजी से फैल रहा है कोविड-19 के वायरस को आइसोलेट करने में सफलता हासिल कर ली है.

नई दिल्ली: कोरोना वायरस एक ओर जहां तेजी से फैल रहा है वहीं दूसरी ओर भारत ऐसा पांचवां देश बन चुका है, जिसने कोविड-19 के वायरस को आइसोलेट करने में सफलता हासिल कर ली है. भारत से पहले चीन, जापान, थाईलैंड और अमेरिका इस वायरस को आइसोलेट करने में कामयाबी हासिल कर चुके हैं. बता दें कि अब तक दुनियाभर में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या 5000 से भी अधिक हो चुकी है, जबकि 1.35 लाख से भी अधिक लोग इससे संक्रमित हैं.

सिर्फभारत में ही कोरोना वायरस के 83 मामलों की पुष्टि हो चुकी है और अब तक 2 लोगों की इससे मौत भी हो चुकी है. वायरस को आइसोलेट करना बड़ी कामयाबी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के वैज्ञानिक आर. आर. गंगाखेड़कर बताते हैं कि कोरोना वायरस आसानी से आइसोलेशन में नहीं आता है.

ऐसे में इसे आइसोलेट करने में कामयाबी हासिल कर लेना बड़ी सफलता है. इसकी वजह से दवा बनाना और उसकी टेस्टिंग करना आसान हो जाएगा, क्योंकि हर दवा की टेस्टिंग के लिए उस विषाणु की जरूरत होती है, जिसके खिलाफ दवा बनाई जाती है. मानव शरीर के बाहर हो सकेंगे टेस्ट अगर आसान भाषा में समझें तो अब वैज्ञानिकों को कोरोना वायरस का पूरा सैंपल मानव शरीर के बाहर रखने में सफलता मिल चुकी है.

आईसीएमआर के ही डॉक्टर बलराम भार्गव भी कहते हैं कि यह बड़ी सफलता है, क्योंकि इससे दवा, वैक्सीन और टेस्टिंग किट बनाने में मदद मिलेगी. उन्होंने ये भी कहा कि कोरोना वायरस का आइसोलेशन काफी मुश्किल था, क्योंकि भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या बहुत ही कम है. आइसोलेट किए वायरस 99.98% वुहान जैसे डॉक्टर आर. आर. गंगाखेड़कर बताते हैं कि गले और नाक से लिए गए कुल 21 सैंपल की जांच की गई, जिसके बाद ये सफलता मिली है. इसमें 11 टेस्ट पॉजीटिव आए, जिनमें से वायरस के 8 स्ट्रेन को आइसोलेट करने में सफलता मिली.

उन्होंने बताया कि ये वायरस 99.98% बिल्कुल वैसे हैं, जैसे चीन के वुहान से फैले शुरू हुए थे. पता चल सकेगा कहां से पैदा हुआ कोरोना वायरस आईसीएमआर के विशेषज्ञ बताते हैं कि कोरोना वायरस के आइसोलेशन ये भी पता लगाना आसान हो जाएगा कि वो पैदा कैसे हुआ और साथ ही उसकी बायोलॉजी भी समझ आएगी.

बता दें कि अभी तक कोरोना वायरस का कोई इलाज नहीं है, ना ही इसकी कोई वैक्सीन अब तक बन सकी है. एचआईवी की दवा से कोविड-19 का इलाज! एड्स के इलाज में एचआईवी के खिलाफ इस्तेमाल की जाने वाली लोपिनाविर और रिटोनाविर का इस्तेमाल कोविड-19 के भी कुछ मरीजों पर किया गया. इसमें इटली के वो मरीज भी शामिल हैं, जो जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल में भर्ती हैं.

हालांकि, वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे कितना फायदा होगा, ये अभी कहा नहीं जा सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन का दावा, इबोला की दवा काम करेगी! हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से एक रिपोर्ट जारी की गई थी, जिसमें कहा गया था कि इबोला के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा रेमडिसिविर, कोविड-19 के उपचार में इस्तेमाल की जा सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि कोरोना वायरस के लिए विट्रो (टेस्ट ट्यूब में किया जाने वाला टेस्ट) और विवो (जीवित चीजों पर किया जाने वाला टेस्ट) का डाटा मौजूद है. चूहों पर किए गए टेस्ट के नतीजे भी संतोषजनक रहे हैं. 

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