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दिल की धड़कन का इलाज : दिल की धड़कन अनियमित होने पर लें 'कार्डियोवर्जन' का सहारा, मिलेगा आराम, जानिये तरीका

By उस्मान | Published: July 22, 2021 8:52 AM

दिल की धड़कन के बिगड़ने के लक्षणों को नजरअंदाज न करें और तुरंत इस प्रक्रिया को अपनाने की कोशिश करें

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ठळक मुद्देइस प्रक्रिया से दिल की धड़कन हो सकती है नॉर्मल डॉक्टर कीमदद लें और सभी बारीकियों का रखें ध्यान दिल के मरीजों के लिए बेहतर विकल्प है ये प्रक्रिया

शरीर के सुचारू कामकाज के लिए दिल का स्वस्थ होना बहुत जरूरी है। कई बार अनियमित जीवनशैली या खराब खान-पान की वजह से दिल से जुड़ी कई समस्याएं हो जाती हैं, जिनमें एक 'हृदय अतालता' या 'एरिथमिया' (Heart Arrhythmia) भी है। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें दिल की धड़कन कम हो जाती है और सामान्य ताल से नहीं चलती है।

एरिथमिया के लक्षण

दिल की धड़कन रुक-रुक कर चलना, चक्कर आना, बेहोशी, कम सांस आना, सीने में बेचैनी, कमजोरी और थकान महसूस होना आदि हैं। आप हार्ट एरिथमिया के लिए कार्डियोवर्जन (cardioversion)  का भी सहारा ले सकते हैं।

कार्डियोवर्जन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसका उपयोग अनियमित दिल की धड़कन को सामान्य लय में वापस लाने के लिए किया जाता है। इस आर्टिकल में आप जानेंगे हार्ट एरिथमिया के लिए कार्डियोवर्जन प्रक्रिया कितनी असरदार और सुरक्षित है।

क्या है कार्डियोवर्जन?

हार्ट एरिथमिया के लिए कार्डियोवर्जन का इस्तेमाल किया जाता है। इससे असामान्य दिल की धड़कन को सामान्य लय में वापस लाने में मदद मिल सकती है। इसका एट्रियल फिब्रिलेशन (AFib) के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। इस स्थिति में हृदय की अटरिया सही तरीके से धड़कने के बजाय कांपने लगती है। AFib के लक्षणों में सांस की तकलीफ, थकान और बहुत तेज दिल की धड़कन शामिल हो सकते हैं। इससे स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ सकता है।

कार्डियोवर्जन की किसे और कब जरूरत होती है?

कार्डियोवर्जन प्रक्रिया का इस्तेमाल एरिथमिया' से पीड़ित मरीजों के लिए किया जाता है ताकि उनके दिल की धड़कन को सामान्य किया जा सके। यह एक विकल्प होता है। अगर मरीज को दवाओं से आराम नहीं मिल रहा है, तो डॉक्टर हार्ट एरिथमिया के लिए कार्डियोवर्जन की सलाह दे सकते हैं।

कार्डियोवर्जन कैसे किया जाता है?

सबसे पहले तो यह जानना जरूरी है कि हार्ट एरिथमिया के लिए कार्डियोवर्जन प्रक्रिया को डॉक्टर द्वारा अस्पताल में किया जाता है और मरीज अपनी प्रक्रिया के दिन ही घर जा सकता है। इस प्रक्रिया में इलेक्ट्रोड का इस्तेमाल किया जाता है।

हार्ट एरिथमिया के लिए कार्डियोवर्जन प्रक्रिया के दौरान एक मशीन का उपयोग किया जाता है और उसके जरिये मरीज के दिल की मांशपेशियों को इलेक्ट्रिक एनर्जी भेजी जाती है। कार्डियोवर्जन के जरिये अधिकतर मामलों में दिल की धड़कन सामान्य हो जाती है और दिल बेहतर तरीके से पंप करना शुरू कर देता है।

कार्डियोवर्जन के प्रकार

केमिकल कार्डियोवर्जन अगर मरीज की हालत ज्यादा गंभीर नहीं है, तो डॉक्टर आमतौर पर आपके दिल की धड़कन को सामान्य करने के लिए दवा का इस्तेमाल कर सकता है। इसे केमिकल या फार्माकोलॉजिकल कार्डियोवर्जन कहा जाता है। मरीज को दवा IV (तरल दवा को सीधे ब्लडस्ट्रीम में देना) के जरिये दी जा सकती है। लेकिन कई बार इसे गोली के रूप में भी दिया जा सकता है। इलेक्ट्रिकल कार्डियोवर्जन कई बार सिर्फ दवाओं के जरिये दिल की धड़कन को सही नहीं किया जा सकता इसलिए डॉक्टर इलेक्ट्रिकल कार्डियोवर्जन का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह वही तरीका है जिसमें दिल की धड़कन को नियंत्रित करने के लिए इलेक्ट्रोड मशीन का इस्तेमाल करके दिल की मांसपेशियों तक इलेक्ट्रिक ऊर्जा पहुंचाई जाती है।

कार्डियोवर्जन की सफलता दर क्या है?

हार्ट एरिथमिया के लिए कार्डियोवर्जन प्रक्रिया एक बेहतर उपचार साबित हुआ है। इलेक्ट्रिकल कार्डियोवर्जन को 90% से अधिक प्रभावी पाया गया है। हालांकि कई मामलों में इस प्रक्रिया के होने के बाद भी मरीजों में समस्या देखी गई है। प्रक्रिया से पहले एक एंटीरैडमिक दवा लेने से इसे रोका जा सकता है। यह प्रक्रिया कितनी अच्छी तरह काम करती है, यह मरीज के बाएं आलिंद (atrium) के आकार पर निर्भर करता है और साथ आप इस समस्या से कितने समय से पीड़ित हैं। यदि मरीज के बायां आलिंद बड़ा है या आप एक या दो साल से इस समस्या से पीड़ित हैं, तो इस स्थिति में भी यह काम नहीं कर सकता।

कार्डियोवर्जन के जोखिम

·      रक्त के थक्के (Blood clots): कई बार अनियमित दिल की धड़कन की वजह से मरीज के दिल में खून के थक्के बनने का खतरा होता है। इलेक्ट्रिक कार्डियोवर्जन इन रक्त के थक्कों को शरीर के अन्य हिस्सों में ले जाने का कारण बन सकता है। इससे जान लेनी वाली जटिलताएं जैसे स्ट्रोक या रक्त के थक्के का फेफड़ों तक जाने का खतरा पैदा हो सकता है। ·      स्ट्रोक (Stroke): अगर कोई थक्का मरीज के दिमाग तक पहुंच जाता है, तो यह स्ट्रोक का कारण बन सकता है। ·      कभी-कभी कार्डियोवर्जन काम नहीं करता : कार्डियोवर्जन हमेशा तेज या अनियमित दिल की धड़कन को ठीक नहीं करता है। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए मरीज दवा या पेसमेकर की आवश्यकता हो सकती है। ·      दिल को हो सकता है नुकसान :  हार्ट एरिथमिया के लिए कार्डियोवर्जन उपचार का एक बड़ा जोखिम यह है कि इससे मरीज के दिल को नुकसान पहुंचा सकता है या अधिक अतालता को जन्म दे सकता है। हालांकि इसकी संभावना बहुत कम होती है। ·      त्वचा के जलने का खतरा : ऐसे कई मामले देखे गए हैं जब इस प्रक्रिया के दौरान इलेक्ट्रोड का इस्तेमाल करते समय मरीज की त्वचा पर मामूली जलन देखी गई है, हालांकि ऐसे मामले भी कम ही देखे गए हैं।

कार्डियोवर्जन प्रक्रिया से पहले क्या करना चाहिए?

·      हार्ट एरिथमिया के लिए कार्डियोवर्जन प्रक्रिया कराने से पहले डॉक्टर से अपोइंटमेंट लेता है और इसका समय निर्धारित किया जाता है। हालांकि, यदि मरीज के लक्षण गंभीर हैं, तो उसे इमरजेंसी में कार्डियोवर्जन दिया जा सकता है। ·      प्रक्रिया से लगभग आठ घंटे पहले मरीज को कुछ भी नहीं खाना-पीना चाहिए। डॉक्टर आपको बताएगा कि आपकी प्रक्रिया से पहले आपकी कोई भी नियमित दवा लेनी है या नहीं। यदि आप प्रक्रिया से पहले दवाएं लेते हैं, तो अपनी गोलियों को निगलने के लिए केवल पर्याप्त पानी पिएं। ·      हार्ट एरिथमिया के लिए कार्डियोवर्जन उपचार लेने पहले दिल में रक्त के थक्कों की जांच के लिए एक ट्रांससोफेजियल इकोकार्डियोग्राम (transesophageal echocardiogram) नामक एक प्रक्रिया हो सकती है। आपका डॉक्टर तय करेगा कि कार्डियोवर्जन से पहले आपको ट्रांससोफेजियल इकोकार्डियोग्राम की आवश्यकता है या नहीं। ·      यदि आपके डॉक्टर को रक्त के थक्के मिलते हैं, तो आपकी कार्डियोवर्जन प्रक्रिया में तीन से चार सप्ताह इंतजार करना पड़ सकता है। उस समय के दौरान, डॉक्टर आपको जटिलताओं के जोखिम को कम करने के लिए रक्त को पतला करने वाली दवाएं दे सकता है।

कार्डियोवर्जन प्रक्रिया के बाद क्या करें?

·      इलेक्ट्रिक कार्डियोवर्जन प्रक्रिया के बाद मरीज उसी दिन घर जा सकता है। जटिलताओं की बारीकी से निगरानी की जा सके इसलिए हार्ट एरिथमिया के लिए कार्डियोवर्जन प्रक्रिया पूरी होने के बाद मरीज को एक या दो घंटे रिकवरी रूम में रहना पड़ सकता है। ·      प्रक्रिया के दौरान मरीज की मदद करने के लिए किसी का होना जरूरी है। इसका कारण यह है कि इसके बाद निर्णय लेने की आपकी क्षमता बाद कई घंटों तक प्रभावित हो सकती है। ·      अगर प्रक्रिया से पहले मरीज के दिल में कोई थक्का नहीं मिला, तो नए थक्कों को बनने से रोकने के लिए मरीज को प्रक्रिया के बाद कई हफ्तों तक रक्त को पतला करने वाली दवाएं लेनी पड़ सकती हैं। ·      हार्ट एरिथमिया के लिए कार्डियोवर्जन प्रक्रिया के बाद मरीज को हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए जीवनशैली में बदलाव करना चाहिए और उन चीजों से बचना चाहिए जिससे दिल की धड़कन प्रभावित हो सकती है जैसे उच्च रक्तचाप। ·      मरीज कैफीन और अल्कोहल से बचें या सीमित करें, दिल को स्वस्थ रखने वाला भोजन खाएं, शारीरिक गतिविधि बढ़ाएं, स्वस्थ वजन बनाए रखें, धूम्रपान छोड़ दें, तनाव और क्रोध से बचें और नमक का कम प्रयोग करें।

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