रिपोर्ट में हुआ खुलासा, कोटा में करियर के साथ छात्रों को मिल रहा ड्रग्स, सेक्स और तनाव
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: January 29, 2018 12:51 PM2018-01-29T12:51:51+5:302018-01-29T12:54:02+5:30
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज ने कोटा के छात्रों में बढ़ती आत्महत्या पर कोटा जिला प्रशासन को एक रिपोर्ट तैयार करके दी है।
कोटा की पहचान देश में प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग सेंटर के रूप में है। बीते कुछ समय से परीक्षा में सफलता नहीं मिलने के कारण यहां से छात्रों की आत्महत्या की खबरें आती रही हैं। डॉक्टर और इंजीनियरिंग का सपना लेकर कोटा पहुंच रहे युवा नशा, सेक्स और तनाव के जाल में फंस रहे हैं। वहीं, यहां के युवा यहां यौन अनुभव, प्रेग्नेंसी, नींद न आना, अकेलेपन, वजन कम होने जैसी समस्यायों से भी ग्रस्त हो रहे हैं।
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज ने कोटा के छात्रों में बढ़ती आत्महत्या पर कोटा जिला प्रशासन को एक रिपोर्ट तैयार करके दी है। इसमें अभिभावकों को यह सलाह भी दी गई है कि पहले वह कोटा के माहौल को समझें, इसके बाद ही बच्चों को वहां छोडने का निर्णय लें। इसमें कहा गया है कि अगर आप अपने बच्चे को कोटा भेजना चाहते हैं तो उसे शुरू से एक अच्छा वाचावरण दें, बच्चे की प्रतिभा को पहचानने के बाद ही उसे कोचिंग के लिए भेजें। इसमें कहा गया है कि कोचिंग का भी माहौल बच्चों के लिए खुशमुना होगा चाहिए
घटनाओं के आंकड़े
जबकि खुद पुलिस रिकार्ड की मानें तो 2013 से लेकर मई 2017 के बीच कोटा जिले में 58 छात्र-छात्राओं ने आत्महत्याएं की हैं। आत्महत्या की कोशिश के बारे में कोई डेटा नहीं मिल सका है। 2011 से 2014 के बीच देशभर के 88 शहरों में परीक्षा में फेल होने के कारण हुई आत्महत्या की घटनाओं में से सबसे अधिक कोटा में हुई थीं।
इस रिपोर्ट की मानें तो यहां हर साल लगभग 1.5 लाख से 2 लाख छात्र कोटा में इंजीनियरिंग या मेडिकल कॉलेज में प्रवेश करने के लिए आते हैं, जो अलग अलग माहौल के होने के कारण एडजस्ट नहीं कर पाते हैं और इस तरह के हादसे होते हैं। इस रिपोर्ट को बच्चों से उनकी समस्याओं को पूछने के बाद पेश किया गया है। जिससे साफ हुआ है खुद को एडजस्ट न कर पाने के कारण भी ये छात्र युवा नशा, सेक्स और तनाव के जाल में फंस रहे हैं।