यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा की कॉपियों का मूल्याकंन 16 मार्च से शुरू होगा। उत्तर प्रदेश के 275 केंद्रों पर 1.47 लाख परीक्षक तीन करोड़ से ज्यादा कॉपियां जांच करेंगे। इस बार जिन कॉपियों में 90 फीसदी या अधिक अंक मिलेंगे उसे परीक्षकों को अपने उप प्रधान परीक्षक के सामने दोबारा मूल्यांकन की पुष्टि करवानी होगी।
परीक्षकों पर भी कड़ा नियम लागू
बोर्ड द्वारा मूल्यांकन केंद्र प्रभारी को भेजे निर्देश के अनुसार कॉपी जांचने वाले प्रत्येक परीक्षक को अंडरटेकिंग देनी होगी। परीक्षकों को लिखित रूप से देना होगा कि मेरे द्वारा किए गए मूल्यांकन कार्य में यदि किसी प्रकार की अनियमितता पाई जाती है तो उसके लिए मैं व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होऊंगा और मेरे विरुद्ध जो भी कार्रवाई की जाएगी, मुझे मान्य होगी। अगर मूल्यांकन के दौरान कोई परीक्षक दो प्रतिशत अंक गलत कर देता है तो उसके पारिश्रमिक से 85 फीसदी काट ली जाएगी। इसके साथ ही परीक्षक अगले तीन साल के अयोग्य हो जाएंगे और वह बोर्ड परीक्षा की कॉपियां नहीं जांच कर पाएंगे।
कॉपी के अंदर पन्ने बदलने की करेंगे स्क्रीनिंग
पिछले कुछ सालों में कुछ केंद्रों पर उत्तर पुस्तिकाओं को बाहर से लिखवा कर परीक्षा समाप्त होने के बाद अंदर के पन्नों को बदलने की शिकायतें भी मिली है। इसलिए परीक्षकों को निर्देशित किया गया है कि मूल्यांकन से पहले कॉपी पर किए गए क्रमांक का परीक्षण करें। यदिन क्रमांक में किसी प्रकार की भिन्नना पाई जाती है तो ऐसी कॉपियों की स्क्रीनिंग कराके इनके परीक्षा केंद्र संख्या और प्रभावित अनुक्रमांकों की सूची तैयार कर कॉपियों के बंडल अलग से संबंधित क्षेत्रीय कार्यालयों में को परीक्षण के लिए उपलब्ध कराया जाए। अंकेक्षण का काम एक दिन बाद 17 मार्च से शुरू होगा। प्रत्येक दिन परीक्षकों द्वारा मूल्यांकित उत्तर पुस्तिकाओं में से 15 फीसदी रैंडम निकाली गई कॉपियों का अंकेक्षण होगा।
सीसीटीवी की निगरानी में जांची जाएंगी कॉपियां
इस बार यूपी बोर्ड परीक्षाओं की कॉपियां पहली बार सीसीटीवी और वॉइस रिकॉर्डर की निगरानी में जांची जाएंगी। इसका अलावा वेबकॉस्टिंग पर होगी या नहीं, इस पर निर्णय लिया जाना बाकी है, लेकिन कॉपियों की चेंकिंग सीसीटीवी कैमरे की निगरानी करने का आदेश आ चुका है।