यूनिवर्सिटी और कॉलेजों के फाइनल ईयर की परीक्षाएं होंगी, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- बिना परीक्षा छात्र पास नहीं किए जा सकते
By विनीत कुमार | Published: August 28, 2020 10:56 AM2020-08-28T10:56:02+5:302020-08-28T11:31:42+5:30
सुप्रीम कोर्ट ने फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स की परीक्षा को लेकर अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि आखिरी वर्ष के स्टूडेंट बिना परीक्षा के पास नहीं किए जा सकते हैं।
कोरोना संकट के बीच देश के तमाम यूनिवर्सिटी और कॉलेजों के फाइनल ईयर के छात्रों की परीक्षा कराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने इन परीक्षाओं को हरी झंडी दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि छात्रों को यूनिवर्सिटी के फाइनल ईयर की परीक्षा के बिना पास नहीं किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही कहा, 'राज्यों को छात्रों को प्रोमोट करने के लिए जरूर परीक्षाओं को आयोजित कराना होगा। राज्य आपदा प्रबंधन कानून के तहत महामारी को देखते हुए परीक्षा को टाल सकते हैं और फिर यूजीसी से तारीख फिक्स करने को लेकर चर्चा कर सकते हैं।'
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी और जस्टिस एम.आर. शाह की खण्डपीठ ने ये अहम फैसला सुनाया। यूजीसी ने इससे पहले ये निर्देश दिए थे कि 30 सितंबर तक सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेज के आखिरी वर्ष के छात्रों की परीक्षाएं पूरी कर ली जाएं। इसके खिलाफ हालांकि कुछ लोगों की ओर से याचिका सुप्रीम कोर्ट में डाली गई थी।
Supreme Court upholds the University Grants Commission's July 6 circular to hold University final year exams.
— ANI (@ANI) August 28, 2020
Court says States must hold exams to promote students. It says states under Disaster management Act can postpone exams in view of pandemic & can consult UGC to fix dates pic.twitter.com/EcLcgLuRIz
University Final Year Exam: क्या है पूरा मामला
यूजीसी के छह जुलाई के अपने एक निर्देश में कहा था कि विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को 30 सितम्बर तक अंतिम वर्ष की परीक्षाएं आयोजित करानी होगी। ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था जहां इसकी सुनवाई 18 अगस्त को पूरी हुई थी और अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुनवाई के दौरान यूजीसी ने कहा था कि उसके निर्देश कोई फरमान नहीं हैं। साथ ही, यूजीसी ने यह भी कहा कि परीक्षाएं कराये बगैर डिग्री देने का निर्णय राज्य नहीं कर सकते हैं।
यूजीसी की ओर से इस मामले में सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए थे। उन्होंने पीठ से कहा कि आयोग का निर्देश ‘छात्रों के हित’ में है क्योंकि विश्वविद्यालयों को स्नात्कोत्तर (पीजी) पाठ्यक्रमों के लिए नामांकन प्रारंभ करना है और राज्य के अधिकारी यूजीसी के दिशानिर्देशों की अवहेलना नहीं कर सकते हैं।
यही नहीं, यूजीसी का पक्ष रखते हुए मेहता ने पीठ से कहा कि राज्य निर्धारित किये गये समय को आगे बढ़ाने की मांग कर सकते हैं, लेकिन वे बिना परीक्षाओं के डिग्री दिए जाने पर निर्णय नहीं कर सकते हैं।