निजी शैक्षणिक संस्थानों में उच्च शिक्षा के लिए भी अब एससी-एसटी, ओबीसी और आर्थिक रूप से कमजोर जनरल कैटेगरी के लोगों को आरक्षण दिया जाएगा। अभी तक यह आरक्षण सिर्फ सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में ही लागू था। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने मंगलवार को इसकी घोषणा की। आर्थिक आधार पर आरक्षण की व्यवस्था के बाद इसे मोदी सरकार के एक और मास्टर स्ट्रोक के तौर पर देखा जा रहा है। केंद्र सरकार इस संबंध में आगामी बजट सत्र में एक बिल पेश कर सकती है।
जावड़ेकर ने बताया कि सरकारी संस्थानों के साथ निजी क्षेत्र के शैक्षणिक संस्थानों में भी आरक्षण लागू करने का यह फैसला विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक के बाद लिया गया है। इस संबंध में एक हफ्ते में आदेश जारी कर दिया जाएगा। इस नए फैसले के आगामी सत्र में जुलाई से लागू होने की संभावना है।
जावडेकर ने कहा कि केंद्र द्वारा संचालित संस्थानों को अपनी सीटें 25 प्रतिशत तक बढ़ानी होंगी ताकि आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को भी आरक्षण दिया जा सके वो भी बिना एससी, एसटी, ओबीसी और जनरल कैटेगरी की सीटों को प्रभावित किए हुए। गौरतलब है कि देशभर में करीब 900 सरकारी विश्वविद्यालय और 40 हजार सरकारी कॉलेज हैं। इसके अलावा 343 निजी विश्वविद्यालय, करीब 25 हजार निजी कॉलेज और करीब 7 हजार विशिष्ट संस्थान हैं।