‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ है पिता और बेटी भद्दी टिप्पणी सुने बिना सड़क पर एक साथ नहीं चल सकते, केरल उच्च न्यायालय ने कहा, जानिए पूरा मामला

By भाषा | Updated: March 24, 2022 21:57 IST2022-03-24T21:56:01+5:302022-03-24T21:57:54+5:30

उच्च न्यायालय ने कहा कि 14 वर्षीय बेटी के खिलाफ भद्दी टिप्पणियों पर आपत्ति जताने पर आरोपी ने कथित तौर पर पिता को हेलमेट से मारा, जिससे वह घायल हो गए। नाबालिग लड़की के पिता एक सेवानिवृत्त पुलिस उप-निरीक्षक हैं।

Unfortunate father Daughter Can't Walk Without Facing Lewd Comments kerala High Court retired Sub-Inspector helmet | ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ है पिता और बेटी भद्दी टिप्पणी सुने बिना सड़क पर एक साथ नहीं चल सकते, केरल उच्च न्यायालय ने कहा, जानिए पूरा मामला

पिता ने इसका विरोध किया तो उनके सीने पर हेलमेट से हमला कर दिया।

Highlightsआरोपी ने दावा किया कि लड़की के पिता ने उस पर और उसके साथ मौजूद एक अन्य व्यक्ति पर हमला किया था।अदालत ने कहा कि कोई भी अभिभावक अपने बच्चे के खिलाफ ऐसी भद्दी टिप्पणी सुनेगा, तो उसकी यही प्रतिक्रिया होगी।याचिकाकर्ता और एक अन्य आरोपी ने उनके खिलाफ भद्दी टिप्पणियां कीं।

कोच्चिः केरल उच्च न्यायालय ने उस व्यक्ति को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया, जिसने सड़क पर एक किशोरी पर कथित तौर पर अनुचित टिप्पणी की थी और उसके पिता के विरोध करने पर उनसे मारपीट भी की थी। अदालत ने कहा कि यह ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ है कि एक पिता और किशोर बेटी भद्दी टिप्पणी सुने बिना सड़क पर एक साथ नहीं चल सकते।

उच्च न्यायालय ने कहा कि 14 वर्षीय बेटी के खिलाफ भद्दी टिप्पणियों पर आपत्ति जताने पर आरोपी ने कथित तौर पर पिता को हेलमेट से मारा, जिससे वह घायल हो गए। नाबालिग लड़की के पिता एक सेवानिवृत्त पुलिस उप-निरीक्षक हैं। अदालत ने बुधवार को कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अगर कोई आदमी और उसकी बेटी भद्दी टिप्पणी सुने बिना सड़क पर एक साथ नहीं चल सकते। यह सब रुकना चाहिए।’’

वहीं, आरोपी ने दावा किया कि लड़की के पिता ने उस पर और उसके साथ मौजूद एक अन्य व्यक्ति पर हमला किया था। इस पर अदालत ने कहा कि कोई भी अभिभावक अपने बच्चे के खिलाफ ऐसी भद्दी टिप्पणी सुनेगा, तो उसकी यही प्रतिक्रिया होगी।

आरोपी ने अदालत से यह भी कहा कि उसके खिलाफ एकमात्र गैर-जमानती अपराध भारतीय दंड संहिता की धारा 308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास) के तहत था, जिसे तत्काल मामले में लागू नहीं किया गया। अभियोजन पक्ष ने अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए दलील दी कि सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी अपनी 14 वर्षीय बेटी के साथ सड़क पर चल रहे थे, जब याचिकाकर्ता और एक अन्य आरोपी ने उनके खिलाफ भद्दी टिप्पणियां कीं। पिता ने इसका विरोध किया तो उनके सीने पर हेलमेट से हमला कर दिया।

अदालत ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कहा, ‘‘ मामले के तथ्यों तथा परिस्थितियों को देखते हुए और आरोपों की प्रकृति को देखते हुए मेरा मानना है कि याचिकाकर्ता अग्रिम जमानत का हकदार नहीं है।’’ अदालत ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता (आरोपी) मामले के जांच अधिकारी के सामने आत्मसमर्पण करता है, तो उसे उसी दिन उसे न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाएगा। अदालत ने कहा, ‘‘ मजिस्ट्रेट मामले के गुण-दोष को ध्यान में रखते हुए बिना किसी अनुचित देरी के याचिकाकर्ता द्वारा दायर किसी भी आवेदन पर विचार करेंगे।’’ 
 

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