मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (30 अक्टूबर) को मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर को पंजाब के पटियाला में एक हाई-सिक्यॉरिटी जेल में ट्रांसफर करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही बिहार की पूर्व मंत्री मंजू वर्मा की गिरफ्तारी को लेकर राज्य सरकार को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार पुलिस से 31 अक्टूबर तक कार्रवाई की स्टेटस रिपोर्ट मांगी है।
कोर्ट ने पुलिस से सवाल किया कि जब पूर्व मंत्री मंजू वर्मा के खिलाफ सबूत हैं तो उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया।
इसी आश्रय गृह में कई लड़कियों से कथित तौर पर बलात्कार हुआ था। न्यायमूर्ति एम. बी. लोकुर, न्यायमूर्ति एस. ए. नजीर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि मुजफ्फरपुर आश्रय गृह यौन उत्पीड़न मामले में प्रमुख आरोपी ब्रजेश ठाकुर को बिहार की बदरपुर जेल से पंजाब में कड़ी सुरक्षा वाली पटियाला जेल भेजा जाए।
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) द्वारा राज्य के समाज कल्याण विभाग को सौंपी गई एक ऑडिट रिपोर्ट में यह मामला सबसे पहले प्रकाश में आया था।
मुजफ्फरपुर बालिका गृह में लड़कियों के यौन शोषण मामले की जांच कर रही सीबीआई ने पूर्व मंत्री के बेगूसराय जिले के चेरिया बरियारपुर थाना अंतर्गत अर्जुनटोल स्थित आवास पर गत 17 अगस्त को छापे मारे थे और उनके घर से अवैध हथियार के 50 कारतूस बरामद किए थे। बता दें कि मंजू वर्मा के पति चंद्रशेखर पिछले दिनों बरामद कारतूस मामले में फरार चल रहे थे। मंजू वर्मा के पति चन्द्रशेखर वर्मा की गिरफ्तारी नहीं होने पर पुलिस उनके घर की कुर्की जब्ती का आदेश दिया था। सरेंडर करने के बाद उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया है।
इस मामले में सीबीआई के डीएसपी उमेश कुमार के आवेदन पर चेरिया बरियारपुर थाने में पूर्व मंत्री मंजू वर्मा एवं उनके पति चंद्रशेखर वर्मा के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया है।
फरार चल रहे चंद्रशेखर के सोमवार को सरेंडर करने पर न्यायधीश ने उन्हें छह नवंबर तक के लिए न्यायिक हिरासत पर भेज दिया ।
क्या है मुजफ्फरपुर शेल्टर होम पूरा मामला?बता दें कि टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टीस) मुंबई की टीम जब जनवरी माह में सोशल ऑडिट करने पहुंची तो बालिका गृह में कई स्तर पर गडबडी मिली। मुजफ्फरपुर से मधुबनी, मोकामा और पटना भेजी गईं बच्चियों का मेडिकल टेस्ट कराया गया तो हकीकत सामने आई। 44 में से 42 बच्चियों का मेडिकल कराया गया, जिनमें 29 से यौन शोषण की पुष्टि हुई थी। बालिका गृह के संचालन की जिम्मेदारी सेवा संकल्प समिति को 2013 में सौंपी गई थी।