निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड केस के दोषी पवन गुप्ता की दया याचिका सोमवार को राष्ट्रपति ने खारिज दिया है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही पवन गुप्ता की क्यूरेटिव पिटिशन खारिज कर दी है। अब निर्भया के दोषियों को मंगलवार सुबह 6 बजे फांसी हो सकती है। पीड़िता निर्भया की मां ने सोमवार को कहा कि मामले में दोषी न्यायालय को गुमराह कर रहे हैं लेकिन उन्हें न्याय प्रणाली पर भरोसा है। इस मामले के दोषियों को मृत्युदंड दिए जाने की सजा सुनाई गई है। निर्भया की मां ने संवददाताओं से कहा, ‘‘ये लोग न्यायालय को गुमराह कर रहे है। मुझे भारत की न्याय प्रणाली पर भरोसा है और हमें अब भी इस बात का विश्वास है कि उन्हें कल फांसी दे दी जाएगी।’’ उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को गुप्ता की सुधारात्मक याचिका खारिज कर दी थी। आदेश के बाद पवन गुप्ता के वकील ने अदालत को सूचित किया कि उसने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर की है इसलिए फांसी पर रोक लगाई जाए।
दिल्ली की एक अदालत ने 2012 में हुए निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्या मामले के चार दोषियों में से दो की याचिकाएं सोमवार को खारिज कर दी। याचिका में मंगलवार सुबह होने वाली फांसी पर रोक लगाने की मांग की गई थी। अदालत ने दोनों दोषियों में से एक पवन कुमार गुप्ता के वकील की दलील सुनने का फैसला किया क्योंकि अदालत को सूचित किया गया था कि गुप्ता ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजी है। इससे पहले उच्चतम न्यायालय उसकी सुधारात्मक याचिका खारिज कर चुका था।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने पवन के वकील ए.पी. सिंह से कहा कि वह भोजन अवकाश के बाद आएं और बताएं कि फांसी पर रोक क्यों लगाई जाए। अदालत ने पवन और अक्षय कुमार सिंह की फांसी पर रोक की याचिका खारिज की। आदेश के बाद पवन के वकील ने अदालत को सूचित किया कि उसने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर की है इसलिए फांसी पर रोक लगाई जाए। अक्षय ने अपनी याचिका में कहा था कि उसने भारत के राष्ट्रपति के समक्ष नयी दया याचिका दायर की है जो अभी लंबित है।
उसने याचिका में कहा कि इससे पहले की उसकी दया याचिका जो राष्ट्रपति ने खारिज कर दी थी उसमें पूरे तथ्य नहीं आए थे। दोनों दोषियों ने कहा कि कई और याचिकाएं भी हैं जो उच्चतम न्यायालय या अन्य प्राधिकारियों के समक्ष लंबित हैं। अदालत ने 17 फरवरी को चारों दोषियों की मौत का फरमान जारी किया था जिसमें मुकेश कुमार सिंह (32), पवन कुमार गुप्ता (25), विनय कुमार शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को फांसी देने की तारीख तीन मार्च सुबह छह बजे तय की थी।