निर्भया मामला: रेप पीड़िताओं को जल्द न्याय दिलाने के लिए बनाने थे 14 'सखी वन स्टॉप सेंटर', आधे भी नहीं बने

By रोहित कुमार पोरवाल | Updated: December 10, 2019 10:05 IST2019-12-10T09:55:24+5:302019-12-10T10:05:49+5:30

वर्तमान में दिल्ली में आधे से भी कम ऐसे सेंटर हैं। दिल्ली में 6 वन स्टॉप सेंटर बने हैं जोकि पूरी तरह से समिति की सिफारिश के आधार पर काम नहीं करते हैं। इन सेंटरों को बनाने का मकसद यौन अपराध की पीड़िता के एक ही जगह पर कानूनी और चिकित्सा संबंधी मदद मुहैया कराने का था।

Nirbhaya Case: not even half one stop centers made to bring justice to rape victims | निर्भया मामला: रेप पीड़िताओं को जल्द न्याय दिलाने के लिए बनाने थे 14 'सखी वन स्टॉप सेंटर', आधे भी नहीं बने

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)

Highlightsइन सेंटरों में पीड़िता के जाने के 24 घंटे के भीतर जांच करनी होती है लेकिन यह अब कागजी बात होकर रह गई है। एक सेंटर सरकारी अस्पताल और एक प्राइवेट अस्पताल में बनाना था लेकिन मौजूदा स्थिति मायूस करने वाली है।

दिसंबर 2012 में निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले के बाद महिलाओं के खिलाफ के यौन अपराधों की पीड़िताओं को जल्द न्याय दिलाने के लिए विशेष सहायता केंद्रों को बनाने की आवाज उठी थी। इसके लिए ऊषा मेहरा समिति बनी थी। विशेष सहायता केंद्रों को 'सखी वन स्टॉप सेंटर' का नाम दिया गया। ये सेंटर दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में बनाने थे। खासकर दिल्ली के हर राजस्व जिले में दो सेंटर बनाने थे।

दिल्ली में वर्तमान में 11 जिले हैं। तब दिल्ली में 14 सेंटर बनाने की मांग उठी थी। इसके लिए एक सेंटर सरकारी अस्पताल और एक प्राइवेट अस्पताल में बनाना था लेकिन मौजूदा स्थिति मायूस करने वाली है। ऊषा मेहरा समिति की सिफारिश पर यौन अपराधों की पीड़िताओं के लिए सखी वन स्टॉप सेंटर बनाने को लेकर सरकारी उदासीनता नजर आती है।

हिंदुस्तान की खबर के मुताबिक, वर्तमान में दिल्ली में आधे से भी कम ऐसे सेंटर हैं। दिल्ली में 6 सखी वन स्टॉप सेंटर बने हैं जोकि पूरी तरह से समिति की सिफारिश के आधार पर काम नहीं करते हैं। इन सेंटरों को बनाने का मकसद यौन अपराध की पीड़िता के एक ही जगह पर कानूनी और चिकित्सा संबंधी मदद मुहैया कराने का था। 

दिल्ली में जिन 6 अस्पतालों में सखी वन स्टॉप सेंटर हैं, उनमें खिचड़ीपुर स्थित लालबहादुर शास्त्री अस्पताल, दिलशाद गार्डन में गुरुतेग बहादुर अस्पताल, मंगोलपुरी में संजय गांधी अस्पताल, रोहिणी स्थित बाबा साहेब अंबेडकर अस्पताल, हरि नगर स्थित डीडीयू अस्पताल और सफजरजंग एनक्लेव स्थित सफदरजंग अस्पताल शामिल हैं।

इन सेंटरों में पीड़िता के जाने के 24 घंटे के भीतर जांच करनी होती है लेकिन यह अब कागजी बात होकर रह गई है। 

समिति की रिपोर्ट में की गई सिफारिश की गई थी कि हर सखी वन स्टॉप सेंटर में इंस्पेक्टर या उसके समकक्ष प्रशिक्षित पुलिस अधिकारी को मौजूद रहना चाहिए। 

पीड़िता की काउंसलिंग के लिए महिला मनोचिकित्सक होनी चाहिए। अगर वह नहीं है तो एनजीओ का प्रतिनिधि होना चाहिए। 

प्रशिक्षित चिकित्सा विशेषज्ञ होना चाहिए। 
  
चिकित्सा सहायक के तौर पर प्रशिक्षित नर्स होना चाहिए। 

फॉरेंसिक सबूतों को जुटाने के लिए फॉरेंसिक विशेषज्ञ मौजूद रहना चाहिए। 

न्यायिक मजिस्ट्रेट को 164 का बयान दर्ज करने के लिए बुलाया जाना चाहिए। 

7. सूचना मिलने पर दिल्ली पुलिस पीसीआर वैन और नजदीकी पुलिस स्टेशन के अधिकारी को पीड़िता को सुरक्षा मुहैया कराना चाहिए और उसे पास के सेंटर में ले जाना चाहिए।
 
सेंटर पर पीड़िता के आते ही मेडिकल और फॉरेंसिक जांच की जानी चाहिए। 

समिति की इन सिफारिशों के मानदंडों पर एक भी सेंटर खरा नहीं उतर रहा है।

Web Title: Nirbhaya Case: not even half one stop centers made to bring justice to rape victims

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