झारखंड: PLFI नक्सली संगठन फंडिंग मामले में 10 जगह NIA का छापा, मिले कई अहम सुराग
By एस पी सिन्हा | Published: February 29, 2020 07:47 PM2020-02-29T19:47:12+5:302020-02-29T19:47:12+5:30
नवंबर, 2016 में नोटबंदी के वक्त पीएलएफआइ का सरगना दिनेश गोप अपनी ब्लैक मनी में से एक करोड रुपये को व्हाइट मनी में तब्दील करना चाहता था. रांची पुलिस को इसकी भनक मिल गई और 10 नवंबर, 2016 को दिनेश गोप के 25.30 लाख रुपये को पुलिस ने जब्त कर लिया.
झारखंड की राजधानी रांची से सटे खूंटी जिला में टेरर फंडिंग के मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने छापामारी की है. प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन पीएलएफआई से संबंध को लेकर एनआइए ने यह बड़ी कार्रवाई की है.
एजेंसी की यह छापेमारी टेरर फंडिंग मामले की जांच से जुड़ी बताई जा रही है. शनिवार को एनआइए की टीम ने प्रतिबंधित नक्सली संगठन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआई) से जुड़े तीन लोगों के यहां एक साथ छापामारी की.
प्राप्त जानकारी के अनुसार जिन लोगों के यहां छापामारी की गई, उनके नाम अमित जायसवाल, प्रकाश भुइयां और सीताराम जायसवाल हैं. अमित और प्रकाश तोरपा के रहने वाले हैं, जबकि सीताराम तपकारा थाना क्षेत्र के डिगरी गांव का रहने वाला है. नक्सलियों से सांठगांठ रखने वाले ये तीनों लोग पहले जेल की हवा खा चुके हैं. इन लोगों की संपत्ति भी जब्त की गयी थी. इन लोगों पर पीएलएफआइ के लिए फंडिंग करने का आरोप है.
बताया जाता है कि ऐसे ही एक मामले में एक साल पहले (21 फरवरी, 2019) को राजधानी रांची के अलावा गुमला, खूंटी और पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में 10 ठिकानों पर एनआइए ने एक साथ छापामारी की थी. जिसमें पीएलएफआइ सुप्रीमो दिनेश गोप की ओर से किये गये निवेश से जुड़ी जानकारी थी. दिनेश गोप की दोनों पत्नी की गिरफ्तारी के बाद एनआइए को कई महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगे हैं, जिसके आधार पर छापेमारी गई है.
उल्लेखनीय है कि नवंबर, 2016 में नोटबंदी के वक्त पीएलएफआइ का सरगना दिनेश गोप अपनी ब्लैक मनी में से एक करोड रुपये को व्हाइट मनी में तब्दील करना चाहता था. रांची पुलिस को इसकी भनक मिल गई और 10 नवंबर, 2016 को दिनेश गोप के 25.30 लाख रुपये को पुलिस ने जब्त कर लिया. बताया गया कि एक करोड़ रुपये में से 25.30 लाख रुपये की यह पहली खेप रांची जिला के बेड़ों के रेखा पेट्रोल पंप के मालिक नंद किशोर महतो तक गुमला जिला के कामडारा निवासी ठेकेदार यमुना प्रसाद ने पहुंचाया था. बाद में इस मामले की जांच रांची पुलिस से एनआइए ने ले ली. इस मामले में दिनेश की पत्नी समेत कई लोगों को गिरफ्तार कर जेल भी भेज दिया गया.