19 दिसंबर :भाषा: आईआईटी रुड़की की दो छात्राओं तथा 2015 में वहां लेक्चर देने आयी एक विदेशी स्कॉलर ने प्रतिष्ठित संस्थान के पांच प्रोफेसरों पर उनका यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है। हरिद्वार की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रिद्धिम अग्रवाल ने बताया कि पिछले 10 दिनों में इन महिलाओं ने पुलिस से संपर्क किया है और आईआईटी रुड़की के पांच प्रोफेसरों के खिलाफ यौन उत्पीडन के आरोप लगाये हैं।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस संबंध में दो शिकायतें ई—मेल और फोन पर मिली हैं जबकि एक शोधकर्ता ने पिछले सप्ताह हरिद्वार पुलिस में औपचारिक शिकायत दर्ज करायी है । करीब दस दिन पहले ई—मेल के जरिये आयी शिकायत एक विदेशी स्कॉलर की है जिसने आईआईटी रुड़की के तीन प्रोफेसरों पर उसका यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है।
अपनी शिकायत में विदेशी स्कॉलर ने कहा है कि ऐसा तब हुआ जब वह वर्ष 2015 में संस्थान में एक लेक्चर देने के लिये गयी थी । पुलिस अधिकारी ने कहा, 'हमारे पास शिकायतकर्ता विदेशी स्कॉलर का फोन नम्बर नहीं है और इसलिये हमने उसे ई—मेल भेजकर और विवरण देने को कहा है ताकि हम मामले की जांच कर सकें। गत रविवार को टेलीफोन संदेश के जरिये हमसे संपर्क करने वाली दूसरी शिकायतकर्ता अभी तक अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिये सामने नहीं आयी है।' हालांकि, पिछले सप्ताह हरिद्वार पुलिस के सामने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर अपनी शिकायत दर्ज कराने वाली शोधकर्ता ने स्थानीय मीडिया से बातचीत में अपने सुपरवाइजर पर यौन उत्पीडन तथा मानसिक उत्पीडन करने तथा अपने खिलाफ जातिसूचक शब्द इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है।
शिकायतकर्ता ने कहा कि जब उसने यह बात संस्थान के शीर्ष अधिकारियों तक पहुंचायी तो उन्होंने उक्त सुपरवाइजर की जगह एक ऐसे प्रोफेसर को उसका सुपरवाइजर नियुक्त कर दिया जिसकी छवि भी 'महिलाओं को अनुचित तरीके से छूने वाले' आदमी की थी और इसी वजह से उसे पुलिस के पास आना पड़ा।
शोधकर्ता ने संवाददाताओं को बताया, 'मेरे सुपरवाइजर ने पिछले दो सालों में मेरा यौन उत्पीड़न और मानसिक उत्पीड़न करने के साथ ही मेरे खिलाफ जातिसूचक शब्दों का भी इस्तेमाल किया । मैंने इस संबंध में निदेशक और डीन से शिकायत की लेकिन उन्होंने यह मामला महिला प्रकोष्ठ को फॉरवर्ड कर दिया। महिला प्रकोष्ठ की प्रमुख ने कहा कि सुपरवाइजर को बदल दिया जायेगा लेकिन उक्त सुपरवाइजर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जायेगी ।'
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने बताया कि इस मामले की जांच के लिये तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन कर दिया गया है। उधर, अपने तीन प्रोफेसरों के खिलाफ यौन उत्पीडन का आरोप लगाने वाली विदेशी स्कॉलर पर जारी अपने एक बयान में आईआईटी रुड़की ने कहा है कि मिस नैंसी बार्टले ने अगस्त 2015 में संस्थान में एक सेमिनार में भाग लिया था । इसके नौ महीने बाद मई 2016 में उन्होंने सेमिनार के दौरान उनके साथ हुई घटना के बारे में शिकायत संस्थान में दर्ज करायी । बयान में कहा गया है, ' उसकी शिकायत की जांच संस्थान की आंतरिक शिकायत समिति :आइसीसी: द्वारा की गयी । अगस्त 2016 में आइसीसी इस निष्कर्ष पर पहुंची कि नैंसी बार्टले की शिकायत सेक्सुअल हैरेसमेंट आफ वूमेन एट वर्कप्लेस :प्रीवेंशन, प्रोहिबिशन एंड रिड्रेसल: अधिनियम, 2013 के अनुसार लिंग आधारित और उत्पीड़न में नहीं आती ।' संस्थान की एक शोधकर्ता द्वारा की गयी शिकायत के बारे में बयान में कहा गया है कि मामले की जांच की जा रही है।