पंचकूला, 27 अप्रैल: सीबीआई की एक विशेष अदालत ने ‘अपना घर ’ आश्रय गृह में वंचित वर्ग की लड़कियों के यौन शोषण के मामलों में आज तीन लोगों को उम्रकैद की सजा सुनायी। मामला आश्रय गृह में रहने वाली लड़कियों के यौन शोषण , शारीरिक एवं मानसिक उत्पीड़न और उनसे बंधुआ मजदूरी कराने से जुड़ा है।
सरकारी धन से चलने वाले आश्रय गृह की संचालिका जसवंती देवी , उसके दामाद जय भगवान और वाहन चालक सतीश को उम्रकैद की सजा सुनायी गयी। पंचकूला की अदालत ने 18 अप्रैल को मामले में नौ लोगों को दोषी करार दिया था और आज सजा सुनायी। हरियाणा सरकार ने 2012 में अपना घर बंद कर दिया था। आश्रय गृह में वंचित एवं मानसिक रूप से अशक्त लोग रहते थे जिनमें से अधिकतर लड़कियां थीं।
जसवंती देवी के भाई जसवंत सिंह को सात साल की जेल की सजा सुनायी गयी। जसवंती की दो कर्मचारियों , शीला एवं वीणा और बेटी सुषमा को रिहा कर दिया गया क्योंकि वह पहले ही जेल की सजा काट चुकी है। दो अन्य लोगों को परिवीक्षा पर रिहा करने करने का आदेश दिया गया।
दोषियों की तरफ से पेश हुए एक वकील ने कहा कि वे फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे। अपना घर तब सुर्खियों में आया था जब सात मई , 2012 को वहां से तीन लोग भाग गए थे। इसके बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने वहां छापेमारी कर 100 से ज्यादा लोगों को छुड़ाया। इसके बाद जसवंती देवी एवं अन्य को गिरफ्तार किया गया।