नागपुरः यूं तो हमारे देश में सीधे तौर पर ड्राइविंग लाइसेंस बनाना लोहे के चने चबाने से कम नहीं. आरटीओ में इस काउंटर से उस काउंटर के चक्कर लगाते लगाते आप थक जाएंगे. लेकिन यही लाइसेंस बनवाने के लिए आप किसी दलाल की सहायता लेते हैं, तो काम चुटकियों में हो जाएगा.
महाराष्ट्र में आरटीओ विभाग के अधिकारियों और दलालों की मिलीभगत कुछ इस कदर बढ़ गई है, कि एक पूर्व सांसद को हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करके इस मुद्दे काे उजागर करना पड़ा है.
मामला इतना बड़ा हो चुका है कि राज्य सरकार ने मामले की जांच अपराध शाखा को सौंप दी है. राज्य सरकार ने इस संबंध में अपनी विस्तृत रिपोर्ट बंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में सौंपी है.
अधिकारियों दलालों की मिली भगत
शिवसेना नेता ब्रजभूषण तिवारी और पूर्व सांसद प्रकाश जाधव ने अपनी याचिका में मुद्दा उठाया कि नागपुर के आरटीओ कार्यालय द्वारा लाइसेंस देते वक्त कई अनियमितताएं की जाती है. अधिकारी दलालों की मदद से भ्रष्टाचार करते हैं.
इतना ही नहीं लर्निंग लाइसेंस बनवाने के लिए उम्मीदवार को पहले एक ‘क्विज टेस्ट’ से गुजरना होता है. लेकिन आरटीओ में भ्रष्टाचार इस कदर व्याप्त है कि आपको यह क्विज टेस्ट देने के लिए एक एक्सपर्ट उपलब्ध कराया जाएगा. जो आपकी जगह यह टेस्ट देगा. इस तरह ‘मुन्ना भाई’ स्टाईल में होने वाली इस टेस्ट पर अब सीधे हाईकोर्ट की नजर रहेगी.
अपराध शाखा करेगी जांच
राज्य सरकार ने इस मामले में हाईकोर्ट को बताया कि इस प्रकरण की आपराधिक जांच जारी हैं और मामले में एक अपराध भी दर्ज कर लिया गया है. इसकी जांच रिपोर्ट पुलिस और परिवहन विभाग के आयुक्त को सौंपी गई है. अब मामले की विस्तृत जांच के लिए इसे अपराध शाखा को सौंपा गया है.
वहीं परिवहन आयुक्त ने हाईकोर्ट में सफाई दी कि आरटीओ की लाइसेंस प्रक्रिया अधिक पारदर्शक बनाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं. इसमें ऑनलाइन प्रक्रिया का भी समावेश किया गया है. इस पर हाईकोर्ट ने माना कि पुलिस अपनी जांच जारी रखें, लेकिन अगर याचिकाकर्ता को इस मामले में कोई भी शिकायत हो तो वे परिवहन आयुक्त से संपर्क कर सकते हैं. मामले में याचिकाकर्ता की ओर से एड.एस.एस.सान्याल ने पक्ष रखा.