बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार (30 जून) को रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी को बड़ी राहत दी है। हाईकोर्ट ने गोस्वामी के खिलाफ पालघर लिंचिंग मुद्दे पर कथित साम्प्रदायिकता फैलाने के आरोप में और मुंबई के बांद्रा रेलवे में प्रवासी कामगारों के जमा होने को लेकर मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज दो एफआईआर पर रोक लगा दी। न्यायमूर्ति उज्जल भुयान और न्यायमूर्ति रियाज चागला की खंडपीठ ने कहा कि "उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई मुकदमा नहीं बनता।"
गोस्वामी पर आरोप है कि उन्होंने 14 अप्रैल को अपने कार्यक्रम में मस्जिद की तस्वीर दिखाते हुये इसके बाहर बड़ी संख्या में लोगों के एकत्र होने पर सवाल उठाया था। कोविड-19 महामारी के मद्देनजर देश में लागू लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने की प्रधानमंत्री की घोषणा के चंद घंटों बाद 14 अप्रैल को बड़ी संख्या में कामगार अपने पैतृक घरों को लौटने की मांग करते हुये बांद्रा में एकत्र हुये थे। यह प्राथमिकी दो मई को पायधोनी थाने में रजा एजुकेशन वेलफेयर सोसायटी के सचिव इरफान अबूबकर शेख ने दर्ज करायी है।
गोस्वामी पर एफआईआर आईपीसी की धारा 153 (दंगा भड़काने के इरादे से उकसाना), 153 ए (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 295 ए (नागरिकों के किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को भड़काना), 500 (मानहानि), 505(2) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत दर्ज किया गया है।
इससे पहले पालघर में साधुओं की हत्या के मामले में कांग्रेस अध्य्क्ष सोनिया गांधी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी के आरोप में अर्णब के खिलाफ पार्टी नेताओं की शिकायत पर एफआईआर दर्ज किया है। इस मामले में अर्णब से पुलिसने 12 घंटे से ज्यादा पूछताछ की थी।