बिहार रफ्तार कहरः हर दिन 27 सड़क हादसा और 21 की मौत, आंकड़े में देश में दूसरे स्थान पर बिहार

By एस पी सिन्हा | Updated: July 7, 2025 14:46 IST2025-07-07T14:44:58+5:302025-07-07T14:46:21+5:30

Bihar speed havoc: सड़क हादसों के आंकड़े हर साल भयानक होते जा रहे हैं। अब तक 39,162 हादसे दर्ज और 18,000 मामलों को डिजिटल रूप से ट्रैक किया गया।

Bihar speed havoc 27 road accidents every day and 21 deaths Bihar ranks second in country terms deaths | बिहार रफ्तार कहरः हर दिन 27 सड़क हादसा और 21 की मौत, आंकड़े में देश में दूसरे स्थान पर बिहार

सांकेतिक फोटो

Highlightsएनएच पर होने वाले हादसों में सबसे अधिक मोतें उत्तर प्रदेश में होती है।पिछले चार साल में इन मौतों में लगभग 15 फीसदी की वृद्धि हुई है।दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र, तीसरे नंबर पर केरल और चौथे नंबर पर राजस्थान है।

पटनाः बिहार में रफ्तार के कहर में लोग प्रतिदिन अपनी जान गंवा रहे हैं। बिहार की सड़कों पर अब वाहन नहीं दौड़ते, लापरवाही और प्रशासनिक उदासीनता सवार होती है और हर रात के बाद एक नई सुबह नहीं एक और जनाज़ा निकलता है। दरअसल, राज्य में जितनी अच्छी सड़कें बन रही हैं, उतनी ही बुरे हादसों के आंकड़े सामने आ रहे हैं। बिहार में कोई ऐसा जिला नहीं है, जहां सड़क हादसों में लोगों की जान न जा रही हो। सड़क हादसों से होने वाली मौत के मामले में बिहार देश में दूसरे पायदान पर है। बिहार में 78 फीसदी सड़क हादसों में मौतें होती हैं। यानी, 100 सड़क हादसे होते हैं तो उनमें अमूमन 82 लोगों की जान जाती है। बिहार में नेशनल हाईवे अब ‘नेशनल हेललाइन’ बन चुकी है। सड़क हादसे में पहले स्थान पर मिजोरम है, जहां 80 फीसदी हादसों में लोगों की मौत हो जाती है।

सड़क एवं परिवहन मंत्रालय की हालिया रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। बिहार में पिछले चार साल में इन मौतों में लगभग 15 फीसदी की वृद्धि हुई है। 2017 में जहां 100 सड़क हादसों में 62.7 मौतें हुईं थीं, वहीं 2018 में यह संख्या बढ़कर 70.1 हो गई। 2019 में भी इसमें बढ़ोतरी हुई और यह 72 पर पहुंच गई। हालांकि राष्ट्रीय औसत 36 है।

यानी 100 सड़क हादसों में 36 में लोगों की जानें जाती हैं। बिहार में हर रोज औसतन 27 सड़क हादसे होते हैं, जिनमें 21 मौतें दर्ज होती हैं। पिछले आठ वर्षों में लगभग 80 हजार सड़क दुर्घटनाएं और 60 हजार से अधिक मौतें यह साबित करती हैं कि राज्य की सड़कों पर अब वाहन नहीं, सिर्फ लाशें दौड़ रही हैं। बिहार में सबसे खतरनाक हैं नेशनल हाईवे पर चलना।

यहां कुल दुर्घटनाओं में लगभग 45 फीसदी हादसे हो रहे हैं। एनएच 31, एनएच 28, एनएच 30 और एनएच 57, ये राजमार्ग अब अपनी समतलता के लिए नहीं, हादसों के प्रतीक के लिए रूप चर्चा में हैं। रजौली से किशनगंज तक, गोपालगंज से पटना तक, कोई ऐसी सड़क नहीं है, जहां हादसे न हो रहे हों। हर रोज कहीं न कहीं ट्रकों और बाइक के बीच रौंदी जाती ज़िंदगियां।

सड़क हादसों के आंकड़े हर साल भयानक होते जा रहे हैं। अब तक 39,162 हादसे दर्ज और 18,000 मामलों को डिजिटल रूप से ट्रैक किया गया। हालांकि एनएच पर होने वाले हादसों में सबसे अधिक मोतें उत्तर प्रदेश में होती है, जबकि बिहार इस मामले में पांचवें नंबर पर हैं। दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र, तीसरे नंबर पर केरल और चौथे नंबर पर राजस्थान है।

2016 में बिहार में एनएच पर हुए हादसे में 2014 मौतें हुई थीं। पांच साल बाद ये संख्या 61 फीसदी बढ़कर 3285 हो गई। हालांकि 2019 के मुकाबले मौत की संख्या बिहार में 13.7 फीसदी घटी है। मौत के मामले में पटना 43 वें स्थान पर है। 10 लाख से अधिक की आबादी वाले 50 शहरों में बिहार से सिर्फ पटना शामिल है, जहां सर्वाधिक सड़क हादसे और उसमें मौतें होती हैं।

इन 50 शहरों में पटना का स्थान 43 वां है, जबकि टॉप पर चेन्नई है। पटना में 524 हादसे हुए, जिसमें मौत की संख्या 192 रही। हादसों के मामले में पटना, पूर्णिया, मधेपुरा, किशनगंज, सहरसा, अररिया, रोहतास और गया जैसे जिले मौत के हब बन चुके हैं। इन जिलों में हर सड़क पर मौत घात लगाए बैठी है।

वहीं दुर्घटनाओं के मूल में दोषपूर्ण सड़क संरचना, बिना संकेतक चौराहे और पैदल यात्रियों की अनदेखी जैसे गंभीर कारण हैं। कोरोना के दौरान लॉकडाउन के कारण ये आंकड़े कम हुए। बिहार की सड़कों पर 2019 में 10007 सड़क हादसे हुए, वहीं 2020 में 8639 हादसे हुए। सड़क हादसों में कमी के कारण इसमें होने वाली ओवर ऑल मौतों में भी कमी आई।

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