बिहार: मुंगेर से पुलिस ने एक शख्स को किया गिरफ्तार, तीन AK-47 राइफल हुईं बरामद
By एस पी सिन्हा | Published: September 9, 2018 05:18 PM2018-09-09T17:18:36+5:302018-09-09T17:18:36+5:30
बिहार पुलिस के मुताबिक इमरान तक हथियार 4।5 लाख रुपए में पहुंचता था। एक एके 47 राइफल के एवज में यह रकम इमरान द्वारा दी जाती थी।
पटना, 9 सितंबर:बिहार के मुंगेर में पकडी गईं एके 47 राइफल कोई साधारण राइफल नहीं हैं। ये हथियार सेना द्वारा इस्तेमाल किए गए हैं। हाल फिलहाल में बिहार में एके सीरीज की राइफलें उत्तर पूर्व के राज्य नगालैंड से तस्करी के लिए मंगाई जाती थी। लेकिन अब यह जबलपुर से मंगाई जाने लगी थी।
बिहार पुलिस के मुताबिक इमरान तक हथियार 4.5 लाख रुपए में पहुंचता था। एक एके 47 राइफल के एवज में यह रकम इमरान द्वारा दी जाती थी। पुलिस के अनुसार इसके बाद हथियार किसे और कहां बेचना है यह इमरान तय करता था।
पूछताछ में वह पुलिस को बता चुका है कि वह एक लाख रुपए का मुनाफा लेकर 5.5 लाख में हथियार आगे बेच देता था। सूत्रों के मुताबिक ये हथियार नक्सलियों और संगठित आपराधिक गिरोह को बेचे जाते थे।
पुरुषोत्तम के मुताबिक, उसे सेना के अनसर्विस एके सीरियल की राइफल जबलपुर स्थित सेना के सीओडी का सीनियर स्टोर कीपर सुरेश ठाकुर मुहैया कराता था। हथियारों के अलावा वह पुरुषोत्तम की मांग के अनुसार उसके कल-पुर्जे भी लाकर देता था। इसके बाद वह खराब एके 47 को ठीक करता और उसे मुंगेर लेकर आ जाता था। जुलाई में ही सुरेश ठाकुर ने उसे 12 एके 47 दिए थे।
इसमें 9 को रिपेयर करने के बाद उन्हें लेकर मुंगेर आया था। हथियार सौंपने के बाद पुरुषोत्तम वापस मध्यप्रदेश लौट गया था। बताया जाता है कि अगर इमरान की गिरफ्तारी नहीं होती तो सैकडों एके 47 राइफलें खपाने में पुरुषोत्तम और बिहार के तस्कर कामयाब हो जाते।
इस दफे पुरुषोत्तम दो बैग में छह एके 47 राइफल लेकर बिहार आया था। साल 2008 में रिटायर होने से पहले सेना का आर्मोरर पुरुषोत्तम बिहार रेजीमेंट में भी तैनात था। 2003-04 के दौरान उसकी तैनाती बिहार रेजीमेंट में थी।
पुलिस के दिए बयान में उसने कहा है कि इस तैनाती के दौरान सेना के जवान मो। गूलो उर्फ गुलशाद उर्फ नियाजुर रहमान से उसकी दोस्ती हुई। नियाजुर का छोटा भाई शमशेर आता जाता था। रिटायर होने के बाद वह शमशेर के घर बरदह गया जहां इमरान से उसकी मुलाकात हुई।
इमरान ने कहा कि नक्सली एके 47 हथियार चाहते हैं और उसके एवज में अच्छी कीमत दे सकते हैं। उसने कहा कि डिपो का सीनियर स्टोर कीपर सुरेश ठाकुर 2012 से उसे सेना का अनसर्विस राइफल, मैगजीन और कलपुर्जे दे रहा था।
सूत्रों के मुताबिक, पुरुषोत्तम के साथ रहे सेना के जवान नियाजुर की भूमिका की भी जांच हो रही है। हालांकि इस संबंध में आधिकारिक तौर पर कुछ भी नहीं कहा गया है। बताया जाता है कि उसने लखनऊ में भी मकान बना रखा है। वह अभी जलपाईगुडी में तैनात है।
वहीं, बताया जाता है कि नागालैंड में विदेशी हथियार के कई तस्कर मौजूद हैं। इनमें अधिकतर विद्रोही गुटों से जुडे रहे हैं। शांति समझौता होने के बाद इन्होंने अपने हथियार छुपा दिए और जरूरत पडने पर इसे बेचते रहते हैं।
इसके अलावा इनका संपर्क म्यांमार में बैठे तस्करों से भी है जिनके जरिए विदेशी हथियार भारत मंगाते हैं। नेपाल के रास्ते में क्लाशिनिकोव सीरीज के ये हथियार बिहार लाए गए।
90 के दशक की शुरुआत में एके 47 हथियार रखने वाले गिरोह बहुत कम थे। कहा जाता है कि बिहार में सबसे पहले एके 47 बेगूसराय के माफिया डॉन अशोक सम्राट के पास हुआ करती थी।
वह अपराध की दुनिया का बडा नाम था। वह 1994 में वैशाली जिले में मुठभेड में मारा गया था। उस वक्त सम्राट के पास एके 47 राइफल थी। अशोक सम्राट के पास यह हथियार कहां से पहुंचा था आज तक कोई नहीं बता पाया। पर 1995 के बाद कुछ गिरोह तक यह हथियार पहुंच गया।
पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में गिराए गए सैकडों एके 47 राइफलों में से कुछ बिहार के बडे आपराधिक गिरोहों तक पहुंची थी। पुरुलिया के कई गांवों में एके 47 राइफल हवाई जहाज से गिराई गई थी। इनमें से अधिकतर पुलिस ने जब्त किए पर कई गायब हो गए।
बताया जाता है कि यही हथियार कई गिरोहों तक पहुंचे। वहीं, पूर्व सांसद शहाबुद्दीन के सीवान के प्रतापपुर स्थित घर पर हुई छापेमारी में एके 47 राइफल मिली थी। वर्ष 2000 और 2001 में शहाबुद्दीन के ठिकानों पर हथियारों का जखीरा मिला था। इसमें एके 47 राइफलें भी थीं।
वहीं पिस्टल और मैगजीन भी मिली थीं। इसके अलावा शिवहर से संतोष झा गैंग के पास से एके 56, गोपालगंज, फतुहा, वैशाली और गया में भी एके 47 बरामद हो चुकी है। 1994 में पटना में शहाबुद्दीन के करीबी जाकिरा का साथी इरफान उर्फ गामा मुठभेड में मारा गया था। उसकी गाडी से भी एके 47 राइफल मिली थी।