पटना:बिहार के बांका जिले के अमरपुर थाना क्षेत्र के बलुआ गांव में नॉन बैंकिंग ग्रुप लोन के चक्कर में एक परिवार तबाह हो गया। कर्ज के बोझ से परेशान परिवार के पांच लोगों ने जहर खा लिया। पति-पत्नी और एक बेटे की मौत हो गई, जबकि दो बच्चों का इलाज चल रहा है और उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई है। गांव में एक साथ ही तीन लोगों की उठी अर्थी ने नॉन बैंकिंग ग्रुप लोन की भयावहता को बयां कर दिया। इस घटना को लेकर गांव में मातम पसरा हुआ है। जब एक साथ मां-पिता और बेटे की अर्थी उठी तो पूरा गांव रो पड़ा। लोग इस दर्दनाक घटना पर अफसोस जता रहे थे।
नॉन बैंकिंग ग्रुप लोन के मकड़जाल ने पूरे परिवार को उजाड़ दिया। ग्रामीणों का कहना है कि ग्रुप लोन का यह रोग कई और लोगों की जिंदगी तबाह कर सकता है। नॉन बैंकिंग ग्रुप लोन के कर्ज से ग्रामीण तबाह हैं। दरअसल, बांका जिला सहित कई जिलों में विभिन्न नॉन बैंकिंग संस्था के द्वारा ग्रामीण महिलाओं के बीच ग्रुप बनाकर लोन देने की प्रक्रिया वर्षों से जारी है।
ग्रुप से जुड़ी ग्रामीण महिलाओं ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि इन बैंकों का ऋण ग्रामीण महिलाओं को उनकी आवश्यकता के अनुसार महंगे ब्याज पर दी जाती है। इन बैंकों के कई एजेंट विभिन्न गांवों में सक्रिय हैं। जो ऋण देने व उनकी अदायगी के लिए ग्रुप के ही किसी एक सदस्य को हेड के रुप में चयनित करता है। उसी की देखरेख में कंपनी के एजेंट द्वारा बिना कोई सरकारी नियमों का पालन करते हुए लोन देकर उनका साप्ताहिक वसूली करता है।
लोन की वसूली में एजेंट का रुख बहुत ही कठोर रहता है। समय पर लोन का पैसा नहीं देने पर लोन लेने वाले सदस्यों पर दबाव बनाकर पैसे की वसूली वो करते हैं। अगर लोन का पैसा नहीं दिया तो उस ग्रुप के अन्य महिला व पुरुष सदस्यों से लोन की वसूली करते हैं। बताया जा रहा है कि भोले-भाले व कम पढ़ी-लिखी ग्रामीण महिलाएं इन बैंकों के चक्कर में आसानी से आ जाती हैं, जिसके बाद नॉन बैंकिंग संस्था के द्वारा अपने नियमानुसार लोन की वसूली की जाती है।
नॉन बैंकिंग लोन की शिकार बनी ग्रामीण महिलाएं बताती हैं कि बांका किले में कई परिवार ग्रुप लोन चुकाने में असमर्थ हो जाने के बाद अपना घर परिवार छोड़कर बाहर भाग गए हैं। इसके बावजूद भी बैंक के एजेंट उस ग्रुप के अन्य सदस्यों पर लोन चुकता करने के लिए दबाव बनाते हैं। एजेंट किसी भी वक्त घर पर आकर धमकी भी देते हैं।
बैंक के एजेंट लोन लेने वालों के बैंक पासबुक, आधार कार्ड व अन्य आवश्यक कागजात अपने पास रखते हैं। लेकिन यह एजेंट ग्रुप के मुख्य सदस्य की मिलीभगत से ग्रुप के सदस्यों के लोन की राशि दूसरे ग्रुप के सदस्यों को दे देते हैं। जिस बात की जानकारी उस सदस्य को नहीं रहती है।
अर्थात बैंक एजेंट व मुख्य सदस्य की मिलीभगत से ग्रुप के किसी सदस्य का लोन दूसरा सदस्य अपने निजी कार्य में उपयोग कर लेता है। जिसकी भरपाई नामित सदस्य को करनी होती है। इसी कड़ी में मृतक दंपत्ति इसके चपेट आ गए। लाख प्रयास के बावजूद भी दंपत्ति कर्ज चुकाने में विफल रहे और अपनी जान दे दी। जानकारों की माने तो यह घटना आगे भी किसी गांव घट सकती है। लेकिन इन सबसे बेखबर प्रशासन मौन साधे बैठा रहता है।