बिहार में हत्या, लूटपाट, चेन स्नैचिंग, रंगदारी और दुष्कर्म की घटनाएं?, साल 2020 में 7631 बालक और किशोरों के विरुद्ध 6543 केस

By एस पी सिन्हा | Updated: July 12, 2025 16:00 IST2025-07-12T15:59:27+5:302025-07-12T16:00:34+5:30

आंकड़ा 2021 में बढ़कर 12 हजार, 2022 में 19 हजार 75, 2023 में 20 हजार 235 और 2024 में बढ़कर 21 हजार से भी ज्यादा हो गया।

bihar crime case murder, robbery, chain snatching, extortion rape 6543 cases against 7631 boys teenagers year 2020 | बिहार में हत्या, लूटपाट, चेन स्नैचिंग, रंगदारी और दुष्कर्म की घटनाएं?, साल 2020 में 7631 बालक और किशोरों के विरुद्ध 6543 केस

सांकेतिक फोटो

Highlights साल 2020 में 7631 बालक और किशोरों के विरुद्ध 6543 केस दर्ज हुए हैं। जून तक 10 हजार 908 बालक-किशोरों के खिलाफ 9 हजार 126 मामले दर्ज हुए हैं।4,241 लड़कियां और 82 हजार 694 लड़के शामिल हैं।

पटनाः बिहार में हत्या, लूटपाट, चेन स्नैचिंग, रंगदारी और दुष्कर्म जैसे संगीन अपराध थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। पुलिस के तमाम दावों और व्यवस्थागत बदलावों के बावजूद, अपराधियों के हौसले बुलंद हैं और आम जनता असुरक्षा के साए में जीने को मजबूर। यही नही राज्य में हर वर्ष बाल अपराधियों की संख्या में वृद्धि दर्ज की जा रही है। इसकी गवाही पुलिस मुख्यालय के आंकड़े दे रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार राज्य में पिछले 5 सालों में बाल अपराधियों की संख्या ढ़ाई से तीन गुना तक बढ़ गई है। अपराध अनुसंधान विभाग के कमजोर वर्ग के अपर पुलिस महानिदेशक अमित कुमार जैन के अनुसार साल 2020 में 7631 बालक और किशोरों के विरुद्ध 6543 केस दर्ज हुए हैं। यह आंकड़ा 2021 में बढ़कर 12 हजार, 2022 में 19 हजार 75, 2023 में 20 हजार 235 और 2024 में बढ़कर 21 हजार से भी ज्यादा हो गया।

बताया गया है कि इस साल जून तक 10 हजार 908 बालक-किशोरों के खिलाफ 9 हजार 126 मामले दर्ज हुए हैं। साल 2020 से जून 2025 तक के कुल आंकड़े देखें तो 77 हजार 384 आपराधिक मामलों में 90 हजार 935 बालक-किशोर शामिल रहे हैं। जिसमें 4, 241 लड़कियां और 82 हजार 694 लड़के शामिल हैं। एडीजी जैन ने कहा कि अपराध की दुनिया में बालकों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय है।

पेशेवर संगठित अपराधी भी अपराध के लिए नाबालिगों का इस्तेमाल करने से पीछे नहीं हैं। बालकों के विरुद्ध दर्ज मामलों में सर्वाधिक मामले चोरी, डकैती, वाहन चोरी, दुष्कर्म, नशीले पदार्थ की तस्करी या सेवन, साइबर अपराध और समूह हिंसा से जुड़े हुए हैं। पुलिस के अनुसार बाल और किशोर अपराधियों के मामलों की निगरानी के लिए जिला स्तर पर विशेष किशोर पुलिस इकाई का गठन किया गया है।

इसका नेतृत्व डीएसपी मुख्यालय कर रहा है। साथ ही प्रत्येक थाना स्तर पर बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी की नियुक्ति हुई है। वहीं पुलिस अधिकारियों को भी बाल अपराध को लेकर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके साथ ही एक के बाद एक हत्याओं ने लोगों में दहशत फैला दी है। जुलाई 2025 के पहले 10 दिनों में ही राज्य में कम से कम 30 लोगों की हत्या की घटनाएं सामने आई हैं।

पटना से लेकर मधुबनी, जहानाबाद, समस्तीपुर, मधेपुरा, और अन्य जिलों में हत्याओं की वारदातों ने कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। इनमें से कई मामले जमीन विवाद, आपसी रंजिश, और लूटपाट से जुड़े हैं, जबकि कुछ में अपराधियों के बुलंद हौसले साफ दिखाई दे रहे हैं। 

बता दें कि 4 जुलाई को  राजधानी पटना के गांधी मैदान इलाके में मगध हॉस्पिटल के मालिक गोपाल खेमका की बाइक सवार हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी। इसके अगले ही दिन, 5 जुलाई को खगौल इलाके में निजी स्कूल संचालक अजीत कुमार यादव को गोली मार दी गई।

10 जुलाई को रानी तालाब इलाके में बालू कारोबारी रमाकांत यादव की उनके घर के बाहर हत्या ने एक बार फिर सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए। पुलिस ने खेमका हत्याकांड में एक आरोपी को मुठभेड़ में मार गिराया और जांच में जेल और जमीन विवाद से संबंधों की तलाश कर रही है।

जहानाबाद के शकूराबाद थाना क्षेत्र के मलहचक गांव में 10 जुलाई की रात खेत में सोए 60 वर्षीय शिवनंदन की अज्ञात अपराधियों ने गोली मारकर हत्या कर दी। बताया जाता है कि वह धान पटवन के लिए खेत में थे। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है, लेकिन अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।

समस्तीपुर के मुसरीघरारी थाना क्षेत्र के गंगापुर गांव में 10 जुलाई को खेत की मेड़ को लेकर हुए विवाद में एक वृद्ध महिला की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। पड़ोसियों ने बेरहमी से पिटाई की, जिससे महिला की मौके पर ही मौत हो गई। पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है।

वहीं, मधेपुरा के मुरलीगंज थाना क्षेत्र के दमगारा टोला में 3 जुलाई की रात सब्जी विक्रेता दिनेश दास (50) और उनकी पत्नी भलिया देवी (45) की हत्या कर दी गई। पुलिस के अनुसार, यह मामला जमीनी विवाद से जुड़ा है। ग्रामीणों ने हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर सड़क जाम किया। इसी तरह मधुबनी जिले में दो अलग-अलग घटनाओं में हत्याएं हुई।

1 जुलाई को बिस्फी थाना क्षेत्र के सिमरी गांव में मोहम्मद तुफैल की चाकू मारकर हत्या कर दी गई। पुलिस ने आरोपी मोहम्मद आफताब को 7 जुलाई को गिरफ्तार किया। वहीं, 7 जुलाई को फुलपरास थाना क्षेत्र के बोहरबा गांव में 65 वर्षीय किसान बद्री यादव को अज्ञात अपराधियों ने घर से उठाकर नदी किनारे गोली मार दी।

उधर, पूर्णिया जिले में 6 जुलाई को टेटमा गांव में एक ही परिवार के पांच लोगों की हत्या कर शवों को जला दिया गया। स्थानीय लोगों ने डायन होने का आरोप लगाकर यह जघन्य अपराध किया। पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। नालंदा जिले में 6 जुलाई को दीपनगर थाना क्षेत्र के डुमरावां गांव में बच्चों के विवाद में दो लोगों, अन्नू कुमारी और हिमांशु कुमार, की गोली मारकर हत्या कर दी गई।

मुजफ्फरपुर जिले में 6 जुलाई को काजी मोहम्मदपुर थाना क्षेत्र में पंचायत रोजगार सेवक मुमताज अहमद और कनीय अभियंता मो मुमताज की लूट के दौरान चाकू मारकर हत्या कर दी गई। भागलपुर जिले में 8 जुलाई को हबीबपुर थाना क्षेत्र में मोहम्मद सद्दाम की चाकू मारकर हत्या हुई, जबकि तेतरी गांव में साजन कुमार की गोली मारकर हत्या की गई।

वैशाली जिले में 7 जुलाई को महनार के लावापुर नरायण गांव में सुरेंद्र झा की रुपये और जमीन विवाद में गोली मारकर हत्या की गई। नवादा जिले में 8 जुलाई को हिसुआ थाना क्षेत्र में एक बेटे ने नशे की हालत में अपने पिता अनिल कुमार सिंह की तलवार से हत्या कर दी। बेतिया जिले में 6 जुलाई को सिरसिया थाना क्षेत्र में हृदय मिश्र की कुदाल और ट्रैक्टर से कुचलकर हत्या की गई।

अररिया जिले में 5 जुलाई को महालगांव में जमीन विवाद में 12 वर्षीय अबु होरेरा की गोली मारकर हत्या की गई। इसी तरह सीवान जिले में 4 जुलाई को आपसी विवाद में तीन लोगों की धारदार हथियार से हत्या हुई। इन हत्याओं ने बिहार की कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। 

केवल राजधानी पटना के चर्चा करें तो पिछले 10 दिनों में डकैती की 11 घटनाएं हुईं। जबकि चेन स्नैचिंग में करीब 44 महिलाएं बनीं शिकार। वहीं, 13 मामलों में रंगदारी मांगी गई। जबकि दुष्कर्म की 41 घटनाएं दर्ज की गईं। वहीं, 343 घरों में चोरों ने सेंधमारी की। जबकि वाहन चोरी की 2335 घटनाएं सामने आईं।

इन आंकड़ों से साफ है कि शहर में न कानून का खौफ है और न ही पुलिस का असर। उल्लेखनीय है कि पटना जिले की कानून व्यवस्था को संभालने के लिए 7 आईपीएस अधिकारी और 22 एएसपी/डीएसपी तैनात हैं। कुछ समय पहले पुलिस महकमे ने अपराध नियंत्रण के उद्देश्य से डीएसपी की संख्या दोगुनी कर 11 से 22 कर दी, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा। अपराध पर लगाम लगाने की बजाय वह और फैलता गया। इस बीच पटना पुलिस का दावा है कि शहर में सात स्तर की गश्त की जा रही है।

जिनमें रात्रि गश्ती, दिवा गश्ती, डॉल्फिन मोबाइल, क्विक मोबाइल आदि शामिल हैं। हर थाने को चार क्विक मोबाइल बाइक दी गईं, जिन पर चार शिफ्टों में पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई। लेकिन गोपाल खेमका हत्याकांड जैसे जघन्य अपराध के बाद अपराधियों का शहर से फरार हो जाना यह दर्शाता है कि इन व्यवस्थाओं का जमीन पर कोई असर नहीं दिख रहा।

Web Title: bihar crime case murder, robbery, chain snatching, extortion rape 6543 cases against 7631 boys teenagers year 2020

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