भूमि सुधार विभाग से 96 अमीन बर्खास्त, फर्जी सर्टिफिकेट के आधार नौकरी, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय से ले आए थे सर्टिफिकेट, जहां डिप्लोमा की पढ़ाई होती ही नहीं...
By एस पी सिन्हा | Published: December 16, 2021 02:43 PM2021-12-16T14:43:09+5:302021-12-16T14:44:36+5:30
विशेष भूमि सर्वेक्षण के लिए फर्जी सर्टिफिकेट पर बहाल 96 अमीन को बर्खास्त कर दिया गया है. हालांकि जांच अभी चल रही है.
पटनाः बिहार में फर्जीवाड़े का धंधा अपने चरम पर रहता है. कहीं फर्जी कागजात पर जमीन का लेनदेन तो कहीं फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी लेने का धंधा. राज खुल ही जाता है.
इसी कड़ी में बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में बड़ी संख्या में फर्जी अमीन की बहाली होने का मामला सामने आया है. विशेष भूमि सर्वेक्षण के लिए फर्जी सर्टिफिकेट पर बहाल 96 अमीन को बर्खास्त कर दिया गया है. हालांकि जांच अभी चल रही है. बताया जाता है कि अभ्यर्थियों ने फर्जी प्रमाण पत्र पर बहाली में सफल हो गये थे.
विभाग ने जब प्रमाण-पत्र का सत्यापन कराया तो 96 संविदा पर बहाल अमीन के प्रमाण पत्र फर्जी पाये गये. इसके बाद भू-अभिलेख एवं परिमाप निदेशालय ने सभी 96 अमीनों को बर्खास्त कर दिया है. इसके बाद संविदा पर बहाल सभी अमीन और दूसरे पदधारकों के सर्टिफिकेट की जांच का आदेश दिया गया है. 38 अमीन ने एक ही विश्वविद्यालय का फर्जी सर्टिफिकेट जमा किया था.
बाकी 58 अमीन के सर्टिफिकेट अलग-अलग संस्थानों के हैं. भू अभिलेख के निदेशक जय सिंह ने आज यहां बताया कि बर्खास्त किए गए अमीनों से वेतन के मद में हासिल राशि की वसूली और फर्जीवाड़ा के आरोप में प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं. इन सभी फर्जी अमीनों को सेवा से हटा दिया है. विभाग को जब शंका हुआ तो सभी के प्रमाण पत्र जांच के लिए संबंधित संस्थान में भेजा गया.
संस्थान ने जांच कर रिपोर्ट दिया जिसमें फर्जी बताया गया. इसके बाद विभाग ने सख्त कार्रवाई करते हुए उन्हें सेवा से हटा दिया है. प्राप्त जानकारी के अनुसार 38 अमीनों की बहाली के लिए फर्जी सर्टिफिकेट का इंतजाम झांसी स्थित बुंदेलखंड विश्वविद्यालय से किया गया था. सबने इस विश्वविद्यालय से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा का प्रमाण पत्र जमा किया था.
सर्टिफिकेट के सत्यापन के लिए सभी प्रमाण पत्रों को बुंदेलखंड विश्वविद्यालय भेजा गया. वहां के कुल सचिव ने दो बार पत्र लिख कर बताया कि इस विश्वविद्यालय में सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा की पढ़ाई होती ही नहीं है. विश्वविद्यालय का आखिरी पत्र 19 नवम्बर को आया. विश्वविद्यालय से जवाब आने के बाद विभाग ने सभी से स्पष्टीकरण की मांग कर सेवा से बर्खास्त कर दिया.
इसके साथ ही जिन अन्य 58 अमीनों को सेवा से हटाया गया है, उनके सर्टिफिकेट अलग-अलग संस्थानों के थे. लेकिन जांच में सबके सब फर्जी पाए गए. इन सबने प्राविधिकी शिक्षा परिषद, लखनऊ, सर्वपल्ली राधाकृष्णनन यूनिवर्सिटी भोपाल, दूरस्थ शिक्षा निदेशालय, राजस्थान, डा. सीवी रमण विश्वविद्यालय, विलासपुर, गवर्नमेंट पोलीटेक्नीक, भरूच, मेवाड विश्वविद्यालय, राजस्थान, अन्ना मलाई विश्वविद्यालय, तमिलनाडू, हिमालय विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश के अलावा अन्य शिक्षण संस्थानों के फर्जी सर्टिफिकेट जमा कराए थे.
निदेशक जय सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय से जवाब मिलने के बाद सभी अमीनों को अपना पक्ष रखने के लिए स्पष्टीकरण पूछा गया. लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया. सबने समय की मांग की. उन्होंने बताया कि प्राथमिकी उन जिलों में होगी, जहां ये तैनात किए गए थे. संबंधित बंदोबस्त पदाधिकारी प्राथमिकी दर्ज कराएंगे.