नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में उमेश पाल अपहरण केस में उम्रकैद की सजा के बाद साबरमती जेल में सजा काटने पहुंचे अतीक अहमद को अब एक सामान्य कैदी की तरह जीवन बिताना पड़ेगा। जिस अतीक अहमद के एक इशारे पर बड़े-बड़े काम चंद मिनटों में निपटा दिए जाते थे उस अतीक को जेल में झाड़ू लगानी पड़ेगी। अतीक को अकुशल कामगारों की श्रेणी में रखा गया है। इसलिए उसे जेल में बढ़ई का काम करने के अलावा खेती में हाथ बटाना होगा और पशुओं की देखभाल भी करनी होगी।
साबरमती जेल में अतीक अहमद का बैंक अकाउंट भी खोला गया है। अतीक को जेल में किए गए काम के बदले रोज 25 रुपये दिए जाएंगे। अगर अतीक को कुशल कामगार की श्रेणी में रखा जाता तो उसे रोज 40 रुपये मिलते। अतीक को कैदी के रूप में जेल में दो जोड़ी कपड़े भी मिले हैं। सजायाफ्ता कैदियों के पक्के बैरेक में सजा काट रहे अतीक को अब खाना भी जेल का ही खाना होगा। खाने में रोटी, दाल और चावल मिलेगा। माफिया अतीक को कैदी नंबर 17052 दिया गया है और इसी के साथ ये उसकी नई पहचान होगी। इससे पहले अतीक का खाना जेल से बाहर से आता था और वह अपने मन से कपड़े पहनता था अपने मन का खाना खाता था, लेकिन अब ये सब बदल गया है।
उमेश पाल हत्याकांड में अतीक के परिवार और सहयोगियों पर भी शिकंजा कसता जा रहा है। इस मामले की जांच कर रही स्पेशल टास्क फोर्स को एक बड़ी कामयाबी भी मिली है। एसटीएफ ने गैंगस्टर अतीक अहमद के साले अखलाक को मेरठ से गिरफ्तार किया है। अखलाक को अतीक अहमद के शूटरों को पनाह देने तथा शूटरों को भागने में मदद करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। अखलाक उत्तर प्रदेश के मेरठ के नौचंदी इलाके का रहने वाला है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, अखलाक ने उमेश पाल की हत्या करने के बाद शूटर और अतीक अहमद के बेटे असद को भगाने में मदद की थी।