अमेरिका: पहले महिला ने की 1लाख 60 हजार डॉलर की हेराफेरी, फिर पकड़े जाने पर 1 साल की सजा से बचने के लिए खुद को बताया फर्जी कैंसर पीड़ित, मिली 3 साल की कैद
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 7, 2022 03:09 PM2022-07-07T15:09:37+5:302022-07-07T15:15:50+5:30
आपको बता दें कि महिला के वकील बेंजामिन किंगटन ने कहा है कि शावेज को अपने नवजात शिशु से अलग होने का डर सता रहा था। इस कारण उसने फर्जी तरीका अपनाया है।
वाशिंगटन डीसी: अमेरिका के कैलिफोर्निया की 38 वर्षीय एक महिला ने पैसों की हेराफेरी के मामले में खुद को जेल जाने से बचाने के लिए कैंसर से पीड़ित होने का दावा किया जो बाद में फर्जी निकला और अब महिला को एक साल की बजाय तीन साल जेल की सजा भुगतनी होगी।
महिला ने बताया कि उसे कैंसर है
सजा सुनाने वाले संघीय न्यायाधीश को सौंपे गए एक नोट में कहा गया कि आरोपी महिला के गर्भाशय में “कैंसर की कोशिकाओं” का पता चला है। इसके बाद न्यायाधीश को बताया गया कि आरोपी की सर्जरी चल रही है और उसका कैंसर फैल गया है। तीसरे पत्र में कहा गया कि उसकी नाजुक स्थिति के कारण उसे उन हालात में नहीं रखा जा सकता जहां वह “कोविड-19 से संक्रमित हो सकती है।”
जांच के बाद महिला का दावा निकला फर्जी
संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) के अधिकारियों का हालांकि कहना है कि कैंसर होने की बात और उससे संबंधित पत्र सब कुछ फर्जी है तथा एश्ली लिन शावेज को अब तीन गुना अधिक समय के लिए जेल में रहना होगा।
वहीं अदालत ने पहले उसे एक साल जेल की सजा सुनाई थी जिसे बढ़ाकर तीन साल कर दिया गया है। आपको बता दें कि शावेज ने अपने पूर्व नियोक्ता से 1,60,000 डॉलर से अधिक पैसे की हेराफेरी की थी और इस मामले में 2019 में दोषी होने की याचिका भी दायर की घई थी।
ऐसे कर महिला जेल जाने से बचती रही
कैंसर से पीड़ित होने के फर्जी दावे ने आरोपी महिला को जमानत पर 31 मार्च 2021 तक जेल जाने से बचाए रखा। इसके बाद अदालत में सौंपे नोट के जरिए उसे तीन महीने की और मोहलत मिली थी। कैलिफोर्निया के सदर्न डिस्ट्रिक्ट के अटॉर्नी कार्यालय ने यह जानकारी दी है। संघीय अधिकारियों ने कहा कि यह सब होने के बाद शावेज छह महीने तक जेल जाने से बची रही थी।
इस कारण महिला करती रही फर्जी दावे
सैन डिएगो यूनियन ट्रिब्यून अखबार के मुताबिक, शावेज के वकील बेंजामिन किंगटन ने कहा कि शावेज को अपने नवजात शिशु से अलग होने का डर सता रहा था। अदालत को सौंपे गए नोट में यह भी दावा किया गया कि महिला बीमारी के चलते काम करने में भी अक्षम है और अपने पूर्व नियोक्ता को हर्जाने की रकम अदा नहीं कर सकती।
शावेज के दो अलग-अलग वकीलों ने यह माना कि नोट में कही बात सही हैं और उन्हें अदालत में सौंपा गया। गौरतलब है कि अगस्त 2021 में शावेज ने फर्जी नोट सौंपे जिसमें अदालत से अनुरोध किया गया कि उसे सजा की अवधि के दौरान घर पर ही नजरबंद कर दिया जाए। एक नोट में कहा गया कि “जेल में बिताया गया एक साल महिला के लिए मौत की सजा के समान हो सकता है।”
जेल जाने से बचने के लिए महिला ने बनाए फर्जी चिकित्सा दस्तावेज
संघीय अधिकारियों ने जब नोट में उल्लिखित डॉक्टरों से संपर्क किया तो उन्होंने ऐसा कोई पत्र लिखने की बात से इनकार कर दिया हालांकि, शावेज ने उन डॉक्टरों में से एक से इलाज करवाया था।
एफबीआई के विशेष एजेंट स्टेसी मोय ने बयान में कहा, “इस आरोपी ने जेल जाने से बचने के लिए फर्जी चिकित्सा दस्तावेज बनाए ताकि वह दावा कर सके कि उसे कैंसर है।”