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2012 Delhi gangrape case: दरिंदे मुकेश की याचिका खारिज, सभी दोषियों को 20 मार्च को फांसी

By सतीश कुमार सिंह | Updated: March 17, 2020 18:33 IST

सरकारी वकील ने अदालत से कहा कि दोषी मुकेश की मौत की सजा के खिलाफ दायर याचिका तुच्छ, सजा के तामील में विलंब कराने की रणनीति है। अदालत ने दोषी मुकेश की मौत की सजा खारिज करने की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा था।

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ठळक मुद्देअतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के समक्ष दायर इस याचिका में दावा किया गया कि मुकेश को राजस्थान से गिरफ्तार किया गया था।इसमें कहा गया है कि मुकेश 16 दिसंबर को शहर में मौजूद नहीं था जब यह अपराध हुआ था।

निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्या मामले में दिल्ली की एक अदालत ने चार दोषियों में शामिल मुकेश सिंह की वह याचिका खारिज कर दी, जिसके जरिये उसने अपनी मौत की सजा रद्द करने का अनुरोध किया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने मुकेश की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उसने दावा किया था कि घटना के दिन वह दिल्ली में नहीं था।

इस बीच, अदालत ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) को मुकेश के वकील को उपयुक्त परामर्श देने के लिये भी कहा है। याचिका में दावा किया गया था कि मुकेश को राजस्थान से गिरफ्तार किया गया और उसे 17 दिसंबर, 2012 को दिल्ली लाया गया था। साथ ही यह भी कहा गया कि वह 16 दिसंबर को शहर में मौजूद नहीं था, जब यह अपराध हुआ था।

सरकारी वकील ने अदालत से कहा कि सिंह की याचिका में कोई दम नहीं है और फांसी के क्रियान्वयन में देर करने की तरकीब है। याचिका में यह भी आरोप लगाया कि मुकेश को तिहाड़ जेल के भीतर प्रताड़ित किया गया। निचली अदालत ने पांच मार्च को मामले के चार दोषियों - मुकेश सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को 20 मार्च की सुबह साढ़े पांच बजे फांसी देने के लिए मृत्यु वारंट जारी किया था।

सरकारी वकील ने अदालत से कहा कि दोषी मुकेश की मौत की सजा के खिलाफ दायर याचिका तुच्छ, सजा के तामील में विलंब कराने की रणनीति है। अदालत ने दोषी मुकेश की मौत की सजा खारिज करने की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा था।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेन्द्र राणा ने फैसला सुनाया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के समक्ष दायर इस याचिका में दावा किया गया कि मुकेश को राजस्थान से गिरफ्तार किया गया था और उसे 17 दिसंबर, 2012 को दिल्ली लाया गया था। साथ ही इसमें कहा गया है कि मुकेश 16 दिसंबर को शहर में मौजूद नहीं था जब यह अपराध हुआ था।

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